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दिग्विजय का मोदी को पत्रः नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़ा में शिवराज-सारंग की जांच हो

भोपाल । दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़ा में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग की जांच के दायरे में लेने की मांग की है। उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि जांच CBI की SIT बनाकर हाईकोर्ट के सिटिंग जज से कराई जाए।

दिग्विजय सिंह ने चिकित्सा शिक्षा विभाग को भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने की आवश्यकता बताई। उन्होंने बताया कि व्यापमं, नर्सिंग, और पैरामेडिकल विभाग में भ्रष्टाचार की बढ़ती हुई घटनाओं के बारे में चिंता है।

उन्होंने यह भी जिक्र किया कि जब पूरे देश कोरोना से जूझ रहा था, तब चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने 300 फर्जी नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता दे दी थी। यह नियमों के खिलाफ था, जबकि नियम है कि बिल्डिंग 3000 स्क्वायर फिट होना चाहिए, 100 बिस्तर का अस्पताल होना चाहिए। जहां एमएससी नर्सिंग कोर्स है, वहां सुपर स्पेशलिटी अस्पताल होना चाहिए।

उनके साथ-साथ शिक्षकों का मध्यप्रदेश नर्सिंग काउंसिल में रजिस्ट्रेशन होना चाहिए। इन सब चीजों को ताक पर रखकर इन्होंने 300 नर्सिंग कॉलेज खोल दिए थे। जबकि यह नियम राजपत्र में प्रकाशित कर दिए गए थे। उस समय एक काउंटर खुल गया था पैसा दो और नर्सिंग कॉलेज खोलने की मंजूरी लो।


माइग्रेट फैकल्टी से मिली नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता इस मामले को लेकर कुछ लोगों ने हाई कोर्ट में रिट पिटीशन लगाई। पहले हमारे एक मित्र वकील उमेश बोहरे ने ग्वालियर हाईकोर्ट में पिटीशन लगाई थी। उसके बाद मिलन सिंह और फिर अभी रवि परमार ने पिटीशन लगाई है। जितनी भी अहर्ताएं थीं। नियम के अनुसार उन सबका उल्लंघन किया गया है। फर्जी माइग्रेट फैकल्टी नियुक्त कर दीं। उनसे यह तक नहीं पूछा कि आपके पास डिग्री है या नहीं। ऑनलाइन उन्होंने टाइप कर दिया या जो भी रिकॉर्ड दे दिया उससे नर्सिंग कॉलेज खुल गया। यूपी बिहार से लड़के फीस जमा करा जाते हैं और डिग्री ले जाते हैं।

भ्रष्टाचारियों ने सीबीआई के लोगों को पटा लिया

दिग्विजय सिंह ने कहा- मैं उच्च न्यायालय को बधाई देना चाहता हूं जिन्होंने इस केस को सीबीआई को रेफर किया। लेकिन इन लोगों ने सीबीआई के लोगों को भी पटा लिया। यहां तक की सीबीआई ने अपने ही लोगों के ऊपर न केवल कार्रवाई की बल्कि उनको बर्खास्त
के ऊपर न केवल कार्रवाई की बल्कि उनको बर्खास्त कर दिया। लेकिन, हमारे मध्य प्रदेश की सरकार ने सीबीआई के जो अधिकारी डेपुटेशन पर इसकी जांच कर रहे थे केवल एक व्यक्ति पर कार्रवाई की।

दिग्विजय सिंह ने कहा- एक एडिशनल एसपी हैं
दीपक पुरोहित, उनका काम इन्वेस्टिगेशन करने का था। लेकिन, उन्होंने खुद नर्सिंग कॉलेज में जांच करके परमिशन दे दी। जो उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं था। वह भी उन्होंने कर लिया। माइग्रेट फैकल्टी के अनाप-शनाप रूप से नाम दे दिए और यह पूरा मामला हुआ है।

एसआईटी बनाकर हाईकोर्ट के सिटिंग जज को शामिल कर जांच करे CBI

मैं तो सीबीआई के डायरेक्टर को बधाई देना चाहता हूं और प्रधानमंत्री, गृहमंत्री जी से कहना चाहता हूं जिन्होंने कम से कम एक प्रकरण में सख्ती से कार्रवाई की है। जिससे लगा है कि सीबीआई वाकई में भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है। मैं तो यह मांग करता हूं कि सीबीआई में ही स्पेशल इन्वेस्टिगेटिव टीम बनाएं और ईमानदार अधिकारियों को शामिल करें। चूंकि, मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने इस मामले को आगे बढ़ाया है। तो उनके सिटिंग जज के नियंत्रण में पूरी जांच होनी चाहिए।

CBI ने व्यापमं के जो केस बंद कर दिए उनकी फिर से जांच हो

सीबीआई ने व्यापमं के दोषी अपराधियों के केस क्लोज कर दिए हैं उनको भी पुनः जांच के लिए खोलना चाहिए। व्यापमं के बहुत सारे केस सीबीआई ने राज्य सरकार पर छोड़ दिए थे उन्होंने केवल इंजीनियरिंग मेडिकल कॉलेज की भर्ती के मामले लिए थे। लेकिन, सरकारी भर्तियों में नियुक्ति के केस उन्होंने नहीं लिए थे। उनको भी एसआईटी के अंतर्गत जांच में लेना चाहिए।

दिग्विजय सिंह ने कहा- मेरा यह स्पष्ट आरोप है कि इस पूरे भ्रष्टाचार में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और मंत्री विश्वास सारंग शामिल हैं। इनको भी जांच के दायरे में लेना जरूरी है। मेडिकल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर, नर्सिंग काउंसिल के रजिस्ट्रार और जो भी सदस्य हैं। इन सबको जांच के दायरे में लेने की जरूरत है।

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