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हिंदी पत्रकारिता दिवस पर भोपाल प्रेस क्लब का आयोजन

हिंदी के लिए शुरुआत परिवार से ही करनी होगी: बोकिल
भोपाल। हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर भोपाल प्रेस क्लब के तत्वावधान में आज संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार अजय बोकिल ने की। संगोष्ठी में हिंदी पत्रकारिता की दशा और दिशा पर चर्चा हुई। अध्यक्ष संजय सक्सेना ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि आज हिंदी पत्रकारिता संघर्ष के दौर से गुजर रही है। अखबारों की स्थिति बहुत चिंताजनक है। हिंदी भाषा के साथ समस्या ये है कि हमारे परिवारों से हिंदी गायब होती जा रही है। इसलिए हमें शुरुआत अपने परिवार से ही करनी होगी। कार्यक्रम के अध्यक्ष अजय बोकिल ने कहा कि आज वातावरण कुछ ऐसा हो गया है कि बचपन से ही हिंदी अंग्रेजी मिलिजुली भाषा प्रयुक्त की जाती है। हिंदी भाषी राज्यों के स्कूलों में ही हिंदी अच्छी नहीं पढ़ाई जाती। अखबारों में पहले प्रूफ रीडिंग की व्यवस्था थी और इसके लिए अच्छी हिंदी वालों को ही रखा जाता था। आज ये व्यवस्था पूरी तरह से बंद हो गई है। इस मामले में बहुत परिवर्तन की आवश्यकता है।
मुख्य वक्ता अरुण दीक्षित ने कहा कि हिंदी पत्रकारिता तो रसातल मेंं ही चली गई है। आज हिंदी अखबारों को बंद करने की साजिश चल रही है। और इसमें केवल सत्ता ही नहीं, अखबारों का प्रबंधन भी शामिल है। हिंदी पत्रकारिता को जिंदा रखना है तो पहले हिंदी को जिंदा रखना होगा। हिंदी में कई शब्द अंग्रेजी के आ गए हैं, उनसे कोई ऐतराज नहीं, लेकिन हिंदी की खबरों में यदि क्लिस्ट अंग्रेजी के शब्दों का प्रयोग किया जाता है, तो दिक्कत है। वरिष्ठ अलीम बज्मी ने आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस पर चर्चा की, जिसके चलते अखबारों में हिंदी पत्रकारों की नौकरी ही संकट में पड़ गई है। उन्होंने कहा कि हिंदी पत्रकारिता को जिंदा रखने के लिए मिलकर प्रयास करने होंगे। वरिष्ठ पत्रकार अरुण पटेल ने भी हिंदी की शुद्धता और सरलता पर जोर दिया। साथ ही कहा कि हम अपने आसपास से शुरुआत कर सकते हैं। सोशल मीडिया पर भी इसके लिए अभियान चलाया जा सकता है।
इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार सतीश सक्सेना, नासिर हुसैन, प्रकाश कुमार सक्सेना, परवेज खान, हाकम सिंह, डीएन पांडे, सैयद नासिर अली, जगत बहादुर सिंह, ओपी श्रीवास्तव, गोपी बलवानी, संजय सोनी आदि मौजूद रहे। अंत में भोपाल प्रेस क्लब के सचिव विजय शर्मा ने आभार व्यक्त किया।

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