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दिलीप मंडल ने ओवैसी से मांगी माफी: “जय फिलिस्तीन” पर संसद में आपत्ति वापस ली

वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने कहा, “जय फिलिस्तीन” पर संसद में कोई आपत्ति नहीं, मैं भी अपनी आपत्ति वापस लेता हूँ”

नई दिल्ली, । वरिष्ठ पत्रकार और लेखक दिलीप मंडल ने असदुद्दीन ओवैसी से माफी मांगते हुए “जय फिलिस्तीन” पर अपनी आपत्ति वापस ली है। मंडल ने कहा कि भारतीय संविधान की शपथ के दौरान ओवैसी के “जय फिलिस्तीन” कहने पर लोकसभा के सभापति, संसदीय कार्य मंत्री, कैबिनेट मंत्री, विभिन्न दलों के सांसद और लोकसभा सचिवालय के अधिकारियों ने कोई आपत्ति नहीं जताई, इसलिए उन्होंने भी अपनी आपत्ति वापस ले ली है।

दिलीप मंडल का बयान:

“बैरिस्टर ओवैसी, मैं आपसे माफ़ी माँगता हूँ। आपके द्वारा भारतीय संविधान की शपथ लेने के दौरान ‘जय फ़िलिस्तीन’ कहने पर लोकसभा के सभापति/प्रोटेम स्पीकर, संसदीय कार्य मंत्री, तमाम कैबिनेट मंत्री, विभिन्न दलों के सांसद और लोकसभा सचिवालय के अधिकारियों को कोई समस्या नहीं है, ऐसे में मैं भी अपनी आपत्ति वापस लेता हूँ।”

संविधान के रक्षक मौन:

मंडल ने कहा कि जिन लोगों को सबसे पहले आपत्ति होनी चाहिए थी, वही मौन हैं। उन्होंने कहा, “आप संविधान के जानकार होकर बोल गए, बाकी सब ख़ामोश रहे तो मैं किससे शिकायत करूँ? सवाल सिर्फ़ ये है कि जय फ़िलिस्तीन कल जय चीन या जय पाकिस्तान बन जाए तो आप लोग सँभाल लेना।”

धर्म और राष्ट्र के बीच चुनाव:

मंडल ने कहा कि धर्म और राष्ट्र के बीच चुनने का सवाल आने पर उनके लिए भारतीय राष्ट्र सबसे ऊपर है। उन्होंने डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की थीसिस “थॉट्स ऑन पाकिस्तान” का जिक्र करते हुए कहा कि इस समस्या पर आंबेडकर ने भी लिखा है कि भारत में यह समस्या आएगी। मंडल ने कहा कि बाबा साहब का राष्ट्र संबंधी मूल लेखन स्कूली सिलेबस में होना चाहिए ताकि हर बच्चे को इसे पढ़ने का मौका मिले।

मुख्य बातें:

– दिलीप मंडल ने माफी मांगी: ओवैसी के “जय फिलिस्तीन” पर आपत्ति वापस ली।
– संविधान के रक्षक मौन: लोकसभा के सभापति, कैबिनेट मंत्री और अन्य अधिकारी मौन रहे।
– धर्म और राष्ट्र का मुद्दा: मंडल ने आंबेडकर की थीसिस का जिक्र किया और कहा कि राष्ट्र उनके लिए सबसे ऊपर है।
– शिक्षा में आंबेडकर का लेखन: मंडल ने सुझाव दिया कि आंबेडकर का राष्ट्र संबंधी लेखन स्कूली सिलेबस में शामिल होना चाहिए।

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