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अरुणाचल और असम में भारी बारिश से बाढ़ की स्थिति

केंद्रीय गृहमंत्री शाह ने ली समीक्षा बैठक
नई दिल्ली । अरुणाचल और असम में भारी बारिश के कारण सामान्य जन-जीवन अस्त व्यस्त है। प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि अरुणाचल की राजधानी ईटानगर में सुबह बादल फटने से कई जगह भूस्खलन हुआ और बाढ़ आ गई है। हालांकि, पिछले कुछ हफ्तों में अरुणाचल प्रदेश में भारी बारिश के बावजूद पिछले दो दिनों में मौसम में सुधार हुआ है। अभी बारिश का कोई पूर्वानुमान नहीं है।
अधिकारियों ने बताया कि बादल फटने की घटना सुबह करीब 10:30 बजे हुई, जिससे ईटानगर और आस-पास के इलाकों में कई जगह भूस्खलन हुआ। आपदा प्रबंधन अधिकारी ने बताया कि राजधानी की कनेक्टिविटी के लिए महत्वपूर्ण एनएच-415 पर बाढ़ जैसी स्थिति बन गई, जिससे कई वाहन फंस गए।
ईटानगर में भारी बारिश के कारण एनर्जी पार्क और बैंक तिनाली इलाकों के आस-पास के घर जलमग्न हो गए। वहीं, जिला प्रशासन ने लोगों को नदियों या भूस्खलन वाले क्षेत्रों में ना जाने की सलाह दी है और भारी बारिश के कारण सुरक्षित क्षेत्रों में जाने का आग्रह किया है।
आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव दानी सालू ने बताया कि ईटानगर में कई सड़कें क्षतिग्रस्त हुई हैं। एनएच-415 के कुछ हिस्से जलमग्न हो चुके हैं, जिससे यातायात बुरी तरह बाधित हुआ है। उन्होंने बताया कि अभी तक किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। हालांकि, संपत्ति के नुकसान का आकलन विभागीय अधिकारियों द्वारा क्षेत्र मूल्यांकन के बाद होगा। इसके अलावा स्थानीय लोगों से मॉनसून के दौरान सावधानी बरतने को कहा गया है।
असम में बाढ़ से हालात हुए बेकाबू
असम में मॉनसून आने के बाद से ही लगातार भारी बारिश हो रही है, जिसके कारण कई इलाके जलमग्न हो गए हैं। हालांकि, असम में बाढ़ की स्थिति में सुधार हुआ हैं, क्योंकि आठ जिलों में बाढ़ से प्रभावित लोगों की संख्या घटकर दो लाख हो गई। असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एएसडीएमए) के अनुसार, बाजाली, बारपेटा, कछार, दरांग, गोलपारा, कामरूप, करीमगंज और नलबाड़ी जिलों में 2,07,500 से अधिक लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं।
वहीं करीमगंज बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित है, जहां 1.1 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। इसके बाद कछार में लगभग 52,500 और दरांग में करीब 30,000 नागरिक बाढ़ के पानी से प्रभावित हुए हैं। वहीं, शनिवार तक राज्य के 11 जिलों में 2.6 लाख से अधिक लोग बाढ़ से पीड़ित थे। आधिकारिक जानकारी के मुताबिक, इस साल बाढ़, भूस्खलन और तूफान में जान गंवाने वाले लोगों की कुल संख्या 39 है।
इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि बाढ़ से निपटने कृषि, सिंचाई और पर्यटन को विकसित करने में मदद के लिए ब्रह्मपुत्र नदी के पानी को मोड़ने के लिए पूर्वोत्तर क्षेत्र में करीब 50 बड़े तालाब बनाए जाने चाहिए। शाह ने बाढ़ और जल प्रबंधन के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा प्रदान की गई उपग्रह इमेजरी के उपयोग पर भी जोर दिया है।
केंद्रीय गृह मंत्री शाह के सुझाव पर सीएम हिमंत बिस्वा सरमा का कहना है कि उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक के दौरान ही बाढ़ के हालातों के देखकर फैसला होगा। लोगों को नुकसान पहुंचाए बिना बाढ़ प्रबंधन हो। सीएम ने बताया कि बैठक में ब्रह्मपुत्र से बाढ़ के पानी को मोड़ने के लिए बड़े तालाब बनाने से लेकर बाढ़ के प्रभाव को कम करने, पर्यटन को बढ़ावा देने और क्षेत्र में जल स्तर को रिचार्ज करने जैसे अहम फैसले लिए गए हैं।

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