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आबू-धाबी के सनातन मंदिर का है संस्कारधानी से गहरा नाता

जबलपुर । आज संपूर्ण विश्व में जिस मंदिर की चर्चा हो रही है वो लगभग 700 करोड़ रूपये की लागत से आबू-धाबी में नागर शैली में बनाया गया है। नवनिर्मित मंदिर की प्राणप्रतिष्ठा में प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने शिरकत की थी। इस कारण भी दुनियां की नजरें भव्य मंदिर पर टिक गईं हैं।

गौरतलब है कि आबू-धाबी में स्थापित मंदिर का निर्माण “बोशासंवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस)” द्वारा कराया गया है। यह कम गौरव की बात नहीं है कि इसके सानिध्य में ही अक्षरधाम मंदिर का निर्माण गुजरात एवं नईदिल्ली सहित नार्थ अमेरिका, एटलांटा, ओकलैंड, शिकागो, ह्यूस्टन, लन्दन, लॉस-एंजिल्स, नैरोबी, रोबिन्स्विले, सिडनी और टोरंटों के मंदिरों का निर्माण भी हुआ है। बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था के संस्थापक सदस्यों में से एक केशव जीवनदास जी महाराज का सीधा सम्बन्ध मध्य प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर से है, जिनकी देख-रेख में आबू-धाबी मंदिर का निर्माण रिकार्ड समय में पूर्ण हुआ है।
श्री केशवजीवनदास जी महाराज का जन्म संस्कारधानी जबलपुर के नेपियर टाउन में 13 सितम्बर 1933 को एक गुजराती परिवार में हुआ था। श्री केशवजीवनदास जी वर्तमान में बीएपीएस संस्था के छटवें अध्यात्मिक गुरु हैं। उन्होंने उच्चतर माध्यमिक तक की शिक्षा जबलपुर के क्राइष्टचर्च स्कूल से की और फिर वे आगे की पढ़ाई के लिए गुजरात के आणंद चले गए। 1957 में अपने गुरु से प्रसाद दीक्षा लेने के बाद उन्होंने अध्यात्म के पथ को अंगीकार किया।

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