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J&K में सरकार गठन का रास्ता हुआ साफ, 6 साल बाद हटा राष्ट्रपति शासन

श्रीनगर

जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन हटा दिया गया है। गृह मंत्रालय (एमएचए) के इस फैसले के साथ ही आधिकारिक तौर पर केंद्र शासित प्रदेश में सरकार गठन का मार्ग प्रशस्त हो गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा हस्ताक्षरित एक सरकारी आदेश में कहा गया है कि ‘भारत के संविधान के अनुच्छेद 239 और 239ए के साथ पठित जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 (2019 का 34) की धारा 73 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए, जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के संबंध में 31 अक्टूबर 2019 का आदेश, जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 की धारा 54 के तहत मुख्यमंत्री की नियुक्ति से तुरंत पहले निरस्त किया जाता है।

नवनिर्वाचित सरकार को शपथ लेने की अनुमति देने के लिए यूटी में राष्ट्रपति शासन को रद्द करने की आवश्यकता थी। गृह मंत्रालय ने जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 73 के आधार पर एक राष्ट्रपति आदेश लागू किया था। नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव जीता और सरकार बनाने के लिए तैयार है। एनसी उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला, जिन्हें गठबंधन के नेता के रूप में चुना गया है, जम्मू-कश्मीर के अगले मुख्यमंत्री होंगे।

छह साल के लंबे अंतराल के बाद, जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन हटा लिया गया है, जिससे राज्य में नई सरकार के गठन का मार्ग प्रशस्त हो गया है। नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) और कांग्रेस के गठबंधन ने हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की है और अब वे सरकार बनाने के लिए तैयार हैं।

नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा पेश किया है। उमर अब्दुल्ला को सर्वसम्मति से नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायक दल का नेता चुना गया है, जिससे उनके मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया है। यह उमर अब्दुल्ला का दूसरा कार्यकाल होगा, इससे पहले वे 2009 से 2014 तक जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके हैं, जब राज्य एनसी-कांग्रेस गठबंधन के अधीन था।

राष्ट्रपति शासन हटा
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को आदेश जारी कर जम्मू-कश्मीर से राष्ट्रपति शासन समाप्त करने की घोषणा की। यह राष्ट्रपति शासन 19 जून 2018 को पीडीपी-भाजपा गठबंधन के टूटने के बाद लगाया गया था। 2019 में केंद्र सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 370 को समाप्त कर जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर दिया था, जिसके बाद यह क्षेत्र एक केंद्र शासित प्रदेश बन गया था।

राज्य का दर्जा बहाल करने पर जोर
नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि नई सरकार का प्रमुख उद्देश्य जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करना होगा। उन्होंने कहा, “हमारी प्राथमिकता जम्मू-कश्मीर को एकजुट करना और चुनाव के दौरान फैली नफरत को खत्म करना होगी। राज्य का दर्जा बहाल किया जाना चाहिए ताकि राज्य सुचारू रूप से कार्य कर सके और हम अपने कर्तव्यों का पालन कर सकें।”

चुनाव परिणाम और गठबंधन
इस बार के चुनावों में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 42 सीटों पर जीत हासिल की है, जबकि कांग्रेस ने 6 सीटें जीतीं। कांग्रेस की पांच सीटें कश्मीर से और एक जम्मू से हैं। दोनों पार्टियों ने चुनाव पूर्व गठबंधन किया था और चार निर्दलीय विधायकों तथा आम आदमी पार्टी (आप) के एक विधायक का समर्थन भी उन्हें मिला है। इसके अलावा, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 29 सीटें जीतकर दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में अपनी जगह बनाई है।

10 साल के लंबे अंतराल के बाद संपन्न हुए चुनाव
जम्मू-कश्मीर में 10 साल के लंबे अंतराल के बाद विधानसभा चुनाव संपन्न हुए हैं। यह चुनाव अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद पहली बार हुआ है, जिससे यह ऐतिहासिक महत्व रखता है। चुनाव तीन चरणों में सम्पन्न हुए, जिनमें 18 सितंबर, 25 सितंबर, और 1 अक्टूबर को मतदान हुआ।

जम्मू-कश्मीर में छह साल बाद राष्ट्रपति शासन हटने और नई सरकार बनने से राज्य की राजनीतिक स्थिति में बड़ा बदलाव आने की उम्मीद है। उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में यह सरकार राज्य के पुनर्गठन और विकास के लिए कई अहम कदम उठाने की योजना बना रही है, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करना है। अब यह देखना होगा कि नई सरकार इस दिशा में क्या ठोस कदम उठाती है।

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