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हार नहीं मानी! बुजुर्ग ने लगातार 57 बार में पास की 10वीं की परीक्षा, जानें हुकुमदास वैष्णव की कहानी

Education news: जीवन चलने का नाम चलते रहों सुबह-शाम, यह गाना 77 साल के हुकुमदास वैष्णव के ऊपर सटीक बैठता है। उन्होंने खुद को उम्र में ना बांध के बोर्ड परीक्षा पास करने का निश्चय कर लिया। इसके लिए उन्होंने लगातार 57 बार 10वीं की परीक्षा दी और सफल हुए। हैरान करने वाली बात यह है कि 56 बार फेल होने पर भी उन्होंने हार नहीं मानी और अपने जज्बे को बरकरार रखा। जब यूपी बोर्ड के 56 लाख स्टूडेंट्स का रिजल्ट जारी हुआ है तो 57 बार में परीक्षा पास करने वाले राजस्थान के जालोर के रहने वाले हुकुमदास वैष्णव की कहानी सामने आई।

पढ़ने या सीखने की कोई उम्र नहीं होती

अपनी इस जिद को पूरा करने के लिए उन्होंने 57 बार बोर्ड की परीक्षा दी। 56 बार वह फेल हुए लेकिन हर बार एक नई उम्मीद और जोश के साथ परीक्षा में बैठे। आखिरकार लगातार 56 बार असफल होने के बाद 57 बार में उन्होंने 10वीं की परीक्षा पास कर ली।
हुकुमदास का कहना है कि पढ़ने या सीखने की कोई उम्र नहीं होती है। हुकुम दास वैष्णव की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। उम्र से तो वैसे वह एक बुजुर्ग हैं लेकिन पढ़ाई-लिखाई के लिए उनका जूनून किसी नौजवान से कम नही है। 77 साल के हुकूमदास 2 महकमों में काम करके सेवानिवृत हो चुके हैं। लेकिन कम पढ़े-लिखे होने के कारण कक्षा 10वीं की परीक्षा पास करने की ठानी। अपने इसी जज्बें के कारण 77 साल की उम्र तक आते-आते हुकूमदास ने आखिरकार अपने 57वें अटेंप्ट में अपनी 10वीं पूरी कर ही ली।

56वीं कोशिश में 10वीं की परीक्षा पास की

10वीं में फेल होने का सिलसिला साल 1962 से शुरू हुआ जब हुकुम सिंह पहली बार परीक्षा में फेल हुए थे। साल 2005 में जब हुकूमदास 60 वर्ष की उम्र में रिटायर हुए तब तक वह 10वीं कक्षा में 43 बार असफल हो चुके थे। लगातार परीक्षा में फेल होने के कारण हुकूमदास के दोस्तों ने उन्हें कभी भी 10वीं की परीक्षा पास नहीं कर पाने को लेकर ताने मारते थे। हुकूमदास ने हार ना मानते हुए साल 2011 में स्टेट ओपन में प्रवेश लिया। इसके बाद भी फेल होते रहे लेकिन साल 2019 में जाकर हुकूमदास ने अपने 56वीं कोशिश में 10वीं की परीक्षा पास कर ली।

अब 12वीं करना चाहते हैं हुकूमदास

10वीं की परीक्षा पास करने के बाद हुकूमदास 12वीं की अपनी पढ़ाई पूरी करना चाहते हैं। इसके लिए हुकूमदास वैष्णव ने जालोर में 12वीं कला वर्ग से स्टेट ओपन में अपना नामांकन करा लिया है।  सबसे बड़ी बात यह है कि हुकुमदास के पोते भी स्कूलिंग पूरी कर चुके हैं।

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