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जबलपुर रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव 20 जुलाई 2024: औद्योगिक निवेश से खुल रहे समृद्धि के द्वार

भोपाल। मध्यप्रदेश में औद्योगिक निवेश की गति को और तेज करने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पहल पर रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव की श्रृंखलाएं आयोजित की जा रही हैं। इस श्रृंखला की तीसरी कड़ी में 20 जुलाई को जबलपुर में रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव आयोजित हो रही है। इसके बाद सितंबर में ग्वालियर और अक्टूबर में रीवा में रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव का आयोजन प्रस्तावित है। इसके अलावा तमिलनाडु के कोयंबटूर में 25 जुलाई, कर्नाटक के बेंगलुरु में अगस्त, दिल्ली में सितंबर और इंदौर में भी सितंबर में आयोजन प्रस्तावित हैं।

जबलपुर में 1500 से अधिक निवेशकों की भागीदारी हो रही है। आयोजन में बायर-सेलर मीट भी रखी गई है, जिसमें 1000 से ज्यादा प्रतिनिधियों ने भागीदारी की सहमति दी है। इसमें ब्रिटेन, कोस्टारीका, फिजी, ताइवान और मलेशिया का प्रतिनिधिमंडल भी भाग लेगा और कृषि एवं रक्षा क्षेत्र में निवेश की संभावनाओं पर चर्चा होगी। कॉन्क्लेव में लगभग 70 परियोजनाओं के लोकार्पण और शिलान्यास होंगे। रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव के बाद 7 और 8 फरवरी 2025 को ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट की तैयारियां शुरू हो जाएंगी। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में मध्यप्रदेश की नई निर्यात नीति की घोषणा होगी और निवेश बढ़ाने के लिए नए प्रावधानों को सांझा किया जाएगा।

**निवेश परिदृश्य में सकारात्मक बदलाव**

मध्यप्रदेश का निवेश परिदृश्य सकारात्मक रूप से बदल रहा है। उज्जैन में 222.77 करोड़ रुपये की लागत से 360 एकड़ में मेडिकल डिवाइस पार्क बन रहा है। इसी प्रकार धार में 1000 करोड़ रुपये की लागत से 1563 एकड़ में पीएम मित्रा-पीएम मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल एंड एपेरेल पार्क आकार ले रहा है। नर्मदापुरम में 227 एकड़ में 464.65 करोड़ रुपये की लागत से मैन्युफैक्चरिंग जोन फॉर पावर एंड रिन्यूएबल एनर्जी इक्विपमेंट भी बन रहा है। इसके अलावा मुरैना में 222.81 करोड़ रुपये की लागत से 161 एकड़ में मेगा लेदर फुटवियर एसेसरीज क्लस्टर डेवलपमेंट पार्क विकसित हो रहा है। इन चारों परियोजनाओं पर कुल 1910.23 करोड़ रुपये की लागत आएगी।

राज्य सरकार प्रदेश को औद्योगिक केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए सुनियोजित प्रयास कर रही है। निर्माण क्षेत्र में सुधार के साथ ही प्रदेश से विदेशी निर्यात की अपार संभावनाएं बनी हैं। अब विदेश व्यापार नीति के अनुसार मध्यप्रदेश ने निर्यात पर विशेष ध्यान देना शुरू कर दिया है। विशेष रूप से छोटे और मध्यम उद्यम, किसान और किसान उत्पादक संगठनों, कलाकारों के हस्तशिल्प प्रोडक्ट और उद्यमियों के स्टार्टअप को सहयोग दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मध्यप्रदेश से निर्यात की संभावनाओं का आंकलन कर ऐसे उत्पादों की निर्यात सूची बनाई है, जिनकी विदेशी बाजार में मांग है।

**जिलों में निर्यात सुविधा प्रकोष्ठ**

मुख्यमंत्री डॉ. यादव की पहल पर सभी जिलों में निर्यात सुविधा प्रकोष्ठ बन गए हैं। इससे छोटे और मझौले स्तर के उत्पादकों में निर्यात के प्रति जागरूकता आई है। मध्यप्रदेश व्यापार संगठन परिषद और निर्यात प्रकोष्ठों ने मिलकर कई कार्यक्रम आयोजित किए हैं जिससे निवेश की संभावनाओं का आंकलन करने में सरकार को मदद मिली।

नीमच, हरदा, अशोकनगर, नरसिंहपुर, शहडोल, बालाघाट, बैतूल और धार में जिला निर्यात संवर्धन कार्यक्रम आयोजित किए गए। प्रदेश भारत के कुल व्यापारिक निर्यात में योगदान बढ़ाने की दिशा में प्रयासरत है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में दवा उत्पाद, कपास, परमाणु रिएक्टर, बॉयलर, मशीन, कपड़ा, जैविक रसायन, एल्युमिनियम, धातु, अनाज, विद्युत मशीनरी उपकरण, प्लास्टिक जैसे उत्पादों का निर्यात हुआ है। सबसे ज्यादा दवा उत्पादों का निर्यात हुआ, जिनका निर्यात मूल्य 13,158 करोड़ रुपये रहा।

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