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भारत की बिजली खपत इस साल अक्टूबर में बढ़कर 140.47 बिलियन यूनिट हो गई, पिछले साल के मुकाबले हुई वृद्धि

नई दिल्ली
भारत की बिजली खपत इस साल अक्टूबर में बढ़कर 140.47 बिलियन यूनिट (बीयू) हो गई, जिसमें पिछले साल के मुकाबले एक प्रतिशत की वृद्धि हुई है। भारत की बिजली खपत इस साल अक्टूबर में बढ़कर 140.47 बिलियन यूनिट हुई पिछले साल इसी महीने बिजली खपत में उससे पिछले साल के मुकाबले 22 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज हुई थी।

अक्टूबर 2022 में बिजली खपत 113.94 बिलियन यूनिट थी, जो अक्टूबर 2023 में बढ़कर 139.44 बिलियन यूनिट हो गई थी। तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के औद्योगिक और कृषि क्षेत्रों की मांग में वृद्धि के कारण बिजली की खपत में यह तेजी दर्ज हुई थी। गर्मी के कारण इस वर्ष मई में लगभग 250 गीगावाट के सर्वकालिक उच्च स्तर को छूने के बाद अक्टूबर में अधिकतम बिजली की मांग घटकर 219.22 गीगावाट रह गई। इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (आईईए) ने पिछले महीने जारी अपने विश्व ऊर्जा परिदृश्य में कहा, “भारत में अगले दशक में किसी भी अन्य देश की तुलना में ऊर्जा की मांग में अधिक वृद्धि होने की संभावना है, जिसका मुख्य कारण इसका आकार और सभी क्षेत्रों से बढ़ती मांग है।”

रिपोर्ट के अनुसार, भारत 2023 में 7.8 प्रतिशत उत्पादन वृद्धि के साथ सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था था, 2028 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। मौजूदा नीति योजनाओं पर आधारित स्टेटेड पॉलिसीस सिनेरियो (एसटीईपीएस) में, 2035 तक लोहा और इस्पात उत्पादन में 70 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है।

सीमेंट उत्पादन में लगभग 55 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है। रिपोर्ट में कहा गया है कि एयर कंडीशनर के स्टॉक में 4.5 गुना से अधिक की वृद्धि होने का अनुमान है, जिसके परिणामस्वरूप 2035 में एयर कंडीशनर से बिजली की मांग मेक्सिको की उस वर्ष की कुल अपेक्षित खपत से अधिक होगी।

परिणामस्वरूप, स्टेटेड पॉलिसीस सिनेरियो (एसटीईपीएस) में 2035 तक भारत में कुल ऊर्जा मांग में लगभग 35 प्रतिशत की वृद्धि होगी और विद्युत उत्पादन क्षमता लगभग तीन गुणा होकर 1400 गीगावाट हो जाएगी। आईईए ने कहा कि अगले दशकों में भारत में ऊर्जा मिश्रण में कोयले की मजबूत स्थिति बनी रहेगी।

आईईए ने आगे कहा, “कोयले से बिजली उत्पादन में 15 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। कोयले से उत्पादन सौर पीवी से 30 प्रतिशत से अधिक बना हुआ है, जबकि एक दशक में सौर पीवी की क्षमता दोगुनी हुई है।” हालांकि, इसके साथ ही देश हरित ऊर्जा को भी बढ़ावा दे रहा है। पिछले महीने शुरू की गई (ट्रांसमिशन) का लक्ष्य वर्ष 2030 तक 500 गीगावॉट और 2032 तक 600 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा स्थापित क्षमता पैदा करना है।

 

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