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कटनी की झिन्ना खदान का वन भूमि प्रकरण: वर्णवाल ने बदला कंसोटिया का आदेश

भोपाल ।अपर मुख्य सचिव वन अशोक वर्णवाल ने पूर्व एसीएस वन जेएन कंसोटिया के उस आदेश को पलट दिया है, जिसमें कटनी जिले की तहसील ढीमरखेड़ा के ग्राम झिन्ना की खदान के मामले में सुप्रीम कोर्ट से एसएलपी वापस लेने का आदेश दिया गया था। कंसोटिया ने इस आदेश को तत्काल अमल में लाने के लिए डीएफओ कटनी को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था। यह तथ्य उल्लेखनीय है कि जब वर्णवाल प्रमुख सचिव वन थे, तब उन्होंने भी एसएलपी वापस लेने का आदेश जारी किया था। अब वही बता सकते हैं कि वे तब सही थे या फिर अब।

गत दिवस वन विभाग के अपर मुख्य सचिव अशोक वर्णवाल ने वन मुख्यालय को निर्देश दिए हैं कि यदि यह केस अब तक वापस नहीं लिया गया है, तो केस वापस लेने की कार्रवाई आगामी आदेश तक रोक दी जाए। वर्णवाल के आदेश के बाद वन विभाग में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर किस अदृश्य शक्ति के दबाव में आकर पूर्व एसीएस कंसोटिया ने एसएलपी वापस लेने का आदेश जारी किया था। एसएलपी वापस लेने संबंधी आदेश जारी करने के पूर्व, 13 अक्टूबर 2023 को अपर मुख्य सचिव वन कंसोटिया की अध्यक्षता में एक विशेष बैठक बुलाई गई थी। बैठक में सचिव वन अतुल कुमार मिश्रा, पदेन सचिव अशोक कुमार, तत्कालीन वन बल प्रमुख आरके गुप्ता, तत्कालीन पीसीसीएफ वर्किंग प्लान अतुल कुमार श्रीवास्तव और अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक भू अभिलेख डॉ. वीएस अन्नागिरी भी उपस्थित थे। यह बैठक ग्राम झिन्ना एवं हरैया तहसील ढीमरखेड़ा जिला कटनी में स्वीकृत खनिज पट्टे विवाद के निराकरण के लिए बुलाई गई थी।

सुप्रीम कोर्ट में 2017 से लंबित मामला

– 2017: सुप्रीम कोर्ट ने प्रकरण को केंद्रीय साधिकार कमेटी (सीईसी) को जांच रिपोर्ट देने के लिए निर्देशित किया।
– सीईसी रिपोर्ट: आवंटित खनिज पट्टे की भूमि राजस्व भूमि ही है।
– 2019: कलेक्टर कटनी के समक्ष डीएफओ द्वारा भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 17 के अंतर्गत अपील की।
– 2020: मुख्य सचिव ने न्यायालयीन प्रक्रिया से प्रदेश के राजस्व में सतत हानि हो रही है, इसलिए एसएलपी वापस लेने का निर्देश दिया।
– 2021: डीएफओ कटनी ने कलेक्टर न्यायालय में अपील वापस ले ली।
– 2022: तत्कालीन प्रमुख सचिव वन अशोक वर्णवाल ने एसएलपी वापस लेने का निर्णय लिया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में उसे प्रस्तुत नहीं किया गया। एसएलपी वापस लेने की प्रक्रिया 2022 से शुरू हुई और फिर थम गई।

क्या है मामला?

कटनी के खनन कारोबारी आनंद गोयनका को मध्य प्रदेश की तत्कालीन दिग्विजय सरकार के कार्यकाल में 1994 से 2014 तक की अवधि के लिए 48.562 हेक्टेयर भूमि पर खनिज करने का पट्टा मिला था। 1999 में, मध्य प्रदेश शासन के खनिज विभाग के आदेश से यह पट्टा आनंद गोयनका के पक्ष में हस्तांतरित किया गया था। लेकिन 2000 में वन मंडल अधिकारी कटनी के पत्र के आधार पर कलेक्टर कटनी ने आदेश पारित कर खनन पर रोक लगा दी थी।

### वन भूमि का इतिहास

ग्राम झिन्ना की भूमि जमींदारी उन्मूलन के बाद 1955 में वन विभाग को 774.05 एकड़ भूमि प्रबंधन में मिली थी, जिसे 1958 में संरक्षित वन घोषित किया गया था। 2007 में, वन मंडल झिन्ना के अंतर्गत ग्राम झिन्ना के खसरा नम्बर 320 में कुल रकबा 153.60 एकड़ क्षेत्र अधिसूचित किया गया। लेकिन विभिन्न आदेशों में उक्त भूमि को वन भूमि मानने से इंकार किया गया।

अभी यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और वन विभाग इसे वापस लेने की प्रक्रिया में है। देखना होगा कि आगे क्या निर्णय लिया जाएगा।

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