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अंतरिक्ष यात्री के धरती पर लौटते ही ‎दिया जाता है स्ट्रिक्ट डायट व नींबूपानी

कई दिनों तक नही ‎दिया जाता है पारंपरिक खाना, पहले होता है मे‎डिकल टेस्ट

नई दिल्ली । अंतरिक्ष यात्री के धरती पर लौटते ही सबसे पहले उन्हें स्ट्रिक्ट डायट व नींबूपानी ‎दिया जाता है। हालां‎कि वह भी डॉक्टरों की देखरेख में तमाम मे‎डिकल परीक्षण होने के बाद ‎दिया जाता है। दरअसल ये जानने लायक बात है कि अंतरिक्ष यात्री जब स्पेस में रहते हैं तो क्या खाते हैं? और जब वो पृथ्वी पर लौटते हैं तो कुछ दिनों तक उन्हें खाने में क्या दिया जाता है? क्योंकि पृथ्वी पर आने के वाद वो कुछ दिनों तक सीधे भोजन नहीं कर सकते। कभी सोचा है कि किस तरह अंतरिक्ष यात्री वहां महीनों रहते हैं। इस दौरान वो किस तरह सोते और खाते-पीते हैं। आप जिस तरह धरती पर आराम से सोते हैं और खाना गरम करके तरह-तरह के व्यंजनों का स्वाद लेते हैं, वैसा कुछ भी स्पेस स्टेशन में नहीं होता। सबसे हैरान करने वाली बात ये भी है कि स्पेस में पानी इतना दुर्लभ होता है कि उन्हें खुद का रिसाइकल किया हुआ मूत्र पीना होता है। अंतरिक्ष यात्री जब स्पेस में समय बिताकर वापस आते हैं तो उन्हें मन मारकर वो चीजें खानी होती हैं, जो उनके लिए पृथ्वी पर शुरुआती कुछ दिनों के लिए सही मानी जाती हैं। पिज्जा या बर्गर खाने का मन करे लेकिन वो उन्हें नहीं मिल सकता।
जानकार बताते हैं ‎कि शुरुआती कुछ दिनों के लिए उन्हें स्ट्रिक्ट डायट का पालन करना होता है ताकि उनका शरीर और पेट पृथ्वी का अभ्यस्त हो जाए। अंतरिक्ष में तो उन्हें कुछ महीनों तक सूखा और फ्रीज में रखा खाना ही मिलता है। बहुत ज्यादा पानी भी वह नहीं पी पाते हैं। जब वो लौटते हैं तो वो उन सारी चीजों को खाना चाहते हैं जो उन्हें अच्छी लगती हैं, लेकिन उन्हें मिलती नहीं हैं। लौटने के बाद पहले उन्हें कई तरह के मेडिकल टेस्ट से गुजरना होता है। पहले तो उन्हें डॉक्टर केवल लेमन जूस के साथ पानी ही देते हैं। लेकिन कुछ समय बाद खाने की दूसरी चीजें उनके लिए शुरू होती हैं।
अंतरिक्ष यात्रियों को आमतौर पर खाने के लिए सबसे पहले ताजे सेब मिलते हैं। सेब इसलिए क्योंकि उनका इम्यून सिस्टम कमजोर हो चुका है। इसलिए उन्हें वही खाने को मिलता है, जो आसानी से पच सके और हेल्थ के लिए बेहतर हो। जिसको वो हाथ में पकड़कर खा सकें। इसके बाद फिर भुना गोश्त शुरू होता है। वैसे कुछ अंतरिक्षयात्री सेब की बजाए आम और दूसरे फ्रूट खाने को भी कहते हैं। कुछ खरबूजा भी पसंद करते हैं। ये उन्हें खाने को मिल जाता है। लेकिन शुरुआती दिनों में उनका खाना काफी पाबंदी वाला होता है।
इतना ही नहीं कुछ हर्बल या ग्रीन टी जैसी चीज भी पीने की उन्हें इजाजत मिल जाती है। इसके बाद वह चावल के कुछ व्यंजन भी खा सकते हैं। धीरे धीरे फिर वो अपने पृथ्वी के मनपसंद खाने तक आ जाते हैं। जानकारी ‎के अनुसार अंतरिक्ष स्पेस स्टेशन पर ठहरने के दौरान मूत्र से लेकर हर तरह के इस्तेमाल बड़े अजब होते हैं। वहां पर मूत्र को रिसाइकल करके फिर पीने लायक बनाया जाता है। एक बार इस्तेमाल हो चुका पानी खास नलियों के जरिए रिसाइकिलिंग मशीनों के पास पहुंचता है। रिसाकल होकर इसका फिर इस्तेमाल होता है, ये पिया भी जा सकता है। वर्ष 2009 में नासा ने स्पेस सेंटर में वाटर रिकवरी सिस्टम लगाया। तब से एस्ट्रोनॉट्स अपने ही मूत्र रिसाइकल किए जाने के बाद पीते रहे हैं। उन्हें इसमें कोई दिक्कत भी नहीं होती है।
बता दें ‎कि धरती से स्पेस स्टेशन तक पानी ले जाना बहुत महंगा और मुश्किल है। ऐसा नहीं है कि धरती से वहां तक पानी ले जाया नही जाता, लेकिन वो एक सीमित मात्रा में ही होता है। चूंकि अंतरिक्षयात्रियों को कहीं बाहर से और कोई पानी नहीं मिलता है। इसलिए उन्हें रिसाकल वाटर को ही बार-बार इस्तेमाल में लाना होता है, वो इसको पीते भी हैं। अंतरिक्ष स्पेस स्टेशन में रहने के दौरान सुबह ब्रेकफास्‍ट को खास तरह के स्टैंड्स से निकालकर खाना होता है, इसमें अंडे, मीट सब्‍जियां, ब्रेड, स्‍नैक्‍स जैसी सभी वैराइटी मिलेगी। आमतौर पर ये खाना नासा खुद तैयार कराती है। इन्हें गर्म करने के लिए माइक्रोवेव ओवन होते हैं। यहां सब कुछ डिहाइड्रेटेड और पैक्ड होता है जो महीनों चलता है, तथा खराब नहीं होता है।

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