Madhya Pradesh

देश की आर्थिक समृद्धि के लिए वित्तीस समावेशन है महत्वपूर्ण : प्रह्लाद पटेल

 

दो दिवसीय आईसेक्ट नेशनल कॉन्फ्रेंस का हुआ भव्य समापन

– भारत सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग और जल शक्ति श्री प्रह्लाद पटेल रहे दूसरे दिन के मुख्य अतिथि  

भोपाल। आईसेक्ट द्वारा और रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय की सहायता से आयोजित की जा रही दो दिवसीय आईसेक्ट नेशनल कॉन्फ्रेंस का दूसरा दिन “वित्तीय समावेशन” थीम पर रहा। कार्यक्रम के मुख्य सत्र में बतौर मुख्य अतिथि केंद्रीय राज्य मंत्री खाद्य प्रसंस्करण उद्योग और जल शक्ति श्री प्रह्लाद पटेल उपस्थित रहे। साथ ही विशिष्ट अतिथयों में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया भोपाल के चीफ जनरल मैनेजर बिनोद कुमार मिश्र, भारतीय स्टेट बैंक कॉर्पोरेट सेंट्रल मुंबई के महाप्रबंधक दिलीप एस निरखे और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया भोपाल के जोनल हैड तरसेम सिंह जीरा शामिल, आईसेक्ट चेयरमैन और रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री संतोष चौबे, आईसेक्ट के एग्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट डॉ. सिद्धार्थ चतुर्वेदी, आईसेक्ट ग्रुप ऑफ यूनिवर्सिटीज की निदेशक डॉ. अदिति चतुर्वेदी और आईसेक्ट के असिस्टेंट जनरल मैनेजर अनुराग गुप्ता उपस्थित रहे।

इस दौरान मुख्य अतिथि प्रह्लाद पटेल ने अपने वक्तव्य में कहा कि वित्तीय समावेशन देश आर्थिक समृद्धि के लिए बेहद आवश्यक है। परंतु हमें इसे सिर्फ पैसे के लेनदेन तक सीमित नहीं मानना चाहिए, बल्कि वस्तु विनिमय और ई-कॉमर्स को भी इसका ही हिस्सा समझना चाहिए। यह आवश्यक है कि इसे ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचाया जाए जिससे भारत की बहुतायत आबादी तक इसके लाभ पहुंच सके। इस कड़ी में आईसेक्ट और उसके केंद्रों द्वारा किया जा रहा कार्य सराहनीय है।

इसके बाद श्री संतोष चौबे ने बताया कि आईसेक्ट कौशल विकास और समाजिक उद्यमिता के साथ वित्तीय समावेशन के क्षेत्र में भी कार्य कर रहा है। और हमारा यह प्रयास है कि हम लगातार अनूठी पहलों और नवाचार के जरिए आईसेक्ट से जुड़े उद्यमियों को अधिक आय के अवसर प्रदान करें और कई अन्य सुविधाओं को ग्रामीण क्षेत्र तक पहुंचा सकें। फिर दिलीप एस. निरखे ने वित्तीय समावेशन के पहलुओं पर बात करते हुए कहा कि आरबीआई द्वारा फाइनेंशियल इंक्लूजन का कॉन्सेप्ट 2006 में दिया गया था। चूंकि हर गांव में बैंक नहीं बनाया जा सकता था ऐसे में बैंकिंग सुविधाओं को पहुंचाना फाइनेंशियल इंक्लूजन का विशेष कार्य रहा है। इसमें आईसेक्ट के सेंटर्स द्वारा सराहनीय कार्य किया गया और हमें गर्व है कि आईसेक्ट हमारे सबसे बड़े पार्टनर में से एक है। । 

इसी कड़ी में वक्ता तरसेम सिंह जीरा ने अपने वक्तव्य में कहा कि सबसे बड़ा वित्तीय समावेशन का कार्यक्रम पीएम मोदी जी द्वारा जन धन योजना के जरिए चलाया जिसके तहत देशभर में प्रत्येक व्यक्ति का खाता खोला गया और बैंकिंग सुविधाओं से जोड़ा गया। इसके बाद ही विभिन्न योजनाओं का लाभ आम नागरिक को सीधा मिलना शुरू हो पाया है। इससे पहले डॉ. सिद्धार्थ चतुर्वेदी ने स्वागत अभिभाषण देते हुए सभी अतिथियों एवं कार्यक्रम में देशभर से पधारे उद्यमियों को आईसेक्ट के विजन और कार्यों की रूपरेखा रखी। साथ ही आईसेक्ट द्वारा कोविड के दौर में फाइनेंशियल इन्क्लूजन विभाग द्वारा लगातार किए गए कार्यों को रेखांकित किया। कार्यक्रम में डॉ. अदिति चतुर्वेदी ने मिलेट्स पर प्रेजेंटेशन देते हुए खानपान में मिलेट्स को शामिल करने पर होने वाले लाभों से अवगत कराया। इसके अलावा उन्होंने रमन ग्रीन्स इनीशिएटिव के तहत आईसेक्ट द्वारा उत्पादित प्रोडक्ट्स की जानकारी प्रदान की। अंत में आभार वक्तव्य अनुराग गुप्ता ने दिया। इस दौरान उत्कृष्ट कार्य करने वाले उद्यमियों को पुरस्कृत किया गया। साथ ही एफआई ब्रोशर, एफआई संवाद, समर्थ बुकलेट और एफआई सक्सेसफुल एंटरप्रेन्योर बुकलेट का विमोचन अतिथियों के द्वारा किया गया। 

कार्यक्रम में वित्तीय समावेशन के क्षेत्र में कार्य कर रहे देश के कई प्रतिष्ठित नाम बतौर वक्ता भी शामिल हुए जिन्होंने वित्तीय समावेशन के विभिन्न पहलुओं पर अपने विचारों को बौद्धिक सत्रों में रखा इसमें प्रमुख रूप से नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बैंक मैनेजमेंट पुणे के डॉ. नवीन कुमार ने फाइनेंशियल इंक्लूजन में भविष्य की संभावनाओं से अवगत कराते हुए नवाचारों और नई पहलों का जिक्र किया। बीसीआरसी नई दिल्ली के सीईओ और एमडी डी. त्रिपाठी ने बिजनेस कॉरेस्पोंडेंट चैनल के उभरते मुद्दे और चुनौतियों से सभी को अवगत कराया। वहीं, भोपाल एलएचओ में डीजीएम नवीन रावत ने “सीएसपी: पिलर्स ऑफ इंक्लूजिव और डिजिटल इंडिया” पर प्रेजेंटेशन प्रस्तुत किया। इसी कड़ी में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व जनरल मैनेजर पूर्णचंद्र पाणिग्रही ने समावेशी विकास की जरूरत और इसके लिए सरकार द्वारा किए जा रहे पॉलिसी इनिशिएटिव्स पर जानकारी प्रदान की। 

अर्थशिक्षण की फाउंडर प्राची कुलकर्णी ने फाइनेंशियल लिटरेसी पर प्रेजेंटेशन देते हुए इस बात को रेखांकित किया कि इसकी अवेयरनेज के लिए मूवमेंट स्तर पर कार्य करने की आवश्यकता है क्योंकि यह भारत को समृद्ध बनानने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। कर्नाटक स्किल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन के एमडी अश्विन डी. गौड़ा ने कहा कि स्किल डेवलपमेंट के क्षेत्र में बेहतर कार्य के लिए नियमित अनुभवों के एक्सचेंज पर जोर दिया। इसके बाद के सत्रों में उद्यमियों के लिए विकास के अवसरों पर बात की गई और कई आवश्यक जानकारियां दी गईं। 

शाम को समापन सत्र का आयोजन हुआ जिसमें मुख्य अतिथि भोज विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. संजय तिवारी और आईसेक्ट के चेयरमैन श्री संतोष चौबे उपस्थित रहे। वहीं अन्य अतिथियों में आईसेक्ट के एग्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट श्री सिद्धार्थ चतुर्वेदी और श्री अरविंद चतुर्वेदी, असिस्टेंट जनरल मैनेजर श्री अनुराग गुप्ता मौजूद रहे। इस दौरान डॉ. संजय तिवारी ने कहा कि आईसेक्ट का विजन बहुत बड़ा है और यह संस्थान धरातल पर काम करना जानता है। यह देश की जीडीपी की ग्रोथ के लिए ऐसे ही विजन की आवश्यकता है। आगे उन्होंने युवाओं को सफलता का मूलमंत्र देते हुए कहा कि आज का समय स्किलिंग और अपस्किलिंग का है इसलिए इस पर ध्यान दिया जाना आवश्यक है। साथ ही अपने काम के साथ साथ नेटवर्किंग पर भी विशेष ध्यान दीजिए तभी आप अपने लक्ष्य तक आसानी से पहुंच सकेंगे।

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