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भाजपा नेत्री ममता यादव की मौत बनी रहस्य, यूपी-एमपी पुलिस के बीच फंसी जांच

भोपाल। अशोकनगर के चंदेरी तहसील के मोड़ा गांव की रहने वाली भाजपा नेत्री ममता यादव की लाश पिछले 9 माह पहले प्रयागराज में पाई गई थी। इस घटना की जांच यूपी और एमपी पुलिस के बीच उलझी हुई है।

पिछले वर्ष, ममता यादव ने अपने भाई को बताया था कि वह प्रयागराज जाकर किसी से सात लाख रुपये लेना है। इसके बाद, 23 सितंबर को उनके भाई ने चंदेरी थाने में उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। 25 सितंबर को प्रयागराज के मंदा पुलिस को ममता यादव की लाश मिली थी, लेकिन पुलिस ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।

ममता यादव के भाई ने दिग्विजय सिंह से मुलाकात की और मामले की जानकारी दी। जांच अधिकारी डांगी ने बताया कि इस मामले में संजय द्विवेदी का नाम सामने आया है और यह भी खुलासा हुआ है कि किसी राजनेता के माध्यम से 20 लाख रुपये का लेन-देन हुआ है, जिससे यह प्रतीत होता है कि यह हत्या राजनीतिक कारणों से हुई है।

इसके अतिरिक्त, ममता यादव के गायब होने से 10 दिन पहले उन्होंने 86 बार किससे बात की थी, यह भी जांच का विषय है। मध्य प्रदेश डायरी और विधानसभा की वेबसाइट पर दर्ज एक नंबर, जो पूर्व मंत्री ब्रजेंद्र सिंह यादव के नाम से संबंधित है, भी सवालों के घेरे में है। कॉल डिटेल्स आने के बाद भी पुलिस ने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की, यह भी एक बड़ा सवाल है।

यूपी और एमपी पुलिस अब इन सभी सवालों के जवाब ढूंढने में जुटी है, जिससे यह मामला और भी पेचीदा बन गया है।

**क्या ममता यादव की हत्या राजनीतिक षड्यंत्र का हिस्सा है? यूपी और एमपी पुलिस की जांच से उम्मीदें।**

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