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रुटीन चैकअप्स न होने से 7,000 डायबिटीज मरीजों की चली गई जान


नई दिल्ली ।
रुटीन चैकअप्स न होने की वजह से इंग्लैंड में सात हजार डाय‎बिटीज मरीजों की जान चली गई। ‎विशेषज्ञों का कहना है ‎कि कोरोना महामारी की वजह से डायबिटीज की बीमारी भी दुनिया भर के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर उभरी है। कई रिपोर्ट्स बताती हैं कि कोरोना के बाद से भारत समेत दुनिया भर के देशों में इस बीमारी के प्रबंधन में कमी दर्ज की गई जिसका नतीजा यह हुआ कि कोरोना महामारी के साथ ही हमें डायबिटीज का भयावह रूप भी देखना पड़ रहा है। डायबिटीज में ब्लड शुगर की अनदेखी और नियमित तौर पर जांच की कमी डायबिटीज मरीजों को मौत के मुंह तक ले जा सकती है। दुनिया में चीन के बाद भारत में सबसे ज्यादा डायबिटीज के मरीज हैं। यह एक ऐसी बीमारी है जो मरीज के हर अंग को प्रभावित करती है। देश में लगभग 7.7 करोड़ लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं और इसमें 1।21 करोड़ लोग 65 साल से कम के हैं और माना जा रहा है कि 2045 तक ये आंकड़ा 2.7 करोड़ के पार हो जाएगा। कहा जा सकता है कि भारत में हर 11 लोगों में से एक शख्स को डायबिटीज है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, इंग्लैंड में पिछले साल डायबिटीज की वजह से 7,000 अधिक लोगों की जान गई जो आंकड़ा सामान्य से अधिक था। रिपोर्ट में इसका कारण यह बताया गया कि महामारी की वजह से डायबिटीज रोगियों के वक्त पर हेल्थ चेकअप्स नहीं हो पाए थे। डायबिटीज में रेगुलर चेकअप्स और बीमारी का ठीक तरह से प्रबंधन हार्ट अटैक और अंगों के खराब होने का खतरा कम करता है। ब्रिटेन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य एजेंसी का कहना है कि महामारी के बाद डायबिटीज से निपटने के लिए पहले की तरह जांच, इलाज और नियमित देखभाल को प्रमुख प्राथमिकता बनाना होगा। डायबिटीज यूके का कहना है कि ब्रिटेन में 50 लाख से अधिक लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं जबकि 2021-22 के बीच लगभग 19 लाख लोग अपनी जरूरी जांच नहीं करवा पाए थे। महामारी के दौरान डायबिटीज के प्रबंधन और देखभाल में कमी मौजूदा स्थिति के लिए जिम्मेदार है जिसकी वजह से डायबिटीज मरीजों की मौत का आंकड़ा सामान्य से अधिक बढ़ा है। डायबिटीज के बढ़ते मामलों की बड़ी वजह अनहेल्दी लाइफस्टाइल, डाइट और मोटापा है। पिछले तीन सालों में कोरोना की वजह से डायबिटीज की बीमारी के खिलाफ जरूरी कदम नहीं उठाए जा सके जिस वजह से देश में इसका प्रसार बेहद तेजी से बढ़ा है। ब्रिटेन में जनवरी और मार्च 2023 के बीच डायबिटीज से 1,461 मौतें हुईं जो पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में तीन गुना अधिक हैं। रिपोर्ट में कहा गया है ‎कि इस प्रवृत्ति को उलटने के लिए तत्काल कार्रवाई करने की जरूरत है और डायबिटीज से पीड़ित लोगों को इस बीमारी में भी हेल्दी लाइफ जीने के लिए प्रेरित करने की जरूरत है। ब्रिटेन में डायबिटीज से पीड़ित 90 प्रतिशत लोगों को टाइप 2 डायबिटीज है जिसका अर्थ है कि उनका शरीर भोजन को ऊर्जा में बदलने के लिए पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता है। हेल्दी डाइट और नियमित व्यायाम के जरिए इस स्थिति से निपटा जा सकता है जबकि कई लोगों को इंसुलिन भी दी जाती है।

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