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मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार का सैलाब: बस अधिग्रहण में करोड़ों का घोटाला

भोपाल : मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार और घोटालों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। हाल ही में परिवहन अधिकारियों और ट्रेवलिंग एजेंसियों ने मिलकर बस अधिग्रहण में करोड़ों रुपए का घोटाला किया है। इस घोटाले में लूना सुपर, मोटरसाइकिल, ट्रैक्टर, ट्रक, टाटा सुमो, मारुति वैन, टाटा मैजिक जैसे वाहनों के पंजीयन नंबरों को बस दर्शाकर भुगतान लिया गया।

पांच साल से दबा जांच का मामला

भले ही जांच के आदेश दिए जा चुके हों, लेकिन परिवहन आयुक्त कार्यालय के भ्रष्ट अधिकारियों ने पिछले पांच वर्षों से इस मामले को दबा रखा है। भोपाल के परिवहन अधिकारी संजय तिवारी ने इस मामले के पकड़ में आने के बाद परिवहन आयुक्त कार्यालय के पत्रों का जवाब देने से भी परहेज किया है। स्थिति इतनी विकट है कि परिवहन मंत्रालय के पत्रों का जवाब भी नहीं दिया जा रहा है, जो इस मिलीभगत की ओर इशारा करता है।

सेवानिवृत्ति से पहले फाइलें गायब

भोपाल के क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी संजय तिवारी, जो जून में सेवानिवृत्त हो रहे हैं, ने घोटाले की कई फाइलें गायब कर दी हैं। उन्होंने कई बसों के निर्माण वर्ष बदलकर भी उनकी फाइलें गायब करने का कारनामा किया है। बसों के टैक्स में भी करोड़ों का घोटाला किया गया है। इसके बावजूद, वे पिछले 13 सालों से भोपाल में पदस्थ रहने का रिकॉर्ड बनाए हुए हैं।

शिकायतें दर्ज, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं

दर्जनों शिकायतें दर्ज होने के बावजूद, कोई कार्रवाई नहीं की गई है। यह स्थिति मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार के बढ़ते हुए प्रभाव और प्रशासनिक अनियमितताओं को उजागर करती है।


मध्य प्रदेश में बस अधिग्रहण घोटाले ने एक बार फिर प्रशासनिक भ्रष्टाचार को उजागर किया है। जब तक इस मामले की गंभीरता से जांच नहीं की जाती और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं होती, तब तक प्रदेश में भ्रष्टाचार का यह सिलसिला यूं ही जारी रहेगा।

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