Madhya Pradesh

EPS 1995 pension should be made 20 thousand: Intak


भोपाल ।
भारतीय परिवहन कर्मचारी फेडरेशन के राष्ट्रीय सचिव, म प्र इंटक उपाध्यक्ष और मध्यप्रदेशट्रांसपोर्ट फेडरेशन इंटक के प्रदेश महासचिव प्रवेश मिश्रा ने ईपीएस 1995 पेंशन धारियों की पीड़ा को देखते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्रमोदी को पेंशन को बढ़ाकर 20 हजार रुपए किए जाने की मांग की। वर्तमान में  ई.पी.एस.पेंशन धारी न्यूनतम पेंशन 700 रुपये से लेकर 1000 रुपये दी जा रही है। इस कारण देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले विभिन्न औधोगिक सस्थानों के पेंशन धारी भुखमरी एवं इलाज अभाव में जीवन मृत्यु के बीच संघर्ष कर रहे हैं। आगे श्री मिश्रा ने बताया कि भारत सरकार के भविष्य निधि संगठन ने ई.पी.एस.पेंशन न्यूनतम1000 रुपये मासिक तय कर रखी है वो भी कई संस्थानों के कर्मचारियों को सरकार एवं भविष्य निधि संगठन की गलती के कारण नहीं मिल पा रही है। जिन राज्य सरकारों एवं संस्थानों ने घाटे के चलते अपना संस्थान बंद करने का निर्णय कर जबरन व्ही.आर.एस.देकर कर्मचारियों को बाहर कर दिया उनमें से हजारों कर्मचारियों नें आर्थिक तंगी के चलते 58 वर्ष की आयु के बजाय 50 वर्ष की आयु उपरान्त पेंशन ले ली तो उन्हें किसी को 600 किसी को 700 तो किसी को 800 रुपये मासिक पैंशन मिलना प्रारम्भ हुआ जो भारत सरकार की न्यूनतम पेंशन 1000 रुपये करने के आदेशों उपरान्त भी आज भी एक हजार से कम दी जा रही है जो घौर अन्याय एवं न्याय के नैसर्गिक सिद्धांत के भी विरुद्ध है। वर्तमान मंहगाई के दौर में 800 से 1000 रुपये में एक माह चाय भी नहीं पी जा सकती जीवन यापन तो दूर की बात है।

क्या सरकार एवं भविष्य निधि संगठन में बैठे लोग यह बात नहीं जानते हैं । जहां सरकार देश के 80 करोड़ गरीब परिवारों को निःशुल्क खादान्न तक उपलब्ध करा रही है । अनेक लोगों को विभिन्न योजनाओं के माध्यम से आर्थिक सहायता दे रही है तो पेंशनरों के नाम पर इन ई.पी.एस.धारी गरीबों के साथ अन्याय क्यों किया जा रहा है । आप तो जमीन से जुड़े हुये गरीबी से निकले मानव पीड़ा को समझने वाले व्यक्तित्व हैं। यदि आपने हस्तक्षेप नही किया तो लगभग 47 लाख परिवार अभी और वाद में लगभग 6.75 करोड़ ई.पी.एस.के अन्तर्गत आने वाले कर्मचारी वाद में भुखमरी एवं इलाज अभाव में असमय मृत्यु के शिकार हो जावेंगे! इसलिए सकल ई.पी.एस.पेंशन धारियों की न्यूनतम पेंशन 20000(वीस हजार)रुपये+चिकत्सा भत्ता बढ़ते क्रम में अविलम्व की जावे।

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