National

सख्त हुआ दिल्ली हाई कोर्ट, कहा- दिव्यांगों को आरक्षण से मना नहीं कर सकते निजी संस्थान

नई दिल्ली । दिव्यांगों के हित में दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा है कि कोई भी निजी शैक्षणिक संस्थान दिव्यांगों को आरक्षण से वंचित नहीं कर सकता है। सभी निजी संस्थान दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम-2016 के दायरे में आते हैं। न्यायमूर्ति सी हरीशंकर की पीठ ने गुरु गोविंद सिंह इन्द्रप्रस्थ विश्वविद्यालय (आईपीयू) को निर्देश दिया है कि बौद्धिक मंदता से पीड़ित छात्र को दिव्यांगता आरक्षण के तहत दाखिला दिया जाए। छात्र ने बीए-एलएलबी कोर्स में दाखिले के लिए आवेदन किया था, लेकिन आईपीयू ने कई कारण बताते हुए छात्र को दाखिला देने से इनकार कर दिया था।
विश्वविद्यालय ने छात्र के दिव्यांगता प्रमाणपत्र पर सवाल खड़ा किया था। पीठ ने इस पर विश्वविद्यालय को कहा है कि वह अपीलीय प्राधिकरण की तरह काम नहीं कर सकता। छात्र का दिव्यांगता प्रमाणपत्र डॉक्टर बाबा साहेब अम्बेडकर हॉस्पिटल द्वारा जारी किया गया है। इस पर सवाल नहीं उठाया जा सकता। छात्र का 12 साल सात महीने की उम्र में मानसिक परीक्षण मनोचिकित्सक से कराया गया था। मनोचिकित्सक ने छात्र को हल्की मानसिक मंदता का शिकार बताया था। इसके बाद छात्र का मानसिक मंदता का प्रमाणपत्र जारी किया गया था। इसके बाद पीड़ित ने अपने पिता के माध्यम से उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। विश्वविद्यालय का कहना था कि छात्र की तरफ से पहले कमजोर आय निजी वर्ग के तहत दाखिले के लिए आवेदन किया गया था। बाद में इसे बदलकर दिव्यांगता आरक्षण श्रेणी के तहत आवेदन किया किया। हाईकोर्ट ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि छात्र बौद्धिक मंदता का शिकार है। इस लिहाज से वह दिव्यांगता आरक्षण के तहत दाखिले का आवेदन करने का हकदार है। पीठ ने कहा कि आईपीयू छात्र को वह तमाम लाभ दे, जो दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम- 2016 उसे मिलने चाहिए।
दिव्यांग के पिता ने याचिका में कहा कि याचिकाकर्ता ने अपने बौद्धिक रूप से मंद बेटे को पांच वर्षीय बीए-एलएलबी कोर्स में दाखिले के लिए आवेदन किया था, लेकिन विश्वविद्यालय ने संस्थान के स्व-पोषित होने का हवाला देते हुए दिव्यांग श्रेणी में दाखिला देने से इनकार कर दिया था। साथ ही छात्र की दिव्यांगता श्रेणी को लेकर भी मुद्दा उठा। पीठ ने कहा कि छात्र बेशक बौद्धिक रूप से मंद है, लेकिन उसके चिकित्सा दस्तावेज बताते हैं कि वह शैक्षणिक स्तर पर अच्छा प्रदर्शन करता रहा है। छात्र ने 12 कक्षा सीबीएसई बोर्ड से उर्तीण की है। दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम- 2016 के तहत सरकारी व निजी शैक्षणिक संस्थानों में दिव्यांग छात्रों के लिए पांच फीसदी का आरक्षण निर्धारित है। उच्च न्यायालय ने कहा कि इसके तहत प्रत्येक निजी और सरकारी संस्थान को यह आरक्षण देना ही होगा।

Related Articles