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रुपए में आई ऐतिहासिक गिरावट, सेंसेक्स 800 अंक टूटा, सुबह-सुबह निवेशकों के डूबे 4.53 लाख करोड़

मुंबई
भारत में रुपए की गिरावट लगातार जारी है और आज यह डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। शुरुआती कारोबार में रुपया 27 पैसे कमजोर होकर 86.31 प्रति डॉलर पर आ गया, जो अब तक का सबसे निचला स्तर है। अमेरिकी जॉब रिपोर्ट के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि फेडरल रिजर्व इस साल ब्याज दरों में अधिक कटौती नहीं करेगा, जिससे डॉलर और मजबूत हो गया है। घरेलू बाजार भी इसका प्रभाव झेल रहा है। शुरुआती ट्रेडिंग में सेंसेक्स 800 अंक तक गिरा, जबकि निफ्टी 23,200 अंक के नीचे आ गया। इस गिरावट से बीएसई में लिस्टेड कंपनियों के कुल मार्केट कैप में 4.53 लाख करोड़ रुपए की कमी आई और यह घटकर 225.14 लाख करोड़ रुपए रह गया।पहली बार रुपया 86 के पार

आज शुरुआती कारोबार में ही भारतीय रुपया बेबस दिखा और 27 पैसे की गिरावट के साथ अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अपने सर्वकालिक निचले स्तर 86.31 पर पहुंच गया.  अमेरिका में डोनाल्ट ट्रंप की वापसी के बाद वहां की स्थिति लगातार बदल रही है, जिसकी वजह से डॉलर मजबूत हो रहा है.  डॉलर की मजबूती के साथ ही भारतीय रुपया कमजोर होता जा रहा है.  

डीमार्ट की पेरेंट कंपनी एवेन्यू सुपरमार्ट्स के शेयर में करीब 6% की गिरावट दर्ज की गई। 10 बजे तक सेंसेक्स 655.24 अंक यानी 0.85% की गिरावट के साथ 76,723.67 पर ट्रेड कर रहा था, जबकि निफ्टी 50 इंडेक्स 221.45 अंक यानी 0.95% गिरकर 23,210.05 पर आ गया।रुपए में गिरावट का कारण

रुपए में गिरावट का सिलसिला सोमवार को लगातार दूसरे कारोबारी सत्र में जारी रहा। अस्थिर वैश्विक संकेतों के बीच मजबूत अमेरिकी मुद्रा के कारण वह 27 पैसे टूटकर 86.31 प्रति डॉलर पर आ गया। विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने बताया कि कच्चे तेल की कीमतों में रेकॉर्ड उछाल, विदेशी पूंजी की निरंतर निकासी तथा घरेलू शेयर बाजारों में नकारात्मक रुख के कारण भी स्थानीय मुद्रा पर दबाव रहा। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 86.12 प्रति डॉलर पर खुला। शुरुआती सौदों के बाद डॉलर के मुकाबले सर्वकालिक निचले स्तर 86.31 पर पहुंच गया जो पिछले बंद भाव के मुकाबले 27 पैसे की भारी गिरावट दर्शाता है। रुपया शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 18 पैसे टूटकर 86.04 पर बंद हुआ था।

इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.22 प्रतिशत की बढ़त के साथ 109.72 पर रहा। 10-वर्षीय अमेरिकी बॉण्ड का प्रतिफल भी बढ़कर अक्टूबर 2023 के स्तर 4.76 प्रतिशत पर पहुंच गया। अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड 1.44 प्रतिशत की बढ़त के साथ 80.91 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर रहा। शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) शुक्रवार को बिकवाल रहे थे और उन्होंने शुद्ध रूप से 2,254.68 करोड़ रुपए के शेयर बेचे।

क्यों गिर रहा है भारतीय रुपया 

भारतीय रुपये में आई गिरावट की सबसे बड़ी वजह डॉलर की मजबूती है.  ट्रंप की वापसी के बाद अमेरिकी अर्थव्यवस्था ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया है. इकोनॉमी में आई मजबूती के बीच अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने 2025 के लिए प्रस्तावित ब्याज दरों में कटौती को वापस ले लिया है. ट्रंप की नीतियों से अमेरिकी कंपनियों और अमेरिकी बाजार को बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है. कॉर्पोरेट टैक्स कटौती और टैरिफ में बढ़ोतरी डॉलर को मजबूती दे रही है. अमेरिकी राष्ट्रपति की कुर्सी पर बैठने जा रहे डोनाल्ड ट्रंप ने आने के साथ ही टैरिफ बढ़ाने की बात कही है. कई देशों के साथ व्यापार पर बैन लगाने का दवाब बढ़ेगा, जिसकी वजह से डॉलर के और मजबूत होने की उम्मीद है. वहीं विदेशी निवेशकों की भारतीय बाजार से निकलने का सिलसिला जारी है, जिसकी वजह से भारतीय करेंसी पर दवाब बढ़ रहा है. इतना ही नहीं कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें और घरेलू शेयर बाजारों की गिरावट ने भी भारतीय करेंसी पर नकारात्मक प्रभाव डाला है. भारत का निर्यात आयात के मुकाबले कम है, जिसकी वजह से रुपया कमजोर हो रहा है. 

कमजोर रुपया का आप पर असर  

ऐसा नहीं है कि रुपये के कमजोर होने का असर सिर्फ सरकार पर दिखेगा. आप भी इस दवाब में आएंगे. रुपये के गिरने से आयात महंगा हो जाता है. निर्यात सस्ता हो जाता है. रुपये के कमजोर होने पर सरकार को विदेशों से सामान खरीदने के लिए अधिक खर्च करने पड़ते हैं. अगर खर्च ज्यादा होगा तो महंगाई का असर आम जनता तक पहुंचेगा. रुपये के कमजोर होने पर आयात बिल बढ़ेगा, पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ सकती हैं.  यानी आपको महंगाई से जूझना पड़ेगा.  

बाजार में कोहराम जारी 

 सिर्फ रुपया ही नहीं भारतीय बाजार की हालात खराब है. भारतीय शेयर बाजार लगातार गिर रहा है. सेंसेक्स सोमवार को खुलने के साथ ही धड़ाम हो गया.    शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 800 अंक गिर गया जबकि निफ्टी 23,200 अंक से नीचे चला गया. सेंसेक्स के टूटने के साथ ही निवेशकों के 4.53 लाख करोड़ रुपये स्वाहा हो गए. यानी बीएसई लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप में 4.53 लाख करोड़ रुपये की गिरावट के साथ  225.14 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई.  

शेयर बाजार का बुरा हाल  

कमजोर वैश्विक रुझानों और विदेशी पूंजी की निकासी के बीच सोमवार को शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट दर्ज की गई.  बीएसई सेंसेक्स शुरुआती कारोबार में 843.67 अंक की गिरावट के साथ 76,535.24 अंक पर आ गया. एनएसई निफ्टी 258.8 अंक फिसलकर 23,172.70 अंक पर रहा.  सेंसेक्स में सूचीबद्ध 30 कंपनियों में से एशियन पेंट्स, जोमैटो, महिंद्रा एंड महिंद्रा, एचडीएफसी बैंक, बजाज फाइनेंस, कोटक महिंद्रा बैंक और टाटा स्टील के शेयर सबसे अधिक नुकसान में रहे.  इंडसइंड बैंक, एक्सिस बैंक, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज और हिंदुस्तान यूनिलीवर के शेयर लाभ में रहे.  एशियाई बाजारों में दक्षिण कोरिया का कॉस्पी, हांगकांग का हैंगसेंग, और चीन का शंघाई कम्पोजिट नुकसान में रहे. अमेरिकी बाजार शुक्रवार को नकारात्मक रुख के साथ बंद हुए थे. अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड 1.62 प्रतिशत की बढ़त के साथ 81.05 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर रहा.  शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) शुक्रवार को बिकवाल रहे थे और उन्होंने शुद्ध रूप से 2,254.68 करोड़ रुपये के शेयर बेचे.  

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