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जमानत राशि जमा होने पर अब बंदी दीपावली मनाने अपने घर जा सकेगा, कैदी को दिया दीपावली का तोहफा

सागर
दीपावली त्योहार के लिए लोग जरूरतमंदों की तरह-तरह से मदद कर रहे हैं। इसका एक जीता उदाहरण गुरुवार को तब देखने मिला, जब रामसरोज समूह की ओर से समाजसेवी शैलेष केशरवानी ने केंद्रीय जेल सागर में आठ साल से बंद बंदी की जमानत राशि जमा की।

जमानत राशि जमा होने पर अब बंदी दीपावली मनाने अपने घर जा सकेगा। जमानत राशि जमा होने से उसकी दो साल की सजा भी कम हो गई और उसकी रिहाई भी दस की जगह आठ साल में हो गई। केशरवानी इससे पहले भी कई बंदियों की जमानत राशि जमा कर चुके हैं। समाजसेवी शैलेष केशरवानी का कहना है कि केंद्रीय जेल सागर में जिला रायसेन के डुंगारिया गांव निवासी छोटेलाल पिता स्व. कालूराम निवासी बंद हैं। वे इस दीपावली पर अपने घर जाने चाहते थे, लेकिन उनके पास जमानत की व्यवस्था नहीं थी।

इसकी जानकारी लगने पर मैंने यह जमानत राशि जमा की जिससे वह अपने परिवारजनों के साथ दिवाली मना सके। इस अवसर पर जेल अधीक्षक मानवेंद्र से परिहार ने बताया कि कैदी छोटेलाल के परिवार में उसकी पत्नी व 15 साल का बेटा है।
पत्नी नेत्रहीन है। जब बंदी को 10 वर्ष कैद एवं जुर्माना राशि जमा करने की सजा सुनाई गई थी, लेकिन लगभग 8 साल बीत जाने के बाद भी उनके परिवारजनों से किसी ने कोई खोज खबर नहीं ली।
 
जब कैदी ने अपनी आप बीती मुझे बताई तो और कैदी के घर वापसी के लिए जुर्माना राशि भरने की बात सामने आई तो इसका लेकर मैंने रामसरोज समूह के सदस्य शैलेश केशरवानी एवं अखिलेश मोनी केसरवानी से चर्चा की। उन्होंने सहर्ष उसकी राशि भरने की मंजूरी दी।
 
इस अवसर पर समाजसेवी शैलेश केशरवानी ने कहा कि दीपावली का त्योहार हर वर्ष आता है और हम अपने लोगों के बीच खुशियां मानते हैं। लेकिन दीपावली के इस त्यौहार में अपने घर के साथ-साथ जरूरतमंदों गरीबों के घर रोशन कर सार्थक दिवाली मनाए तो इससे आपको आत्मसंतुष्टि का अनुभव होगा।

आज रामसरोज समूह ने सार्थक दिवाली मनाते हुए जेल में बंद एक वृद्ध कैदी जिसके घर में मजदूरी करने वाला उसके अलावा कोई नहीं था घर में केवल एक वृद्धा और उसकी बेटी थी। जो पिछले लगभग 8 वर्षों से जेल की सजा काट रहा था। आज उसकी जुर्माना राशि भरकर लगभग 2 वर्ष की सजा माफ करवाकर उसे स्वयं की गाड़ी में कुछ राशि भेंट कर उसके घर रवाना किया।

वहीं अखिलेश मोनी केसरवानी ने कहा राम सरोज समूह का प्रयास होता है कि सालभर में पढ़ने वाले तीज त्योहारों को जरूरतमंदों के साथ मना कर उन त्योहारों को सार्थक बनाया जाए आज जब जेल में बंद कैदी छोटेलाल को रिहा कराया तो उसकी आंखों में आंसू आ गए। परंतु वह खुशी के आंसू थे।

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