वन माफियाओं से मिले हुए हैं वनमंत्री
निमाड़-मालवा में जंगल कटाई का मामला
-बुरहानपुर डीएफओ को क्यों हटाया?
-बिना परमिशन कैसे कट गए पेड़?
भोपाल । मप्र के निमाड़-मालवा इलाके में जंगलों की अंधाधुंध कटाई को लेकर शिवराज सराकर बैकफुट पर जाती दिख रही है। कांग्रेस ने वनमंत्री से सवाल किये हैं और वन माफियाओं से तालमेल होने के आरोप लगाए हैं। बुरहानपुर डीएफओ को हटाए जाने पर भी जवाब मांगा जा रहा है। इस मामले को लेकर कांगेस ने पीसीसी में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सरकार को घेरा है। भोपाल स्थित प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा, प्रदेश के निमाड़-मालवा इलाके में स्थित जंगलों की अंधाधुंध कटाई वन माफियाओं के द्वारा की जा रही है। इसमें वनमंत्री का वन माफियाओं से गठजोड़ है। गौरतलब है कि पिछले दिनों बुरहानपुर में वन माफियाओं ने पुलिस थाने पर हमला किया था। इस मामले को लेकर सरकार की मंशा और बिगड़ती कानून व्यवस्था पर भी सवाल उठे थे। इस पूरे मामले को लेकर कांग्रेस ने वन मंत्री विजय शाह समेत शिवराज सरकार को घेरा और कहा कि एक तरफ नाक के नीचे हजारों पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही है, वहीं दूसरी तरफ जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ टिप्पणी करती है कि यदि यही हाल रहा तो प्रदेश रेगिस्तान बन जाएगा। मिश्रा ने कहा कि वनमंत्री और वन माफियाओं का गठजोड़ मुख्यमंत्री द्वारा किए जाने वाले पौधरोपण को भी नष्ट कर रहा है। उन्होंने कहा कि जिलों में ट्री ऑफिसर इसलिए नियुक्त किए गए हैं ताकि जरूरत पडऩे पर पेड़ काटने की परमिशन दे सकें। यहां बिना अनुमति वन माफिया द्वारा रोजाना ही हजारों पेड़ काट रहे हैं। इसके साथ ही मिश्रा ने कहा कि वन मंत्री बताएं कि पिछले महीने बुरहानपुर में जंगल कैसे काट दिए गए, छह महीने में तीन डीएफओ नियुक्त करने का क्या कारण हो सकता है। उन्होंने कहा कि गत्12 सालों में 207 किलोमीटर जंगल क्षेत्र कम हो गया है। साल 2009-10 में अति सघन, सघन और खुला वन क्षेत्र मप्र में 77,700 वर्ग किलो मीटर था। वर्ष 2021-22 में यह क्षेत्र घटकर 77,493 वर्ग किलोमीटर रह गया। आंकड़े प्रस्तुत करते हुए मिश्रा ने कहा कि प्रदेश सरकार ने महज चार सालों में पौधारोपण के नाम पर 1510 करोड़ रूपये और पौध रख रखाव एवं संधारण पर करीब 90 करोड़ रूपये खर्च कर दिए, लेकिन इसका लाभ वनमाफियाओं को हुआ है, जो लगातार जंगलों की अंधाधुंध कटाई कर रहे हैं।