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2012 में हुई परिवहन आरक्षक भर्ती में हुई गड़बड़ी, नियुक्ति के 12 वर्ष बाद 45 परिवहन आरक्षकों की सेवा समाप्त

भोपाल
व्यापमं के माध्यम से वर्ष 2012 में हुई परिवहन आरक्षक भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी के चलते अब 45 परिवहन आरक्षकों की सेवा समाप्त कर दी गई है। व्यापमं ने वर्ष 2012 में परिवहन आरक्षक के 332 पदों के लिए भर्ती परीक्षा आयोजित की थी। परीक्षा के बाद विभाग ने महिलाओं के लिए आरक्षित पदों पर व्यापमं से चयनित पुरुषों को नियुक्ति दे दी थी। इस पर महिला आवेदकों ने प्रश्न उठाए थे। इसके बाद परिवहन विभाग ने स्पष्टीकरण दिया था कि भर्ती में 109 पद महिलाओं के लिए आरक्षित रखे थे, लेकिन भर्ती में मात्र 53 महिलाएं ही पात्र मिली थीं। इस कारण 56 पदों पर पुरुषों को नियुक्त कर दिया गया था।

महिला आवेदक किया था हाईकोर्ट का रूख
एक महिला आवेदक हिमाद्री राजे ने सरकार के इस निर्णय के विरुद्ध हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। शासन का पक्ष सुनने के बाद हाई कोर्ट ने वर्ष 2015 में महिलाओं के पदों पर पुरुषों की नियुक्तियों को रद करने के लिए कहा था। हाई कोर्ट के इस निर्णय के विरुद्ध राज्य शासन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने इसी वर्ष अप्रैल को हाई कोर्ट के निर्णय को यथावत रखते हुए महिलाओं की जगह पुरुषों की नियुक्ति निरस्‍त करने के लिए कहा था।

10 साल से नौकरी कर रहे हैं, हमारा भी पक्ष सुन लो
इसी क्रम में परिवहन सचिव सिबि चक्रवर्ती ने परिवहन आयुक्त को पत्र लिखकर नियुक्तियां निरस्‍त करने के लिए कहा था। अतिरिक्त परिवहन आयुक्त उमेश जोगा ने बताया कि नियुक्तियां रद कर दी गई हैं। उधर, महिलाओं के पद पर नियुक्त तीन आरक्षकों ने हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में याचिका लगाकर बर्खास्तगी पर रोक की मांग की है। उनका कहना है 10 साल से वह सेवा में लगे हैं, इसलिए उनका भी पक्ष सुना जाना चाहिए।

198 की भर्ती करना थी, 332 की कर ली
सक्षम प्राधिकारी की स्वीकृति बगैर स्वीकृत 198 आरक्षकों की भर्ती के विरुद्ध 332 आरक्षकों का चयन कर लिया गया। महिला आरक्षण का पालन नहीं किया गया। परिवहन विभाग ने उस समय चयनित परिवहन आरक्षकों का फिज़िकल टेस्ट न कराए जाने बाबत एक सरकारी पत्र भी जारी किया।

सीबीआई तक पहुंचा था मामला
पूर्व केंद्रीय मंत्री और तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव और मैंने एसटीएफ, एसआईटी और सीबीआई को अपने आरोपों से संदर्भित सभी दस्तावेज भी सौंपे थे। अब सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री और वर्तमान में केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान और तत्कालीन परिवहन मंत्री और मौजूदा उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा को नैतिकता के नाते त्यागपत्र देना चाहिए। -केके मिश्रा मीडिया सलाहकार, अध्यक्ष-मप्र कांग्रेस कमेटी

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