Madhya Pradesh

problam of job stay highcourt : जवाहर बाल भवन के संविदा से हटाने पर हाईकोर्ट ने दिया स्टे

वकीलों की हड़ताल के कारण खुद करनी पड़ी पैरवी
 
Bhopal । म प्र शासन महिला बाल विकास विभाग केअंतर्गत संचालित संभागीय बाल भवनों में संविदा आधार पर अनुदेशक नियुक्त कर संगीत नृत्य अभिनय खेल कंप्युटर का प्रशिक्षण दिया जाता है । इन संविदा कर्मियों द्वारा मात्र रू 9961प्रतिमाह मासिक वेतन पर अपनी सेवाऐं दी जा रही हैं
संचालक महिला बाल विकास विभाग भोपाल द्वारा 8 दिसंबर 2022 को इन संविदा कर्मियों की सेवाएं समाप्त करने के निर्देश देते हुए नये सिरे से नियुक्ती की कारवाई करने के आदेश 8 दिसंबर 2022 को जारी किए थे संविदा कर्मचारियों ने इस संबंध मे ऊच्च न्यायालय म प्र जबलपुर में याचिका दायर की । वकीलों की हड़ताल के चलते हाईकोर्ट न्यायालय के समक्ष याचिका कर्ता संविदा कर्मचारी सुनील कुमार श्रीवास्तव ने ने अपना पक्ष रखा कि हम विगत 2012 से लगातार संविदा पर महिला बाल विकास विभाग के अंतर्गत बाल भवन में अनुदेशक शिक्षक संगतकार आदि पदों पर अपनी सेवाएं दे गए थे हमने अपना काम निष्ठा एवं समर्पण भाव से काम किया हम आगे आदेश में उल्लेख था कि प्रतिवर्ष आपकी सेवाएं को देखते हुए इनका नवीनीकरण किया जाएगा लेकिन 5 जून 2018 की संविदा नीति जो कि मध्यप्रदेश सामान्य प्रशासन विभाग ने जारी की थी उसके तहत हमने अपने वेतन और भत्तों की मांग की जिसको लेकर फाइल आगे बढ़ी जब संचालक के पास पहुंची तो उन्होंने मध्यप्रदेश शासन सामान्य प्रशासन विभाग 5 जून 2028 की संविदा नीति के तहत 90 परसेंट वेतन और अन्य सुविधाएं देने की बजाय उस नस्ती पर या उल्लेख कर दिया कि इनकी सेवाएं 31 मार्च को समाप्त करते हुए नई भर्ती कर ली जाए ।म प्र शासन दायर की प्रकरण की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश संजय द्विवेदी की एकल पीठ ने संचालक महिला बाल विकास विभाग के आदेश को स्थगित करते हुए सात दिन मे जवाब मांगा है । स्मरण हो कि म प्र मे अधिवक्ताओं की हडताल चल रही है। पक्षकार सुनील श्रीवास्तव ने बताया कि न्यायालय मे सुनवाई के दौरान हम लोग स्वयं उपस्थित हुए न्यायालय ने हमारा पक्ष सुनते हुए उपरोक्त स्थगन आदेश जारी किए हैं हम समस्त कर्मचारी लगभग चौदह वर्ष से पूरे प्रदेश के बाल भवनों मे कार्य कर रहे हैं। मध्य प्रदेश संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौड़ एवंश्री सुनील श्रीवास्तव ने बताया कि हमे मप्रशासन द्वारा5जून2018के आदेश के अनुसार रेगुलर वेतनमान का नब्बे प्रतिशत भी नही दिया जा रहा है जबकि पर्यवेक्षकों को यह दिया जा रहा है सुनील श्रीवास्तव के अनुसार अब हम उम्र के उस पडाव पर पहुंच गये हैं कि नोकरी के लिए कही अप्लाई नही कर सकते सिवाय मजदूरी करने के प्रकरण मे अधिवक्ता सुधा पंडित एवं श्रेयस पंडित हैं
 

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