आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता डल्लेवाल की हालत नाजुक, इसी बीच कहा-मर जाऊं तो भी जारी रहे अनशन
पंजाब
आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की हालत नाजुक बताई जा रही है। इसी बीच खबर है कि उन्होंने विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों से कह दिया है कि उनके निधन की स्थिति में भी विरोध रुकना नहीं चाहिए। डॉक्टरों की एक टीम ने उनकी हालत पर चिंता जाहिर की है। इससे पहले पंजाब के किसान नेता चेतावनी दे चुके हैं कि ‘अनहोनी’ होती है, तो केंद्र स्थिति नहीं संभाल पाएगा।
ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, डल्लेवाल ने करीबी काका सिंह कोटरा को संदेश भेजा है। किसान नेता ने कहा कि उनके शव को प्रदर्शन स्थल पर रखा जाए और कोई और नेता बगैर भोजन किए अनशन पर बैठ जाए। कोटरा का कहना है कि डल्लेवाल ने किसी से भी मुलाकात करने से इनकार कर दिया है और उन्हें और अन्य नेताओं को सरकार से बात करने के लिए कहा है।
रिपोर्ट के अनुसार, कोटरा ने कहा, ‘जस्टिस नवाब सिंह की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की गठित समिति से मुलाकात के कुछ घंटों बाद उनकी स्थिति और खराब हो गई है।’ खास बात है कि वह 44 दिनों से अनशन पर हैं। 5 डॉक्टरों की एक टीम लगातार उनकी हालत की निगरानी कर रही है। अखबार को डॉक्टर गुरसिमरन बुट्टर ने बताया, ’26 नवंबर से सिर्फ पानी पी रहे डल्लेवाल ने उनकी कैंसर की दवा लेना भी बंद कर दिया है।’
डॉक्टर कुलदीप कौर धालीवाल ने सोडियम स्तर घटना और लगातार ब्लड प्रेशर कम होने की बात कही है। पीटीआई भाषा के अनुसार, गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘5 रिवर्स हार्ट एसोसिएशन’ की टीम के सदस्य डॉ. अवतार सिंह ने कहा कि सोमवार शाम को डल्लेवाल की हालत और बिगड़ गई। चिकित्सक ने बताया कि उनका रक्तचाप गिर गया और बिस्तर पर लेटे-लेटे ही उन्हें उल्टी होने लगी थी। उन्होंने कहा कि उनकी हालत दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है और उनके साथ कुछ भी हो सकता है। इस बीच, सरकारी चिकित्सकों की एक टीम ने खनौरी सीमा पर डल्लेवाल के स्वास्थ्य की जांच की।
किसान नेताओं ने दी चेतावनी
किसान नेता कोहाड़ ने कहा, ‘भगवान न करे अगर डल्लेवाल जी के साथ कुछ अनहोनी हो जाए तो शायद केंद्र सरकार स्थिति को नियंत्रित नहीं कर पाएगा।’ उन्होंने कहा कि केंद्र को प्रयास करना चाहिए कि स्थिति उस स्तर तक न पहुंचे। sकोहाड़ ने कहा, ‘अगर डल्लेवाल को कुछ हुआ तो केंद्र की मौजूदा सरकार के कार्यकाल पर ऐसा ‘धब्बा’ लग जाएगा जो शायद कभी साफ नहीं हो पाएगा।’ उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि ब्रिटिश शासन के दौरान भी ऐसा कभी नहीं हुआ कि कोई व्यक्ति आमरण अनशन पर बैठा हो और सरकार उस पर कोई ध्यान नहीं दे रही हो।