पूर्व पीएचईडी मंत्री को आरोपी नहीं बनाया गया, जल जीवन मिशन घोटाले में पदमचंद जैन को सुप्रीम कोर्ट से जमानत
जयपुर
जल जीवन मिशन (जेजेएम) घोटाले में ठेकेदार पदमचंद जैन को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई, जबकि मामले में लाभ उठाने वाले पूर्व पीएचईडी मंत्री महेश जोशी को आरोपी नहीं बनाया गया। जैन पर 136.41 करोड़ रुपए के गबन का आरोप है, जबकि फर्जी प्रमाण पत्र के माध्यम से 900 करोड़ रुपए के टेंडर हासिल करने की बात सामने आई है। इस मामले में राजनीतिक संरक्षण और मिलीभगत के गंभीर आरोप हैं, और हाल ही में महेश जोशी के करीबी सहयोगी संजय बड़ाया को भी जमानत मिल चुकी है।
यह कहानी भ्रष्टाचार और राजनीतिक कनेक्शन की जटिल परतों को उजागर करती है, जिसमें शीर्ष स्तर पर ही खेल खेला जा रहा है। जल जीवन मिशन (जेजेएम) घोटाले में पदमचंद जैन जैसे ठेकेदार को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलना, जबकि उन पर भारी रकम के गबन के आरोप हैं, यह एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। यह मामला मात्र एक ठेकेदार तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें पूर्व पीएचईडी मंत्री महेश जोशी का नाम भी आता है, जिनसे इस घोटाले में फायदा पहुंचाने की बात की गई थी, लेकिन ईडी ने उन्हें आरोपी नहीं बनाया। यह सीधा-साधा सवाल है कि क्या राजनीतिक दबाव और संरक्षण के कारण उच्च स्तर पर सजा से बचने का रास्ता मिल गया है?
पद्मचंद जैन और उनके साथी संजय बड़ाया की गिरफ्तारी के बावजूद, जांच में जो गहरे राज सामने आ रहे हैं, उनसे यह स्पष्ट हो रहा है कि यह मामला केवल पैसे की उगाही नहीं बल्कि राजनीतिक संरक्षण और मिलीभगत का भी खेल है। एसीबी द्वारा की गई गिरफ्तारी और ईडी की कार्रवाई के बावजूद, महेश जोशी जैसे नेताओं को अदालत से राहत मिल रही है, जबकि उनके करीबी लोग छूट रहे हैं।
इस घोटाले की जड़ें इतनी गहरी हैं कि इसमें 900 करोड़ रुपए के टेंडर लेने के लिए फर्जी प्रमाण पत्रों का इस्तेमाल किया गया। इस मामले में महेश जोशी के करीबी रिश्तेदार संजय बड़ाया की जमानत पहले ही मिल चुकी है, और अब ईडी द्वारा शेष आरोपियों की गिरफ्तारी के बावजूद, जमानत मिलने का सिलसिला जारी है। इस पूरे मामले को देखकर यह कहना मुश्किल नहीं कि राजनीति और भ्रष्टाचार के बीच की रेखाएं कितनी धुंधली होती हैं।