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जाने क्यों ……….देश के ये 10 बड़े शहर बने लोगों के लिए क्रबगाह

नई दिल्ली । हर व्‍यक्ति जिंदगी को सुख-सुविधाओं से जीने के लिए बड़े शहरों में रहना चाहता है। लेकिन ये बड़े शहर अब लोगों के लिए क्रबगाह बनाते जा रहे हैं। भारत के कई बड़े शहर गर्मी के निशाने पर हैं। इसकारण पिछले 12 सालों में इन शहरों में हजारों लोगों की जान हीट वेव यानि भीषण लू और गर्मी की वजह से चली गई है।
देश के 10 बड़े या मेट्रो शहरों दिल्‍ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्‍नई, अहमदाबाद, हैदराबाद, बंगलुरू, पुणे, शिमला, वाराणसी के आंकड़ों को इकठ्ठा कर हुई स्‍टडी बताती है कि साल 2008 से लेकर 2019 तक इन शहरों में हर साल करीब 1116 लोगों की मौत भीषण हीट वेव से हुई है। रिपोर्ट बताती है कि एक दिन में बहुत ज्‍यादा तापमान की वजह से 12.2 फीसदी रोजाना मृत्‍यु दर बढ़ी है। तीन दिन लगातार तेज गर्मी रहने पर मृत्‍यु दर 17.8 फीसदी और लगातार 5 दिन तक इतना ही गर्म मौसम रहने पर मृत्‍यु दर में 19.4 फीसदी की बढ़ोत्‍तरी देखी गई है।
स्‍टडी के अनुसार 10 शहरों में से छह शहरों में भीषण गर्मी की वजह से मौतों का प्रतिशत ज्‍यादा रहा है। इसमें दिल्‍ली, अहमदाबाद, कोलकाता, हैदराबाद, चेन्‍नई और वाराणसी शामिल हैं। जबकि टॉप थ्री शहरों में दिल्‍ली, अहमदाबाद और चेन्‍नई हैं, जहां आसमान से बरसती आग ने हजारों जानें लील लीं।
जानकार डॉक्टर कहते हैं कि हीट वेव में कार्डियोवैस्‍कुलर बीमारियां मौतों का प्रमुख कारण रही हैं। 65 साल से ऊपर के लोग और बच्‍चे हीट वेव के आसान शिकार रहे हैं। हीट वेव की वजह से होने वाले डिहाइड्रेशन की वजह से कार्डियो की समस्‍याएं हुईं और किडनी फेल हुईं, जिससे लोगों की मौतें हुई। वहीं एक अन्य डॉक्टर कहते हैं कि 39 डिग्री सेल्सियस से ज्‍यादा बॉडी टेंपरेचर शरीर पर खराब असर डालता है, जबकि 40 डिग्री सेल्‍स‍ियस या 104 डिग्री फारेनहाइट से ऊपर पहुंचने पर यह शरीर के न्‍यूरोनल फंक्‍शन को लकवा ग्रस्‍त भी बना सकता है।
भारतीय मौसम विभाग के पूर्व अधिकारी कहते हैं कि हर साल हीट वेव में लगातार हो रही बढ़ोत्‍तरी जलवायु परिवर्तन और ग्‍लोबल वॉर्मिंग की वजह से है। इतना ही नहीं शहरों में बड़े स्‍तर पर हो रहा कंस्‍ट्रक्‍शन कार्य और प्रदूषण भी गर्मी को बढ़ाने में मददगार है। जितना कांक्रीट का जंगल फैल रहा है, जबकि पेड़-पौधों की संख्‍या कम हो रही है। इसलिए जरूरी है कि एक्‍सट्रीम हीट से बचाव के लिए पेड़ पौधों को लगाने के साथ ही पर्यावरणीय संतुलन बनाने की जरूरत है।

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