डॉक्टरों की दो घंटे कि संयुक्त हड़ताल से ही बिगड़ गये हालात
– हॉस्पिटल और मेडिकल कॉलेज में 2 घंटे बंद रही ओपीडी, परेशान हुए मरीज
– डीएसीपी नीति लागू नहीं हुई तो होगा अनिश्चितकालीन आंदोलन
भोपाल । अपनी विभिन्न मॉगो को लेकर मध्य प्रदेश के सभी शासकीय अस्पतालो और मेडिकल कॉलेज में काम करने वाले डॉक्टरों का आंदोलन जारी है। आंदोलन के दूसरे दिन डॉक्टरों ने सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजे बजे तक काम बंद हड़ताल कर डीएसीपी लागू करने की मांग की। राजधानी भोपाल में भी डॉक्टर्स ने काम बंद कर अपने-अपने कार्यस्थल पर सांकेतिक धरना देकर विरोध दर्ज करवाया। गौरतलब है कि इस काम बंद हड़ताल में प्रदेश भर के 10 हजार डॉक्टर्स समेत 3 हज़ार से अधिक जूनियर डॉक्टर्स चौदह सौ एनएचएम संविदा डॉक्टर्स और एक हजार से अधिक बोंडेड डॉक्टर्स एक साथ सयुंक्त रुप से शामिल है, सभी की मॉग अन्य राज्यों की तर्ज पर डीएसीपी नीति लागू करने, मेडिकल वर्क में प्रशासनिक अधिकारियों की दखलंदाजी कम करने और विभागीय विसंगतियां दूर करने की है। गौरतलब है कि चिकित्सा शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग और भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास विभाग के डॉक्टर्स ने मप्र शासकीय स्वशासी चिकित्सक महासंघ की अगुवाई में 1 मई को आंदोलन की शुरुआत की है। आंदोलन के पहले दिन डॉक्टर्स ने सरकारी नीतियों के विरोध में काली पट्टी बांधकर काम किया था। अगले दिन मंगलवार को सभी डॉक्टर ने 2 घंटे काम बंद हड़ताल करने के बाद चेतावनी दी है, कि यदि समय रहते उनकी मांगों पर विचार नहीं हुआ तो अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। डॉक्टर्स की 2 घंटे तक चली हड़ताल के दौरान भोपाल के 1250 हॉस्पिटल, हमीदिया अस्पताल सहित अन्य अस्पतालो के वार्डो में भर्ती और यहॉ अपनी बीमारी का इलाज कराने के लिये आये मरीजों को खासा परेशान होना पड़ा। डॉक्टर्स ने सुबह 11 बजते ही अपनी, कुर्सियों और केबिनो को छोड़ दिया। ओपीडी (आउट पेशेंट डिपार्टमेंट) और आईपीडी (इन पेशेंट डिपार्टमेंट) बंद कर दी। मध्यप्रदेश शासकीय स्वशासी चिकित्सक महासंघ के संयोजक डॉ. राकेश मालवीय ने बताया कि प्रदेश सरकार के साथ लंबे समय से मांगों को लेकर बातचीत का दौर जारी था, लेकिन सरकार हमें लेकर गंभीर नहीं है। इस कारण मंगलवार को दो घंटे की सांकेतिक काम बंद हड़ताल की है। यदि शाम तक कोई संतोषजनक कार्रवाई नहीं हुई तो बुधवार से मेडिकल एजुकेशन और स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर्स अनिश्चिकालीन हड़ताल शुरू करेंगे। डॉक्टरों की प्रमुख मांगो में केंद्र, बिहार एवं अन्य राज्यों की तरह प्रदेश के डॉक्टर्स के लिए डीएसीपी योजना का प्रावधान, स्वास्थ्य विभाग, चिकित्सा शिक्षा विभाग एवं ईएसआई की वर्षों से लंबित विभागीय विसंगतियां दूर किये जाने, चिकित्सकीय विभागों में तकनीकी विषयों पर प्रशासनिक अधिकारियों का हस्तक्षेप दूर करने, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत कार्यरत संविदा चिकित्सकों की एमपीपीएससी के माध्यम से की जाने वाली नियुक्ति, चयन प्रक्रिया में प्रतिशत परिधि को समाप्त कर संशोधन करने और जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के ग्रेजुएशन के बाद ग्रामीण सेवा बॉन्ड राशि और ट्यूशन फीस जो कि देश में सर्वाधिक है को कम करने सहित विभाग में कार्यरत समस्त बंधपत्र डॉक्टरों का वेतन समकक्ष संविदा डॉक्टरों के समान किये जाने की मांगे शामिल है।