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सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली डेवलपमेंट अथॉरिटी को पेड़ काटने पर कड़ी फटकार लगाई

नई दिल्ली । साउथ दिल्ली के रिज एरिया में बिना परमिशन पेड़ काटे जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सोमवार ने दिल्ली डेवलपमेंट अथॉरिटी (डीडीए) को रिज एरिया में पेड़ काटे जाने कड़ी फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में पेड़ काटे जाने जैसे बेशर्मीपूर्ण काम को हल्के में नहीं लिया जा सकता है। शीर्ष अदालत ने डीडीए के वाइस चेयरमैन से यह साफ करने के लिए कहा कि उन्होंने लेफ्टिनेंट गवर्नर (एलजी) के ऑर्डर पर पेड़ काटे हैं? कोर्ट ने डीडीए के 3 अधिकारियों को अवमानना नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने अवमानना कार्यवाही में रिज प्रबंधन बोर्ड और दिल्ली वन विभाग को भी शामिल किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हम इस मामले की सच्चाई जानना चाहते हैं। आखिर किसके निर्देशों पर पेड़ काटे गए। क्या एलजी के निर्देशों पर पेड़ काटे गए? अदालत ने डीडीए के वाइस चेयरमैन से पूछा कि क्या एलजी वीके सक्सेना के 3 फरवरी के दौरे का कोई रिकॉर्ड है? दौरे के बाद क्या हुआ था?
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ये चौंकाने वाला है कि बिना इजाजत 1100 बेशकीमती पेड़ काट दिए गए। हम डीडीए के उन कामों की डिटेल जांच का प्रस्ताव देते हैं। जिनकी वजह से इकोसिस्टम का विनाश हुआ। राजधानी में इस तरह के बेशर्मी भरे कामों को अदालत हल्के में नहीं ले सकती।
कोर्ट ने कहा, अगर अधिकारी अपने वैधानिक और संवैधानिक कर्तव्यों का पालन नहीं कर रहे हैं, तो अदालत को सभी अधिकारियों को स्पष्ट संकेत देना होगा कि पर्यावरण को इस तरह से नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता। हम हैरत में हैं कि न्यायिक अफसर कैसे डीडीए में कानूनी सलाहकार हैं। क्या ये न्यायपालिका की निष्पक्षता और स्वतंत्रता के खिलाफ नहीं है? अदालत ने दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को इस मामले को देखने को कहा है। अगली सुनवाई बुधवार को होगी।
इस बीच रिज क्षेत्र में सड़क का काम बंद कर दिया गया है। फोरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया देहरादून को कितने पेड़ काटे गए और कितना नुकसान हुआ। इसका सर्वे करने के निर्देश दिए गए हैं। शीर्ष अदालत ने कहा, हमारा विचार है कि डीडीए की ओर से काटे गए एक पेड़ के बदले में 100 नए पेड़ लगाने होंगे। अलग से पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को भी कानून के मुताबिक कार्रवाई करनी होगी। रिज क्षेत्र में काम के लिए अदालत की अनुमति लेनी होगी।

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