Madhya Pradesh

अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस पर मजदूर एवं कर्मचारियों की रैली एवं प्रभावी सभा आयोजित

 सभा में शिकागो के अमर शहीदों के संघर्ष से प्राप्त श्रम कानूनों की रक्षा करने का संकल्प लिया

भोपाल । 1 मई दिवस समारोह समिति भोपाल के आह्वान पर राजधानी भोपाल के विभिन्न श्रमिक संगठनों – इंटक, एटक, सीटू, एआईयूटीयूसी, एचएमएस,बैंक, बीमा, केंद्र, राज्य, राज्य निगम मंडल, बीएसएनएल ,मेडिकल रिप्रजेंटेटिव, पेंशनर्स एसोसिएशंस, हम्माल मजदूर सभा ,आंगनवाड़ी, लेखक, संस्कृति कर्मी, रंगकर्मी, किसान, महिला, छात्र, नौजवान आदि से संबंधित सैकड़ों मजदूर, कामगार, कर्मचारी, अधिकारी सोमवार 1मई शाम 6 बजे नीलम पार्क जहांगीराबाद भोपाल में एकत्रित हुए। उन्होंने “दुनिया के मेहनतकशों एक हो” “शिकागो के अमर शहीदों को लाल सलाम”* “अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस जिंदाबाद” आदि इंकलाबी नारों के साथ शिकागो के अमर शहीदों की शहीद बेदी पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि प्रदान की । इस दौरान नीलम पार्क रंग-बिरंगे लाल रंग के पोस्टर्स, बैनर एवं प्ले कार्ड्स से रंगीन एवं कलरफुल नजर आ रहा था। मेहनतकशों की लाल रंग की ड्रेस आकर्षण का केंद्र थी। उत्साही एवं इंकलाबी मेहनतकशों ने अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस एवं अपनी मांगों के समर्थन में जोरदार नारेबाजी कर प्रभावी प्रदर्शन किया। तत्पश्चात नीलम पार्क के अंदर एक रैली निकालकर सभा का आयोजन किया गया। सभा को विभिन्न श्रमिक संगठनों के पदाधिकारियों वी के शर्मा, एस एस मौर्या, शैलेंद्र शर्मा, राम अवतार शर्मा,यशवंत पुरोहित, जे पी दुबे, टी के टिग्गा, महेन्द्र यादव, जी सी जोशी,भगवान स्वरुप कुशवाह, दीपक रत्न शर्मा, रूप सिंह चौहान, पी एन वर्मा, एस सी जैन, आर एस बघेल, हीरालाल सालीवाल, संदीप बेलकर, गणेश दत्त जोशी, विजय मिश्रा आदि ने संबोधित किया। वक्ताओं ने कहा कि आज से 137 साल पहले 1 मई 1986 को अमेरिका के शिकागो शहर में 8 घंटे कार्य दिवस की मांग को लेकर हजारों मजदूरों ने लड़ते हुए अपने प्राणों का बलिदान दिया था। उसके परिणाम स्वरुप ही मजदूरों ने 8 घंटे कार्य दिवस की मांग हासिल करने में सफलता प्राप्त की थी। उसके बाद हुए अंतर्राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन में लिए गए निर्णय के अनुसार 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाने का जो निर्णय लिया गया था उसे दुनिया भर के मजदूर “दुनिया के मजदूरों एक हो” का नारा लगाते हुए, पूरी शिद्दत के साथ मनाते आ रहे हैं। उन्होंने कहा देश में वर्तमान हालात ठीक नहीं है। कामगारों एवं ट्रेड यूनियनों पर हमले हो रहे हैं। संघर्षों से प्राप्त 44 श्रम कानूनों में से 27 को समाप्त कर 4 श्रम संहिताओं (लेबर कोडस्) में इन्हें बदल दिया गया है। इन लेबर कोडस् के लागू होने से अधिकांश मजदूर कानूनी सुरक्षा प्रावधानों के दायरे से बाहर हो जाएंगे। मालिकों/प्रबंधन को बेरोकटोक छटनी, ले – ऑफ़, क्लोजर व लॉकआउट करने का हक मिल जाएगा। जो कि कामगार एवं ट्रेड यूनियन विरोधी है। महंगाई, बढ़ती बेरोजगारी के कारण लोगों का जीना मुश्किल हो गया है। सरकार निजीकरण के एजेंडा को तेजी से आगे बढ़ा रही है और नेशनल मॉनिटाइजेशन पाइपलाइन पॉलिसी के माध्यम से करीब करीब सारी सार्वजनिक संपत्तियों को देसी विदेशी पूंजी पतियों को सौंपने की कोशिश में जुटी हुई है। 

हम देख रहे हैं आक्रमण बहु स्तरीय हैं और यह केवल एक ट्रेड यूनियन एवं सार्वजनिक संस्थान तक सीमित नहीं है। बल्कि यह हमले संपूर्ण ट्रेड यूनियनों एवं सार्वजनिक संस्थानों पर हो रहे हैं । इन हमलों को संयुक्त आंदोलनों के माध्यम से ही रोका जा सकता है। इस कारण सभी संघर्षशील ट्रेड यूनियनों को आपस में भाईचारा बनाते हुए संयुक्त संघर्ष के आगामी सभी कार्यक्रमों में अपने सदस्यों की अधिक से अधिक भागीदारी के साथ शामिल होना है।

मई दिवस के अवसर पर मजदूरों ने अपनी निम्न मांगों को :-

चार लेबर कोड (श्रम संहिताओं)को समाप्त करो, रक्षा क्षेत्र में हड़ताल पर रोक लगाने वाले कानून -ईडीएसए को निरस्त करो, कृषि कानूनों के रद्द होने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा से किए गए वायदों को पूरा करो, किसी भी रूप मे निजीकरण स्वीकार नहीं, निजीकरण और नेशनल मोनेटाइजेशन प्लान को निरस्त करो, गैर आयकर दाता परिवारों को प्रतिमाह ₹7500/ नगद एवं मुफ्त राशन सहायता प्रदान करो, मनरेगा के लिए आवंटन में वृद्धि और शहरी क्षेत्रों में रोजगार गारंटी योजना का विस्तार करो, सभी अनौपचारिक क्षेत्र कामगारों को सार्वभौम सामाजिक सुरक्षा दो, अनौपचारिक क्षेत्र को औपचारिक करो, आंगनवाड़ी, आशा, मध्याह्न भोजन और अन्य योजना वर्करों को मजदूर का दर्जा देकर उनके लिए वैधानिक न्यूनतम वेतन और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करो, कोरोना महामारी के बीच लोगों की सेवा करने वाले फ्रंटलाइन वर्करों के लिए उचित सुरक्षा एवं बीमा प्रदान करो, राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने और सुधारने के लिए वेल्थ टैक्स आदि के माध्यम से अमीरों पर टैक्स लगाकर कृषि, शिक्षा ,स्वास्थ्य और अन्य महत्वपूर्ण सार्वजनिक उपयोगिताओं (पब्लिक यूटिलिटीज) मैं सरकारी निवेश में वृद्धि करो, पेट्रोलियम उत्पादों पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में पर्याप्त कमी की जाए, मूल्य वृद्धि को रोकने के लिए ठोस उपचारात्मक उपाय किए जाएं, संविदा कर्मियों, योजना कर्मियों का नियमितीकरण करो और समान काम के लिए समान वेतन प्रदान करो, नयी पेंशन स्कीम को निरस्त करो, पुरानी पेंशन स्कीम बहाल करो, कर्मचारी पेंशन योजना के तहत न्यूनतम पेंशन में पर्याप्त वृद्धि करो, आदि पुनः केंद्र सरकार के सामने रखा। सभा के अंत में शिकागो के अमर शहीदों के संघर्ष से प्राप्त श्रम कानूनों की रक्षा करने का भी संकल्प लिया गया।

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