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राजस्थान विधानसभा उपचुनाव में सीएम भजनलाल शर्मा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई थी, जीत से बढ़ा सियासी कद

जयपुर
राजस्थान विधानसभा उपचुनाव में सीएम भजनलाल शर्मा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई थी, लेकिन चुनाव परिणाम से उन्हें बड़ी राहत मिली है। 7 में से 5 सीटें बीजेपी ने जीत ली है। एक सीट कांग्रेस और एक सीट पर बाप को जीत हासिल हुई है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि चुनाव परिणाम से साफ जाहिर होता है कि जनता सीएम भजनलाल सराकर के कामकाज से खुश है। सरकार की नीतियों पर जनता ने मुहर लगा दी है।

राजस्थान में भजनलाल सरकार के कार्यकाल का पहला साल दिसंबर में पूरा हो रहा है। इससे पहले ही ये नतीजे आए है। इसलिए परिणाम भजनलाल शर्मा के सियासी कद से भी जोड़ा गया है। नतीजे पक्ष में आए है तो भजनलाल शर्मा बड़े फैसले ले पाएंगे।सियासी जानकारों का कहना है कि विधानसभा उपचुनाव की जीत का प्रदेश की राजनीति पर दूर तक असर पड़ेगा। परदे के पीछे विरोधी खेमा सक्रिया था, वह अब शांत हो जाएगा। सीएम भजनलाल के धुर विरोधी हमलावर नहीं होंगे।

राजनीतिक विश्वलेषकों का कहना है कि विधानसभा उपचुनाव परिणामों का विधानसभा में बहुमत बल पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। क्योंकि बीजेपी के पास बहुमत से ज्यादा विधायक है। दूसरी तरफ विधानसभा में कांग्रेस की सीटें कम हो गई है। क्योंकि 5 सीटें कांग्रेस के पास थी। जानकारों का कहना है कि चुनाव राजस्थान में पद, कद और प्रतिष्ठा की लड़ाई थी।

सीएम भजनलाल शर्मा सरकार को एक साल पूरे होने है। ऐसे में विधानसभा उपचुनाव में जीत से उन्हें संजीवनी मिली है। सियासी जानकारों का कहना है कि उपचुनाव के रिजल्ट के बाद बीजेपी आलाकमान पहली पंसद बने रहेंगे। राजनीतिक विश्लेषक पहले ऐसा मान रहे थे कि शायद दो साल बाद पार्टी आलाकमान राजस्थान में सीएम बदल सकता है। लेकिन माना जा रहा है कि पूरे पांच साल तक मुख्यमंत्री बने रहेंगे। सियासी जानकारों का कहना है कि सीएम भजनलाल शर्मा की कार्यप्रणाली पर भी उपचुनाव के परिणाम ने मुहर लगा दी है। मुख्यमंत्री का सियासी कद बढ़ा है।

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