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महाराष्ट्र में गाय को मिला ‘राज्य माता’ का दर्जा, इलेक्शन से ठीक पहले बड़ा फैसला

मुंबई  

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले एकनाथ शिंदे सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. सरकार ने गाय को राज्यमाता का दर्जा दिया है. महायुती के सरकार ने इसको लेकर घोषणा की है. दरअसल, सोमवार को कैबिनेट बैठक में सरकार ने ये फैसला लिया है. चुनाव से पहले शिंदे सरकार का ये बड़ा निर्णय माना जा रहा है.

सरकार के मुताबिक वैदिक काल से भारतीय संस्कृति में देशी गाय की स्थिति, मानव आहार में देशी गाय के दूध की उपयोगिता, आयुर्वेद चिकित्सा, पंचगव्य उपचार पद्धति तथा जैविक कृषि प्रणालियों में देशी गाय के गोबर एवं गोमूत्र के महत्वपूर्ण स्थान को ध्यान में रखते हुए, यह देशी गायों को अब से “राज्यमाता गोमाता” घोषित करने की मंजूरी दी गई.

मुख्यमंत्री के दफ्तर से मिली जानकारी के मुताबिक महाराष्ट्र कैबिनेट की बैठक में सोमवार (30 सितंबर) देसी गायों के पालन-पोषण के लिए 50 रुपये प्रतिदिन की सब्सिडी योजना लागू करने का निर्णय लिया गया, क्योंकि गोशालाएं अपनी कम आय के कारण इसे वहन नहीं कर सकती थीं, इसलिए उन्हें मज़बूत करने का निर्णय लिया गया.

यह योजना महाराष्ट्र गोसेवा आयोग द्वारा ऑनलाइन लागू की जाएगी. प्रत्येक जिले में एक जिला गोशाला सत्यापन समिति होगी. 2019 में 20वीं पशुगणना के अनुसार, देसी गायों की संख्या 46,13,632 तक कम पाई गई है. 19वीं जनगणना की तुलना में यह संख्या 20.69 प्रतिशत कम हुई है.

‘गाय किसानों के लिए वरदान’
इसको लेकर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, “देसी गाय हमारे किसानों के लिए एक वरदान है, इसलिए हमने इन्हें यह दर्जा (राज्य माता) देने का निर्णय लिया है. हमने देसी गोमाता के परि पोषण और चारे के लिए मदद करने का निर्णय लिया है.”

सनातन धर्म में होती है गाय की पूजा
दरअसल, सनातन धर्म में गाय को माता माना जाता है. साथ ही इस धर्म में गाय की पूजा की जाती है. हिंदू मान्यताओं को मुताबिक गाय में देवी-देवताओं का निवास होता है. वहीं पिछले कुछ समय से कई हिंदू संगठनों की तरफ से गाय को राज्यमाता का दर्जा देने की मांग लगातार की जा रही थी. वहीं अब सरकार ने उनकी बात मानते हुए महाराष्ट्र में गाय को राज्यमाता का दर्जा देने का ऐलान कर दिया है.

 

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