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प्रधानमंत्री का मौन रहना: देश को मानसिक अवसाद में धकेल सकता है?

प्रधानमंत्री जी, छात्रों और युवाओं के मुद्दों पर सामने आकर बात करें। भर्ती प्रवेश परीक्षाओं में धांधली और पेपर लीक जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर आंदोलन कर रहे छात्रों से प्रधानमंत्री का संवाद न करना क्या उचित है? देश के प्रधानमंत्री का, न तो आंदोलन कर रहे किसानों से बात करना, न ही उन छात्रों से जो भारत का भविष्य हैं, और न ही उन राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महिला खिलाड़ियों से बात करना, जो यौन शोषण के खिलाफ दिल्ली की सड़कों पर धरना दे रही थीं, उचित है?

बेतहाशा महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर भी प्रधानमंत्री का मौन रहना चिंताजनक है। भर्ती प्रवेश परीक्षाओं में धांधली और पेपर लीक जैसे गंभीर मुद्दों पर भी प्रधानमंत्री की चुप्पी सही है क्या?

केंद्रीय शिक्षा मंत्री से पेपर लीक मामले में इस्तीफा न लेना और किसान आंदोलन के दौरान गाड़ी चढ़ाने के आरोपी मंत्री के बेटे के पिता, जो गृह राज्य मंत्री हैं, से इस्तीफा न लेना, क्या यह निर्णय सही हैं? अंतरराष्ट्रीय महिला पहलवानों द्वारा सांसद ब्रज भूषण पर गंभीर आरोप लगाने के बावजूद उसके पुत्र को सांसद का टिकट देना, क्या यह न्यायसंगत है?

ये कुछ ऐसे उदाहरण हैं जो किसी भी सभ्य समाज के नागरिक को मानसिक तनाव में डाल सकते हैं।

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