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भोपाल लिटरेचर एंड आर्ट फेस्टिवल’ के दूसरे रैपिड एक्शन डे में लगभग 25 विषयों पर हुई बात

आर्ट और स्टोरीटेलिंग प्रतियोगिता में बच्चों ने जीते पुरस्कार


भोपाल । ‘भोपाल लिटरेचर एंड आर्ट फेस्टिवल’ का दूसरा दिन रैपिड एक्शन मोड़ पर चलता रहा। इस दौरान हर घंटे भारत भवन के अधिकतर हिस्सों में चलने वाले विभिन्न कार्यक्रमों में स्कूल, कॉलेज और प्रबुद्धजनों ने सहभागिता की। स्कूल के बच्चों ने जहां आर्ट और पेंटिंग प्रतियोगिता में सहभागिता कर कई पुरस्कार जीते तो वहीं कॉलेज विद्यार्थियों ने ‘स्टोरीटेलिंग’ की कक्षा में सहभागिता कर अपनी कहानियां सुनाईं। इधर तीन सभागारों में पुस्तकों के लेखकों एवं विषय वक्ताओं ने गीता, अंडमान निकोबार द्वीप समूह के विकास, कानून, कविता, शहरी विकास सहित लगभग 25 अन्य विषयों पर अपनी बात रखी, जिसमें अपनी रुचि के अनुसार लोगों ने इन सत्रों में सहभागिता की। इन दौरान दर्शकों ने वक्ताओं के चर्चा भी की। 
दुनिया की पहली साइकोलॉजी किताब गीता किसी धर्म का नहीं, मानवजाति का ग्रंथ है 
गीता ज्ञान पर आधारित सत्र में विजय अग्रवाल और ओपी श्रीवास्तव की चर्चा में श्री श्रीवास्तव ने कहा कि गीता को उच्च ग्रंथ का दर्जा प्राप्त है। गीता किसी हिंदू या धर्म का ग्रंथ नहीं है यह मानवजाति का ग्रंथ है, इसलिए इसे किसी धर्म या जाति से जोड़कर देखना गलत है। गीता संसार, कर्म, व्यवहार, स्वभाव के बारे में हमे बताती है, इन्हें समझकर निश्चित ही आपको समस्याओं का समाधान मिल जायेगा। वहीं विजय अग्रवाल ने बहुत ही सरल भाषा गीता के महत्व को वर्तमान के संदर्भ में जोड़कर बताया। उन्होंने कहा कि गीता दुनिया की पहली साइकोलॉजी की किताब है, इसमें धर्म की परिभाषा केवल कर्म को कहा गया है। 
विकसित भारत के लिए समावेशी विकास का मॉडल आवश्यक 
वरिष्ठ आईएएस अफसर अमरजीत सिन्हा की किताब द लास्ट स्माइल पर आर परशुराम और वेद आर्या ने चर्चा की। श्री सिन्हा ने कहा कि भारत की शिक्षा का स्तर दक्षिण कोरिया, जापान, चीन सहित पूरी दुनिया में था। उन्होंने 1986-87 के सर्वे में आई महिलाओं की शिक्षा की स्थिति पर चिंता जताते हुए वर्ष 2047 तक भारत को विकसित बनाने के लिए मानव विकास, शिक्षा और समान अवसरों पर ध्यान केंद्रित करने की बात पर जोर दिया। इस दौरान उन्होंने कोविड-19 के बाद भारत की आर्थिक स्थिति बदलाव एवं नीति आयोग के सर्वे में आये 41 करोड़ 50 लोगों के गरीबी रेखा से बाहर समावेशी विकास के संकल्प के साथ आगे बढ़ने की बात कही। आजीविका मिशन के माध्यम से 10 करोड़ महिलाओं के स्व सहायता समूह से जुड़कर आर्थिक रूप से सशक्त होने की बात पर भी उन्होंने प्रकाश डाला। 
जी-20 की अध्यक्षता कर भारत ने दुनिया को अपना एजेंडा दिया : चिनॉय
मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस (आईडीएसए) के महानिदेशक सुजान आर चिनॉय द्वारा लिखित पुस्तक ‘वर्ल्ड अपसाइड डाउन’ पर पंकज सरन और शिशिर प्रियदर्शी ने उनके साथ भारत द्वारा अपनी भू-राजनीति को पुनर्गठित करने की बात पर विस्तार से चर्चा की। इस दौरान श्री चिनॉय ने भारत की अर्थव्यवस्था को बढ़ाये चलने की बात पर जोर दिया। साथ ही भारत द्वारा जी-20 की अध्यक्षता के माध्यम से अपना एजेंडा दुनिया के लिए सेट करने को भारत की रणनीतिक विजय बताया। 
भारत के संग्रहालय 10 साल में काफी बदले हैं : तसनीम
पुस्तक ‘मुंबई अ सिटी थ्रू ऑब्जेक्ट’ के लेखक इतिहासकार, क्यूरेटर तसनीम जजकारिया मेहता के साथ सुनीत टंडन ने चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारत में संग्रहालय पहले की तुलना में काफी बदलने की बात करते हुए डॉ. भाऊ दाजी लाड संग्रहालय (बीडीएल) द्वारा यह संभव होने की बात कही। उन्होने 2022 में बीडीएल के 150 वर्ष होने पर इसे जश्न की तरह मनाने के लिए अपने संग्रह पर कुछ गहन शोध करने की बात कही साथ ही 2005 में जीर्णोद्धार कार्य के लिए यूनेस्को का सर्वोच्च पुरस्कार जीतने की बात भी उन्होंने बताई। 
अंडमान के विकास से मिलिट्री को मिलेगा सहयोग : सेवानिवृत्त एडमिरल वर्मा
‘अंडमान द्वीप के विकास’ पर अजय सैनी, पंकज सेखसरिया, सेवानिवृत्त वाइस एडमिरल बिमल वर्मा, अमिताभ पांडेय के साथ बातचीत हुई। श्री पंकज ने विभिन्न रिपोर्ट्स की अनेक पहलुओं पर बात करते हुए यहां के डेवलपमेंट को भविष्य के लिए वहां की व्यवस्थाओं एवं बजट को बेवजह खराब करने की बात कही। वहीं सैनी ने अंडमान के सामाजिक और पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए इसका विकास करने की बात पर जोर दिया। इधर वर्मा ने अंडमान में आने वाले परिवर्तन से वहां मिलिट्री को भी सहयोग मिलने की बात करते हुए यहां के विकास के लिए वर्तमान की आवश्यकता बताई। उन्होंने इसके विकास हेतु सरकार द्वारा उठाए कदम की सराहना की। अपने अनुभवों को याद करते हुए उन्होंने कहा इसे मालदीप, थाईलैंड इत्यादि से बेहतर हो यह सुनिश्चित करना चाहिए।
परिवार की सुरक्षा के लिए कानून का ज्ञान रखें युवा : चंद्रा
‘वकालत और मुकदमेबाज़ी’ पर केंद्रित सत्र में अनंत मेराठिया और श्लोक चंद्रा ने कानून प्रणाली पर परिचर्चा की। श्री मेराठिया ने स्वयं को वकालत में परिवार की तीसरी पीढ़ी होने के बावजूद स्वयं को स्थापित करने के लिए काफी संघर्ष करने की बात कही। वहीं श्री चंद्रा ने मुकद्दमेबाजी को मैराथन की तरह बताया। उन्होंने कहा यह 200 या 400 मीटर की रेस नहीं इनके लिए दृढ़ निश्चय और महत्वाकांक्षा जरूरी है। वे बोले विद्यार्थियों को परिवार की सुरक्षा के लिए कानून का ज्ञान रखना जरूरी बताया। 
पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पर लिखी पुस्तक ‘द स्पिन्ट ऑफ इंडिया’ पुस्तक के लेखक मानश फिराक भट्टाचार्य के साथ डॉ. संदीप शास्त्री ने बातचीत की। इस दौरान पुस्तक में नेहरू के प्रति शामिल विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई। उन्होंने चंद्रयान-2 में वैदिक ज्योतिष का प्रयोग की सराहना करते हुए भारत को संस्कृतियों के मिलन में समृद्ध बताया।
चीन की इंफ्रास्ट्रक्चर के बढ़ाव देने में उसकी सस्ती लेबर 
‘पाथवे टू अ डॉमिनेशन एंड इन्क्लूसिव इंडिया ‘ पर डॉक्टर गणेश नटराजन, रजत कोठारिया, सीमा वर्मा की बात हुई। नटराजन ने अपनी पुस्तक में भारत को बताने की बात कही। चीन की लेबर को सस्ता बताते हुए उन्होंने इसे चीन की इंफ्रास्ट्रक्चर की बढ़ोतरी का कारण बताया। उन्होंने भारत मे शिक्षा पर कार्य करने की बात पर जोर दिया। 
2024 में राम भरोसे है बीजेपी : अभिज्ञान
‘राजनीति, जीत और हार’ पर डॉ. संदीप शास्त्री से अभिज्ञान प्रकाश, जयश्री एम सुंदर एवं ब्रजेश राजपूत की चर्चा हुई। वर्ष 2004 में ‘इंडिया इज साइनिंग’ की चर्चा करते हुए उस समय एवं मध्यप्रदेश में 2023 के दौरान की चुनाव कैम्पेनिंग पर विस्तार से बातचीत की गई। इस दौरान चुनाव के समय कैम्पनिंग की रणनीति के महत्व पर प्रकाश डाला गया। श्री अभिज्ञान ने भाजपा की कैम्पनिंग पर बात करते हुए 2024 में भाजपा को रामभरोसे होने की बात कही। 
लिविंग विद फ्लडस, जलवायु साक्षरता अहम है : भटनागर
जलवायु परिवर्तन पर आयोजित सत्र में भूटान की नग़मय चौडन (NAGMAY CHODEN), मनु भटनागर और मध्यस्थ सुरेंद्र कुमार सारदा की चर्चा हुई। भूटान में जलवायु परिवर्तन पर युवाओं को जागरुक करने के लिए मुहीम चलाने वाली नगमय ने भारतीय युवाओं को इसी तरह जागरूक करने कहा। मनु भटनागर ने भारत की प्रमुख नदियों के संरक्षण के लिए किए जाने वाले प्रबंध पर बात की। उन्होंने “लिविंग विद् फ्लडस” के कांसेप्ट पर बल देते हुए पर्यावरण को साथ लेकर सतत् विकास का संदेश दिया। उन्होंने नदियों के ऊपर होते अतिक्रमण एवं इंटर्लिंकिंग प्रोजेक्ट्स को पर्यावरण के लिए हानिकारक बताया। 
मैं जो पढ़ता हूं वही लिखता हूं: तरूण महर्षि
‘द पोर्ट्रेट ऑफ ए सीक्रेट: ए नॉवेल इंस्पायर्ड बाय ट्रू इवेंट्स’ पुस्तक के लेखक तरुण महर्षि ने जासूसों, कला और आतंकवाद पर ऋषि शुक्ला और डॉ. प्रदीप कपूर के साथ बातचीत की। श्री महर्षि ने जासूसी दुनिया पर एक उपन्यास लिखने की अपनी यात्रा पर प्रकाश डाला। उन्होंने अपनी अगली किताब के बारे में भी चर्चा की जो इसी शैली पर आधारित है क्योंकि वह जासूसी दुनिया के बारे में और जानना चाहते हैं।
महेश्वर शहर के विकास में संस्कृति का महत्व
‘शहरी विकास में संस्कृति का महत्व’ पर परिचर्चा के दौरान भोपाल के स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर के विद्यार्थियों ने ‘महेश्वर’ के शहरी विकास में संस्कृति के महत्व पर अध्ययन की प्रस्तुति दी। इस दौरान उसकी बनावट, मान्यता, अर्थव्यवस्था, रहन-सहन पर प्रकाश डाला। साथ ही बताया किसी भी शहर में रंग, वहाँ के लोग भरते हैं। शहर के अलग-अलग हिस्सों में लोगों द्वारा चलाए जा रहे व्यवसाय, वहाँ की संस्कृति पर निर्भर करता है। 
संस्कृति और सभ्यता को अपनी कविताओं में बनाये रखें कवि
‘आधुनिक भारतीय कविता’ पर जमशेद, तजेंदर सिंह लूथरा और नैना पचनंदा के साथ वर्तुल सिंह की बातचीत हुई। इस दौरान कविताओं में आधुनिकता एवं समकालीनता पर बनाये रखने के लिए सभी की समझ के अनुरूप रचनाओं में भाषा का चयन की बात पर जोर दिया गया। हमारी संस्कृति और सभ्यता को आधुनिक कविताओं में बनाये रखने की बात भी हुई। 
अशोका का युग, हिंसा में शांति का प्रतीक 
डॉ नयनजोत लहिरी की पुस्तक ‘एंपरर अशोका, लाइफ एंड लेगसी’ पर डॉ मीरा दास और डॉ एसबी ओटा की चर्चा में 
समर्थ अशोका और चंद्रगुप्त पर एक प्रेजेन्टेशन दिखाई गई जिसमें विदिशा, सांची और उदयगिरि में में पाए गए पुरातात्विक अवशेषों का विवरण दिया गया। यहां पाए जाने वाले वाले अवशेषों के आधार पर वक्ताओं ने अशोक को शांतिदूत का दर्जा दिया। 
रानी दुर्गावती के शासन में मठ, मंदिर, कुएं, बाबड़ी, धर्मशाला, सामाजिक संस्कारित कार्य हुए
महान वीरांगना रानी दुर्गावती के तेज, शौर्य, साहस और योग्यता पर ‘द रानी दुर्गावती द फोरगोटन लाइफ ऑफ अ वॉरियर क्वीन’ की लेखिका नंदिनी सेन ने डॉ नेहा जैन और ज्योति पांडे के साथ चर्चा की। उन्होंने कहा रानी दुर्गावती का युद्ध कौशल सराहनीय था, मुगलों से युद्ध करके उन्होने कई बार अपने क्षेत्र की रक्षा की। साथ ही उनके शासन काल में मठ, मंदिर, कुएं, बाबड़ी, धर्मशाला सहित अनेक धार्मिक, सामाजिक संस्कारित कार्य हुए जो कि आज भी प्रेरणादायी हैं। रानी दुर्गावती सेगुण प्रत्येक नारी में हैं उन्हें बस खोजने की जरूरत है। 
प्रेमचंद को देखा नहीं लेकिन महसूस करती हूं : सारा राय
कहानीकार और उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद जी पर केंद्रित सत्र में शामिल हुईं प्रेमचंद जी की पोती सारा राय ने अपनी पुस्तक ‘रॉ अंबर’ पर सीमा रायजादा के साथ चर्चा की। उन्होंने प्रेमचंद के जीवन को बड़ा ही सरल बताते हुए हरिशंकर परसाई द्वारा किये फोटोशूट का जिक्र किया, जिसमें प्रेमचंद फटे जूते पहने थे। सारा ने कहा उन्होंने प्रेमचंद को नहीं देखा लेकिन जब लोग उन्हें प्रेमचंद की पोती के नाम से जानते हुए बात करते हैं वह उन्हें महसूस कर लेती हूं।
युवाओं के लिए है बुक ऑफ एस्पिरेशन्स
“लिविंग अ लाइफ विद् पर्पज़” पर वेद आर्या, आर परसुराम और गौरी सिंह की चर्चा हुई। गौरी ने अपने वक्तव्य में कई लेखकों कक रचना ‘बुक ऑफ एस्पिरेशन्स’ का ज़िक्र करते हुए ये पुस्तक युवाओं के लिए होने की बजाय कह, जिसमें जीवन के उद्देश्य पर विविध विचार संप्रेषित हैं।

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