Taza Khabar

सत्संग से हृदय में प्रकाश होता है जो भवसागर से पार लगा देता है : कथावाचक

ब्यावरा

सत्संग करने से मन मे शांति का संचार होता है, प्रभु से प्रेम बढ़ता है, आत्मकल्याण का रास्ता खुलता है, हृदय में ज्ञान का प्रकाश होता है, जो मनुष्य को भवसागर से पार कर देता है। मनुष्य जन्म जन्मांतर के चक्कर मे भटक रहा है, जब सत्संग में जायेगा तो उसे आत्मकल्याण का बोध हो जाएगा जिससे वे इस असत्य संसार को छोड़ ईश्वर रुपी सत्य की ओर गमन करेगा। इससे उसका कल्याण होंना तय हो जाएगा। संसार असत्य है, यदि आप इस असत्यता में भगवान सत्यनारायण को पाना चाहते है तो ये असंभव है। क्योंकि ये दुनियादारी सपने है, केवल भगवान ही अपने ही अपने है। उक्त बात बामलाबे जोड़ पर चल रही श्री मद भागवत कथा के प्रथम सौपान में कथावाचक गुरुदेव प्रेमनारायण जी ने कही। कथा में मध्यप्रदेश शासन के मंत्री नारायण सिंह पंवार, पूर्व विधायक रामचंद्र दांगी, महेंद्र यादव, जगदीश पंवार सहित हजारों की संख्या में कथा श्रवण करने वाले भक्त उपस्थित रहे। कथा शुरू होने से पूर्व परिसर स्थित शिवालय से करीब 300 महिलाओं ने अपने सिर पर कलश धारण कर यात्रा निकाली।

विधवाओं की उपेक्षा मत करो उनपर करुणा बरसाओ
 व्यासपीठ से अपील करते हुए कथावाचक ने कहा कि, कम उम्र में विधवा होने वाली बहनों की उपेक्षा समाज को छोड़ना होगा, विधवाएं उपेक्षा नही बल्कि करुणा के लिए है। उन्होंने महाभारत का उदाहरण देते हुए कहा कि कुरुक्षेत्र के युद्ध मे जब 17 साल के अभिमन्यु की मृत्यु हुई तो उनकी पत्नी उत्तरा पर धर्मराज युधिष्ठिर का विशेष स्नेह था। वे हर काम उनकी सलाह पर करते थे। वर्तमान में हम देखते है कि विधवा महिलाओं को घृणा की दृष्टि से देखा जाता जो बेहद ही निंदनीय है। अब इस सोंच को बदलना होगा, इस दौरान उन्होंने इसका संकल्प भी दिलवाया।

Related Articles