Madhya Pradesh

बड़ा वही है जिसे झुकना आता है:पँ.अवधेश व्यास

 

मनुष्य की दुर्गति का कारण उसकी इन्द्रियों पर काबू न होना है…

आरोन। ब्लॉक के ग्राम रामा का पुरा मैं आयोजित संगीतमय श्री मद भागवत कथा के षष्टम दिवस कथावाचक पँ.अवधेश व्यास ने बताया कि सभी मनुष्य को अपनी इन्द्रियों का सोच समझकर प्रयोग करना चाहिए। मनुष्य की दुर्गति तभी हो रही है जब मनुष्य किसी भी इन्द्रि का प्रयोग बिना सोचे समझे कर रहा है। 

मनुष्य किसी भी चीज का दुरूपयोग करेगा तो वो दुःख ही पायेगा। 

भगवान ने हमें वाणी दी है , हम उसका दुरूपयोग किसी को गाली और अपशब्द करने में कर रहा है। 

मोबाइल ने मनुष्य का नजरिया ही बदल दिया है, हम इसका इस्तेमाल गलत चीजों में कर रहे है। 

भगवान की दी हुई इन्द्रियों का जब तक हम सदुपयोग नहीं करेंगे हमारा कल्याण नहीं होगा। 

बड़ा वही है जिसे झुकना आता है। 

अपने देश के प्रति सब को वफादार रहने चाहिए, अपने भगवान के प्रति सबको निष्ठावान रहना चाहिए, अपने माता-पिता के प्रति सबको कृतघन रहना चाहिए, बड़ों के प्रति विनम्र बना रहना चाहिए, मेरे जीते जी मेरे देश को कोई नुक्सान नहीं पंहुचा सकता इस विचार के साथ सबको जीना चाहिए। 

इस संसार में कोई किसी को दुख नहीं देता है, अगर कोई दुख देता है तो वो तुम्हारी आशा है।

कथाव्यास पँ.अवधेश व्यास जी ने कथा का वृतांत सुनाते हुए कहा कि बिना साधना के भगवान का सानिध्य नहीं मिलता। द्वापर युग में गोपियों को भगवान श्री कृष्ण का सानिध्य इसलिए मिला, क्योंकि वे त्रेता युग में ऋषि – मुनि के जन्म में भगवान के सानिध्य की इच्छा को लेकर कठोर साधना की थी। शुद्ध भाव से की गई परमात्मा की भक्ति सभी सिद्धियों को देने वाली है। जितना समय हम इस दुनिया को देते हैं, उसका 5% भी यदि भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में लगाएं तो भगवान की कृपा निश्चित मिलेगी। पूज्य श्री ने कहा कि गोपियों ने श्री कृष्ण को पाने के लिए त्याग किया परंतु हम चाहते हैं कि हमें भगवान बिना कुछ किये ही मिल जाये, जो की असम्भव है। महाराज श्री ने बताया कि शुकदेव जी महाराज परीक्षित से कहते हैं राजन जो इस कथा को सुनता हैं उसे भगवान के रसमय स्वरूप का दर्शन होता हैं। उसके अंदर से काम हटकर श्याम के प्रति प्रेम जाग्रत होता हैं। जब भगवान प्रकट हुए तो गोपियों ने भगवान से 3 प्रकार के प्राणियों के विषय में पूछा। 1 . एक व्यक्ति वो हैं जो प्रेम करने वाले से प्रेम करता हैं। 2 . दूसरा व्यक्ति वो हैं जो सबसे प्रेम करता हैं चाहे उससे कोई करे या न करे। 3 . तीसरे प्रकार का प्राणी प्रेम करने वाले से कोई सम्बन्ध नही रखता और न करने वाले से तो कोई संबंध हैं ही नही। आप इन तीनो में कोनसे व्यक्ति की श्रेणियों मेंआते हो? 

भगवान ने कहा की गोपियों! जो प्रेम करने वाले के लिए प्रेम करता हैं वहां प्रेम नही हैं वहां स्वार्थ झलकता हैं। केवल व्यापर हैं वहां। आपने किसी को प्रेम किया और आपने उसे प्रेम किया। ये बस स्वार्थ हैं। दूसरे प्रकार के प्राणियों के बारे में आपने पूछा वो हैं माता-पिता, गुरुजन। संतान भले ही अपने माता-पिता के , गुरुदेव के प्रति प्रेम हो या न हो। लेकिन माता-पिता और गुरु के मन में पुत्र के प्रति हमेशा कल्याण की भावना बनी रहती हैं। लेकिन तीसरे प्रकार के व्यक्ति के बारे में आपने कहा की ये किसी से प्रेम नही करते तो इनके 4 लक्षण होते हैं- आत्माराम- जो बस अपनी आत्मा में ही रमन करता हैं। पूर्ण काम- संसार के सब भोग पड़े हैं लेकिन तृप्त हैं। किसी तरह की कोई इच्छा नहीं हैं। कृतघ्न – जो किसी के उपकार को नहीं मानता हैं। गुरुद्रोही- जो उपकार करने वाले को अपना शत्रु समझता हैं। श्री कृष्ण कहते हैं की गोपियों इनमे से मैं कोई भी नही हूँ। मैं तो तुम्हारे जन्म जन्म का ऋणियां हूँ। सबके कर्जे को मैं उतार सकता हूँ पर तुम्हारे प्रेम के कर्जे को नहीं। तुम प्रेम की ध्वजा हो। संसार में जब-जब प्रेम की गाथा गाई जाएगी वहां पर तुम्हे अवश्य याद किया जायेगा। श्रीमद् भागवत कथा के सप्तम दिवस द्वारिका लीला, सुदामा चरित्र, परीक्षित मोक्ष, व्यास पूजन पूर्णाहुति का वृतांत सुनाया जाएगा।

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