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बच्चों के कोर्ट विवाह में माता पिता की सहमति अनिवार्य हो : आशुतोष पाटीदार


पैदल निवेदन यात्रा- चलो चार कदम मेरे साथ : आशुतोष पाटीदार


भोपाल । प्रदेश ही नहीं देश में अब माता पिता अपने बच्चों के व्यवहार से पीड़ित हैं वहीं उससे ज्यादा सरकार के वैवाहिक कानून भी परेशानी का सबब बना हुआ है । देश में अब बच्चों के द्वारा बालिग होने उपरांत अपनी मर्जी जीने की स्वयंत्रता को सरकार की सहमति है जो बच्चों के माता पिता के लिए परेशानी का कारण है। अधिकतर माता पिता का कहना है कि 18 वर्ष की आयु तक बच्चों को पढ़ाने और उनकी इच्छाओं की पूर्ति करते रहते हैं साथ ही जिन मां बाप की हैसियत नहीं होती वह कर्ज लेकर बच्चों को पड़ते है । लेकिन सरकार के कानून की वजह से आज बच्चे अपनी मनमानी कर रहे हैं और माता पिता कानून की वजह से muk दर्शक बने रहते है। पलकों के सभी सपने चूरचूर हो जाते हैं । इन माता पिता की पीड़ित करने में जितना बच्चे दोषी हैं वहीं उससे ज्यादा सरकार के द्वारा बनाया गया कानून। आज बच्चों से मान बाप कोई उम्मीद ही नहीं कर पा रहे हैं बुढ़ापे का सहारा उनसे दूर होता जा रहा है। वहीं अगर डीएनए की बात की जाए तो वह भी अंतरजातीय विवाह से बदलता जा रहे । इन्हीं समस्याओं को लेकर आशुतोष पाटीदार ने पैदल यात्रा निकाल कर सभी को जागरूक करने बच्चों के द्वारा गंधर्व विवाह में मां बाप की सहमति अनिवार्य करने की मांग की है।  

आशुतोष पाटीदार ने बताया कि 18 वर्ष की आयु में एक लड़की अपने माता-पिता को त्याग कर भी अपना जीवन साथी चुनने का अधिकार रखती है, पर 50 वर्ष का पिता सलाह देने का भी अधिकार नहीं रखता, आखिर क्यों?

 जो माता-पिता अपने बच्चों की परवरिश कर उन्हें बडा करते है, हर पल बच्चों के सुख-दुःख की चिंता में लगे रहते है। सरकारी एक कानून के तहत माता- पिता का बच्चों पर कोई अधिकार नही रहता चाहे वो प्रेम विवाह हो या बुजुर्गों का घर निकाला।

ये माता-पिता के अधिकारों का हनन है। हमारे देश और समाज में पश्चिमी सभ्यता के प्रभाव से पनप रही इन कुरीतियों पर कोई बंदिशें नही हैं। और आने वाले समय में ये कुरीतियां देश व समाज की संस्कृति और सभ्यता को विनाश की ओर ले जा रही है। मैं आशुतोष कुमार पाटीदार पिता श्री गणेश लाल पाटीदार ग्राम- दसई जिला धार निवासी शासन, प्रशासन, और समाज जनों से इन कुरीतियों के विरुद्ध परिवर्तन लाने हेतु छह सूत्रीय मांग के साथ 7 अप्रैल से भोपाल पैदल यात्रा कर रहा हूं।

सभी समाजजनों और राष्ट्रभक्त संगठनों से निवेदन है

कि चार कदम मेरे साथ चल कर हमारी हिन्दू सभ्यता

और संस्कृति को बचाने में सहायता करे। मैं अकेला घर

से निकला जरूर हूँ, पर ये जानता हूँ कि मै अकेला नही हूँ।

पैदल निवेदन यात्रा – माँग पत्र

1. 21 वर्ष से कम उम्र के लड़के-लड़की यदि प्रेम विवाह करना चाहे तो माता-पिता की सहमति होना चाहिए।

2. 23 वर्ष से कम उम्र के लड़के-लड़की यदि बिना माता-पिता की सहमति शादी करते है तो लड़के-लड़की की कुल आय कम से कम 1,20,000 रुपये होना चाहिए।

3. कोर्ट मैरिज में भी माता-पिता को आपत्ति लेने के अधिक अधिकार होना चाहिए व माता- पिता को जानकारी देने के बाद ही कोर्ट मैरिज होना चाहिये।

4. आर्य समाज के मंदिरो में फर्जी तरीको से होने वाली शादियां भी कोर्ट मैरिज की तरह होनी चाहिए अन्यथा उन पर भी रोक लगनी चाहिए।

5. बच्चे यदि माता-पिता को त्यागने का अधिकार रखते है, तो माता-पिता को भी बच्चों का पूर्णरूप से बहिष्कार करने का अधिकार होना चाहिए। जिसमे स्वयं अर्जित संपत्ति और पैतृक संपत्ति से भी बहिस्कार किया जा सकता हैं। 6. बच्चे यदि बूढ़े माता-पिता को त्याग कर अलग होते है, माता-पिता को उन पर कोर्ट केस कर वृद्ध जीवन भत्ता लेने का अधिकार होना चाहिए। इस हेतु सर्वसमाज से जागरूकता ला कर इस कुरीति को रोकने का प्रयास किया जाना चाहिये।

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