Madhya Pradesh

वर्जिनिटी और प्रेगनेंसी टेस्ट बेटियों के अधिकारों का उल्लंघन

 भो

पाल । मध्यप्रदेश में महिलाओं के सुरक्षा को लेकर इतनी चिंताजनक तस्वीर दिख रही है। शिवराज सरकार के द्वारा कन्या विवाह योजना में बेटियों के “वर्जिनिटी और प्रेगनेंसी टेस्ट” कराने का फैसला अत्यंत विवादास्पद है। इसे लेकर जनता में बहुत से सवाल उठ रहे हैं कि क्या इससे बेटियों के अधिकारों का उल्लंघन नहीं हो रहा है?

 मध्यप्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष संगीता शर्मा इन घटनाओं से बेहद चिंतित हैं और वे भाजपा सरकार के उटपटांग नियमों के विरुद्ध भी हैं। इससे साफ होता है कि इस मुद्दे को लेकर सरकार के साथ विपक्षी दल भी जोड़कर इसे लेकर चर्चा करनी चाहिए ताकि महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कुछ सकारात्मक कदम उठाए जा सकें।

संगीता शर्मा ने कहा है कि बेटियों का सम्मान और महिलाओं के अधिकारों का संरक्षण समाज के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस मामले में, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जी को इस मुद्दे को तत्काल संज्ञान में लेने की जरूरत है और जरूरी कार्रवाई करनी चाहिए।

हमें सभी लोगों को समान अधिकार और सम्मान की आवश्यकता होती है, इसलिए महिलाओं और बेटियों के सम्मान को सुनिश्चित करने के लिए नियमों का उत्तम रूप से पालन किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री जी के द्वारा इस मुद्दे पर संज्ञान लेने से न केवल बेटियों और महिलाओं को सम्मान मिलेगा, बल्कि समाज को भी इस तरह की गलत सोच से मुक्ति मिलेगी।

मुख्यमंत्री जी के द्वारा संख्याबल की जाने वाली कार्रवाई एक बड़ी संदेश होगी कि उन्हें बेटियों की सुरक्षा और महिलाओं के सम्मान की रक्षा करने के लिए तत्पर होना चाहिए। मुख्यमंत्री जी की निगरानी और कार्यवाही आवश्यक है। हालांकि, इस मुद्दे को सुलझाने के लिए एकल समाधान नहीं हो सकता है। संबंधित अधिकारिकों द्वारा नीतियों और नियमों का पालन किया जाना चाहिए ताकि समाज में स्त्रियों के सम्मान का पूरा सम्मान किया जा सके। इस समस्या का हल उन्हें एकल रूप से हल नहीं किया जा सकता है। इसमें सभी की भागीदारी और सहयोग की जरूरत है।

आगे संगीता शर्मा ने कहा है कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जी को तत्काल इस मामले को संज्ञान लेते हुए इस तरह के नियम पर तत्काल रोक लगाना चाहिए। 18 सालों से मुख्यमंत्री ना तो बेटियों को सुरक्षा दे पा रहे हैं और ना ही आधी आबादी महिलाओं के सम्मान को बचा पा रहे हैं यदि मुख्यमंत्री जी इस पर कार्यवाही नहीं करते हैं तो उन्हें तत्काल अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।

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