IAS इच्छित गढ़पाले और इंजीनियर एनएस बघेल पर लोकयुक्त में हुई FIR दर्ज, चीरघर जमीन घोटाले का मामला
चीरघर जमीन में हुई बंदरबांट पर भोपाल लोकायुक्त ने तीन साल बाद तात्कालिक आयुक्त इच्छित गढ़पाले और ईई एनएस बघेल पर एफआईआर दर्ज की है। सीटीसीएल के नाम पर आरोपियों पर सरकारी जमीन का दुरुपयोग कर ठेकेदार को लाभ पहुंचाने का आरोप लोकायुक्त की जांच में सिद्ध हो चुका है। नजूल की जिस जमीन का उपयोग सार्वजनिक प्रयोजन के लिए किया जाना था। उसका व्यावसायिक उपयोग किया जा रहा था। इस मामले में अधिकारियों के बाद अब समिति में शामिल बाकी लोगों पर भी कार्रवाई तय मानी जा रही है। जमीन से जुड़ा अब तक का ये सबसे बड़ा घोटाला है।
भोपाल जिला जेल के पीछे स्थित नजूल की जमीन नगर निगम को सार्वजनिक उपयोग के लिए प्रदान की गई थी। लेकिन अधिकारी इस जमीन पर पीपीपी मोड से व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स का निर्माण करवा रहे थे। इसकी एवज में निगम को महज 10 करोड़ रुपये दिए जा रहे थे।
जमीन के इस बड़े घोटाले में अधिकारियों से लेकर नेताओं की सीधी मिलीभगत थी। शिकायत पर जांच का जिम्मा भोपाल लोकायुक्त को दिया गया था। सालों से चल रही जांच के बाद लोकायुक्त अधिकारियों ने माना कि तात्कालिक निगम आयुक्त गढ़पाले और ईई बघेल ने निर्माण में नियमों की खुली अवहेलना की। साथ ही निर्माण ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए बनाई गई कमेटी को अपने स्तर पर बदलने का प्रयास किया। लोकायुक्त ने शुरुआती जांच के आधार पर तात्कालिक कमिश्नर गढ़पाले और ईई बघेल पर धारा 7 (ग) के तहत मामला दर्ज किया है।
वर्तमान में मुरैना जिला पंचायत सीईओ है गढ़पाले
तात्कालिक नगर निगम आयुक्त इच्छित गढ़पाले वर्तमान में जिला पंचायत सीईओ मुरैना के पद पर पदस्थ हैं। वहीं, तात्कालिक मुख्य कार्यपालन यंत्री एनएस बघेल रिटायर्ड हो चुके हैं। इस मामले में उन अफसरों पर भी कार्रवाई की तलवार लटकी हुई है, जो उस समय सीटीसीएल में सदस्य के रूप में शामिल थे। इसमें पुलिस और प्रशासन के आला अफसरों पर भी कार्रवाई तय मानी जा रही है।
करोड़ों के घोटाले में कांग्रेस-भाजपा नेताओं की जुगलबंदी
इस करोड़ों के जमीन घोटाले में कांग्रेस और भाजपा नेताओं की भी पर्दे के पीछे से जुगलबंदी थी। लेकिन पूरा खेल निर्माण ठेकेदार के नाम पर खेला जा रहा था। 2016-17 से ये मामला सुर्खियों में था। 2018 में कांग्रेस सरकार बनने के बाद भी ये मामला चर्चा में आया। लेकिन किसी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस दौरान भाजपा पार्षदों का एक गुट मामले में दोषियों पर कार्रवाई की मांग पर अड़ा रहा। अब सालों बाद इस मामले में दोषी अफसरों पर एफआईआर दर्ज हुई है।