भोपाल के नवगीतकार मनोज जैन मधुर को मिला पहला माहेश्वर तिवारी नवगीत सृजन सम्मान
भोपाल ।भोपाल के युवा नवगीतकार मनोज जैन मधुर को साहित्यिक संस्था ‘हरसिंगार’ की ओर से देश का पहला माहेश्वर तिवारी नवगीत सृजन सम्मान प्रदान किया गया। यह सम्मान सुप्रसिद्ध नवगीतकार माहेश्वर तिवारी की जयंती के अवसर पर आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में दिया गया।
आयोजन की प्रमुख झलकियां
इस सम्मान समारोह का आयोजन गौड़ ग्रेशियस काँठ रोड स्थित ‘हरसिंगार’ भवन में किया गया। इस अवसर पर मुरादाबाद के वरिष्ठ शायर ज़मीर दरवेश को ग़ज़ल विधा में श्रेष्ठ अवदान के लिए माहेश्वर तिवारी ग़ज़ल सृजन सम्मान 2024 प्रदान किया गया।
सम्मान एवं पुरस्कार
साहित्यकारों को अंगवस्त्र, प्रतीक चिन्ह, मानपत्र, श्रीफल तथा सम्मान राशि देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर माहेश्वर तिवारी के ग़ज़ल-संग्रह ‘धूप पर कुहरा बुना है’ का भी लोकार्पण किया गया।
कार्यक्रम के प्रमुख अतिथि
कार्यक्रम की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध कवि डॉ. मक्खन मुरादाबादी ने की। मुख्य अतिथि के रूप में सुप्रसिद्ध शायर डॉ. मंसूर उस्मानी उपस्थित रहे, जबकि विशिष्ट अतिथियों में प्रयागराज के वरिष्ठ नवगीतकार यश मालवीय और नोएडा की सुप्रसिद्ध कवयित्री भावना तिवारी शामिल थीं। कार्यक्रम का संचालन योगेन्द्र वर्मा व्योम ने किया।
सांगीतिक आरंभ और कविताएँ
कार्यक्रम का शुभारंभ सुप्रसिद्ध संगीतज्ञा बालसुंदरी तिवारी और उनकी संगीत छात्राओं द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से हुआ। इसके बाद माहेश्वर तिवारी के कुछ प्रसिद्ध गीतों की संगीतमय प्रस्तुति की गई, जैसे “याद तुम्हारी जैसे कोई कंचन कलश भरे…”, “मन का वृंदावन हो जाना कितना अच्छा है…” और “डबडबाई है नदी की आँख बादल आ गए हैं…”
भावपूर्ण स्मरण और काव्य गोष्ठी
कार्यक्रम के दूसरे चरण में पावस गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न साहित्यकारों ने अपने काव्य पाठ से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। इस दौरान, मनोज जैन ‘मधुर’ की पंक्तियाँ “सुख के दिन छोटे-छोटे से, दुख के बड़े-बड़े। सबके अपने-अपने सुख हैं, अपने-अपने दुखड़े। फीकी हँसी हँसा करते हैं, सुंदर-सुंदर मुखड़े।” ने सभी को आह्लादित कर दिया।
उपस्थित साहित्य प्रेमी
इस कार्यक्रम में शहर के कई साहित्य प्रेमी भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम के संयोजन में बालसुंदरी तिवारी, आशा तिवारी और समीर तिवारी का विशेष योगदान रहा, जिन्होंने आभार व्यक्त किया।
समापन
इस सम्मान समारोह ने साहित्यिक विरासत और नवाचार को प्रोत्साहित करने का महत्वपूर्ण कार्य किया और आने वाले समय में ऐसे और भी आयोजन करने की प्रेरणा दी।