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इंदौर में पाम तेल पर सम्मेलन

स्वास्थ्य, पोषण और स्थिरता से जुड़े मुद्दों पर होगी चर्चा
इंदौर, मध्य प्रदेश । पाम तेल के सम्बंध में सार्वजनिक धारणाओं को बदलने के उद्देश्य से सॉलिडरिडाड संस्था और एशियन पाम ऑयल एलायंस द्वारा 28 जून को इंदौर के ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में कार्यशाला का आयोजन किया गया है। यह कार्यशाला भारत सरकार के खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक आवश्यक कदम है। इसका उद्देश्य पाम तेल के स्वास्थ्य और पर्यावरणीय प्रभाव के बारे में भ्रामक जानकारियों को दूर करना है। कार्यशाला में अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर के पाम तेल से जुड़े शोधकर्ता, पोषण-विशेषज्ञ, नीति निर्माता, उद्योग, चिकित्सक एवं उपभोगकर्ता पाम ऑयल से संबंधित भ्रामक जानकारी को तोड़ते हुए वास्तविक वैज्ञानिक तथ्यों को प्रतिभागियों के समक्ष रखेंगे। इस कार्यशाला के साथ ही एक प्रदर्शनी का आयोजन भी किया गया है जिसमे कई नामी कॉम्पनियाँ ऐसे उत्पादों को प्रदर्शित करेंगे जिसके निर्माण में पाम तेल का उपयोग होता हो।
उल्लेखनीय है कि भारत पाम तेल का सबसे बड़ा आयातक देश है। प्रतिवर्ष लगभग 90 लाख मीट्रिक टन तेल इंडोनेशिया और मलेशिया जैसे देशों से आयात किया जाता है। भारत सरकार द्वारा आत्मनिर्भर भारत योजना के तरह राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन- ऑयल पाम की घोषणा की गयी है।
एशियन पाम ऑयल एलायंस के अध्यक्ष श्री अतुल चतुर्वेदी ने कहा, “भारत वैश्विक स्तर पर पाम ऑयल का सबसे बड़ा आयातक है, पिछले दो दशकों में हमारी खपत 230% बढ़ गई है। यह संगोष्ठी वैज्ञानिक शोध निष्कर्षों के माध्यम से पाम ऑयल के आहार लाभों के बारे में लोगों को शिक्षित करेगी, जिससे मिथकों को समाप्त किया जा सके।
सॉलिडरिडाड, एशिया के प्रबंध निदेशक डॉ. शतद्रु चट्टोपाध्याय ने कहा,  “भ्रामक जानकारी के कारण, पाम ऑयल को काफी समय से अनुचित निंदा का सामना करना पड़ा है। अब इसको बदलने का समय है और इंदौर में होने वाला आगामी सम्मेलन लोगो की सोच में बदलाव लाएगा। खाद्य तेलों के आयात पर भारत की भारी निर्भरता एक गंभीर मुद्दा है जिसे संबोधित करने की आवश्यकता है। हमारे देश में ८० प्रतिशत खाद्य तेल प्रतिवर्ष आयात होता है जिसकी कीमत लगभग 60,000 करोड़ हैं, जिससे हमारे कोष को भारी नुकसान होता है। यदि हम ऑयल पाम की खेती के क्षेत्र को 3.6 लाख हेक्टेयर से बढ़ाकर एक मिलियन हेक्टेयर कर देते हैं; तो हम सालाना 280 अरब रुपये से अधिक मुद्रा की बचत कर सकते हैं।”
सॉलिडरिडाड के क्षेत्रीय प्रमुख और एशियन पाम ऑयल एलायंस के महासचिव डॉ. सुरेश मोटवानी ने कहा, “स्थायी पाम ऑयल उत्पादन भारत की खाद्य तेल आत्मनिर्भरता में योगदान देता है और लाखों किसानो की आजीविका सुनिश्चित करता है। पाम ऑयल में सैचुरेटेड वसा के साथ अनसैचुरेटेड वसा का उचित संतुलन होता है और इसमें विटामिन ई और बीटा कैरोटीन जैसे आवश्यक पोषक तत्व भी होते हैं।  हम सम्मेलन के दौरान स्वस्थ्य संवाद के माध्यम से लोगों को पाम तेल के प्रति जागरूक करेंगे। 

आचार्य एनजी रंगा कृषि विश्वविद्यालय की पूर्व डीन और पोषण विशेषज्ञ डॉ. विजया खादेर ने कहा, “पाम ऑयल विटामिन ए और ई से भरपूर होता है, जो प्रतिरक्षा और स्वस्थ त्वचा के लिए आवश्यक हैं। भ्रामक समाचार और मिथकों के विपरीत, यह मानव शरीर में फ्री रेडिकल लॉस से लड़ने के लिए एंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर होता है।”
गोदरेज एग्रोवेट लिमिटेड के ऑयल पाम बिजनेस सीईओ सौगाता नियोगी ने कहा, “भारतीय ऑयल पाम  की खेती वनों की कटाई से मुक्त है, क्योंकि केवल कृषि भूमि में ही पाम की खेती की अनुमति है। पाम किसानों को 20 से अधिक वर्षों के लिए आय का एक सुनिश्चित स्रोत प्रदान करता है, ऑयल पाम उन्हें अंतर-फसल के माध्यम से आय का एक वैकल्पिक स्रोत भी प्रदान करते हैं, जो क्षेत्र में जैव विविधता को बढ़ाने में सहायता करता है।”

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