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दुनिया के 8 देश……जहां नदी नहीं, लेकिन पानी की कोई किल्लत नही

नई दिल्ली । नदियां ऐतिहासिक रूप से सभ्यताओं की जीवन रेखा रही हैं। दुनिया की जितनी बड़ी सभ्यताएं हैं उनका जन्म नदियों के किनारे ही हुआ है। पानी जीवन के लिए जरूरी है, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि कुछ देश हैं जहां एक भी प्राकृतिक नदी नहीं हैं। ये देश पानी के वैकल्पिक स्रोतों पर निर्भर रहते हैं। वर्तमान में, 20 देशों और 22 क्षेत्रों में एक भी स्थायी प्राकृतिक नदी का अभाव है। हालांकि कुछ धाराएं या तालाबों जैसे मौसमी जलस्रोत हैं। दुनिया भर में अरब प्रायद्वीप ऐसा है जहां कोई स्थायी प्राकृतिक नदी नहीं है।
ये आठ देश: सऊदी अरब, कतर, संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत, बहरीन, मालदीव, ओमान वेटिकन सिटी है।
सऊदी अरब : सऊदी अरब, दुनिया के सबसे बड़े देशों में से एक है जहां एक भी नदी नहीं है। अपने विशाल रेगिस्तान के बावजूद, सऊदी अरब ने उन्नत जल प्रबंधन रणनीतियां विकसित की हैं। देश डिसेलिनेशन (समुद्री या खारे जल को पीने योग्य बनाना) पर बहुत अधिक निर्भर करता है। लगभग 70 प्रतिशत पीने का पानी इसी तरह उत्पादित होता है। इसके अतिरिक्त, सऊदी अरब भूमिगत जलस्रोत का दोहन करता है और सऊदी ने वेस्ट वॉटर सिस्टम और रियूज्ड वॉटर सिस्टम में काफी निवेश किया है।
कतर : अरब प्रायद्वीप पर एक छोटे, लेकिन समृद्ध देश कतर में भी नदी का अभाव है। देश की जल आपूर्ति लगभग पूरी तरह डिसेलिनेशन प्लांट से होती है, जो 99 प्रतिशत से अधिक पीने योग्य पानी प्रदान करते हैं। कतर की प्रति व्यक्ति जल खपत दर दुनिया में सबसे अधिक है। इसके यहां जल संरक्षण टेक्नालॉजी में महत्वपूर्ण निवेश और एफिशिएंट जल उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए जन जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं।
संयुक्त अरब अमीरात : संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), जो दुबई और अबू धाबी जैसे अपने समृद्ध शहरों के लिए मशहूर है, अरब में एक और बिना नदी वाला देश है। यूएई अपनी पानी की जरूरतों के लिए मुख्य रूप से डिसेलिनेशन पर निर्भर है। इस विधि के माध्यम से अपने पीने योग्य पानी का लगभग 80 प्रतिशत उत्पादन करता है। देश सिंचाई और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए ट्रीटेड वेस्ट वॉटर का भी उपयोग करता है, जिससे मीठे पानी के संसाधनों के संरक्षण में मदद मिलती है।
कुवैत : अरब की खाड़ी के उत्तरी सिरे पर स्थित कुवैत में नदियां नहीं हैं और कुवैत को अपने पड़ोसियों की तरह ही जल संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। देश डिसेलिनेशन प्लांटों पर निर्भर है, जो इसके ताजे पानी की अधिकांश आपूर्ति करते हैं। कुवैत ने कड़े जल संरक्षण उपायों को भी लागू किया है और कृषि सिंचाई के लिए ट्रीटेड वेस्ट वॉटर का उपयोग करता है।
बहरीन: फारस की खाड़ी में एक द्वीप राष्ट्र बहरीन में प्राकृतिक नदियों का अभाव है, लेकिन कई झरने और भूजल संसाधन हैं। हालांकि, ये देश की जरूरतों को पूरा करने के लिए अपर्याप्त हैं। परिणामस्वरूप, बहरीन काफी हद तक डिसेलिनेशन पर निर्भर है, जो इस 60 प्रतिशत से अधिक ताजा पानी उपलब्ध कराता है। देश जल-बचत तकनीकों और एफिशिएंट यूज प्रैक्टिस को भी बढ़ावा देता है।
मालदीव: मालदीव, हिंद महासागर में एक द्वीपसमूह है। चारों ओर समुद्र से घिरे होने के अपने भूगोल के कारण यहां कोई नदी नहीं है। देश अपनी तरह की जल चुनौतियों का सामना कर रहा है। विशेष रूप से बढ़ते समुद्र के स्तर से इसके मीठे पानी के स्रोतों को खतरा है। मालदीव अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए वर्षा जल संचयन, डिसेलिनेशन और बोतलबंद पानी के आयात पर निर्भर है।
ओमान : दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित ओमान में कोई स्थायी नदियां नहीं हैं, बल्कि कई घाटियां हैं। सूखी नदियां जो बारिश के दौरान पानी से भर जाती हैं। ओमान इनका उपयोग ग्राउंडवॉटर रिचार्ज के लिए करता है। देश डिसेलिनेशन पर भी निर्भर है और अपने जल संसाधनों को कुशलतापूर्वक प्रबंधित करने के लिए उसने उन्नत सिंचाई तकनीकों को लागू किया है।
वेटिकन सिटी : वेटिकन सिटी, दुनिया का सबसे छोटा स्वतंत्र राज्य है, लेकिन इसकी सीमाओं के भीतर कोई नदी नहीं है। शहर-राज्य अपनी आवश्यकताओं के लिए इतालवी जल आपूर्ति पर निर्भर करता है। अपने छोटे आकार के बावजूद, वेटिकन सिटी सस्टेनिबल वॉटर यूज पर जोर देता है, जिसमें वॉटर सेविंग फिक्सचर की स्थापना और इसके निवासियों और आगंतुकों के बीच कंजर्वेशन प्रैक्टिस को बढ़ावा देना शामिल है।

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