Madhya Pradesh

प्रशासन ने किया नलकूप खनन पर प्रतिबंध

 

भोपाल । जिले में कृषि एवं व्यावसायिक कार्य हेतु भू-जल स्त्रोतो का अतिदोहन होने से पेयजल स्त्रोतो / नलकूपों का जल स्तर तेजी से गिर रहा है। यह समस्या बहुत गंभीर है और इसके समाधान के लिए कुछ कदम उठाने की आवश्यकता होती है। पहले और सबसे महत्वपूर्ण कदम भू-जल स्तर को बढ़ने से रोकना होगा। इसके लिए कृषि एवं व्यावसायिक कार्यों के लिए समुचित जल संरचनाएं बनाने और जल संचय के उपायों का अधिक उपयोग करना आवश्यक होगा। इसके लिए सरकार को उचित कदम उठाने चाहिए।

दूसरा कदम नवीन निजी नलकूपों के खनन पर प्रतिबंध लगाने का होगा। इससे नलकूपों से प्राप्त जल के अधिक उपयोग से भू-जल स्तर कम होगा और पेयजल स्त्रोतों का जल स्तर भी बढ़ेगा। इससे पेयजल संकट से बचाव हो सकेगा।

तीसरा कदम हो सकता है कि लोगों को जल संरचनाओं के लिए जागरूक किया जाए। उन्हें जल संरचनाओं के महत्व के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए और उन्हें इससे जुड़े कदमों के बारे में भी जानकारी दी जानी चाहिए।

 गिरते भू-जल स्तर के कारण संपूर्ण जिले में आगामी ग्रीष्मकाल में पेयजल संकट की संभावना को दृष्टिगत रखते हुए संपूर्ण भोपाल जिले में मध्यप्रदेश पेयजल परिरक्षण अधिनियम 1986 के तहत पेयजल से भिन्न अन्य प्रयोजन के लिए नवीन निजी नलकूपों के खनन पर प्रतिबंध लगाया जाना आवश्यक है। 

निजी नलकूप खनन जल संसाधनों के लिए खतरे का कारण बन सकता है। निजी नलकूप के अधिक उपयोग से पृथ्वी के अंतरिक्ष से पानी की मात्रा घटती है जो उसे पेयजल उपलब्धता से प्रभावित करता है। इसके अलावा, निजी नलकूपों से अधिक उत्पादित जल अक्सर प्रदूषण कारकों से भरा होता है, जो इसे अधिक अस्वास्थ्यकर बना सकता है।

इस समस्या का समाधान करने के लिए, संगठित तरीकों से नलकूप खनन पर नियंत्रण लगाना बेहद आवश्यक है। स्थानीय नियामक अधिकारियों को अधिक सक्रिय रूप से काम करना चाहिए ताकि स्थानीय स्तर पर नलकूपों के उपयोग पर नियंत्रण लगाया जा सके।

इसके अलावा, जनता को जागरूक करना भी आवश्यक है ताकि वे निजी नलकूपों के उपयोग से बच सकें और संवेदनशील तरीकों से पानी का उपयोग करें। जल संरक्षण के लिए आवश्यक उपायों का अनुसरण करना जरूरी है, जैसे कि जल संरचनाएं जैसे कि जल संग्रहण की खोज करना

मध्यप्रदेश पेयजल परिरक्षण अधिनियम 1986 तथा संशोधन अधिनियम 2002 अधिनियम के अंतर्गत, आशीष सिंह, भोपाल जिले के कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट, जल संसाधनों के विभिन्न पहलुओं को संचालित करने और जल संरक्षण को सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार होते हैं।

धारा 3 के अंतर्गत, उन्होंने भोपाल जिले के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों को जल अभावग्रस्त क्षेत्र घोषित किया है। इससे इस क्षेत्र में जल संसाधनों की सुरक्षा और प्रबंधन के लिए अधिक प्रतिबद्धता होती है।

धारा 6 (1) के अंतर्गत, उन्होंने निरंतर भू-जल की गिरावट को ध्यान में रखते हुए अशासकीय व निजी नलकूप खनन करने पर रोक लगाई है। यह निर्णय जल संसाधनों की संरक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है जो जल संसाधनों की संरक्षा और प्रबंधन के लिए जरूरी है। यह अवधि 22 अप्रैल 2023 से 30 जून 2023 तक है।

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