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सावधान….गलती से भी न होने दें चेंक बाउंस, वरना खानी पड़ सकती हैं जेल की हवा

नई दिल्ली । पिछले कुछ वर्षों के दौरान वित्तीय क्षेत्र में खूब तरक्की हुई है। देश के अधिकतर परिवारों के पास अब कम से कम एक बैंक अकाउंट है। इसमें से अधिकतर लोगों के पास चेक बुक की भी सेवा है। वे अपने काम के लिए चेक काटते भी रहते हैं। लेकिन, कभी कभी ऐसा होता है कि आपके अकाउंट में पैसे नहीं हैं और अपने चेक काट दिया। जब चेक को बैंक में भुनाने के लिए जमा किया गया तब वह बाउंस या डिसऑनर हो गया। ऐसी स्थिति आने नहीं दीजिए क्योंकि ऐसा होने पर आपको भी दो साल की कारावास की सजा हो सकती है। पिछले दिनों ऐसा ही कुछ फिल्ममेकर राजकुमार संतोषी के साथ हो चुका है।

बिजनेस जानकार बताते हैं कि चेक बाउंस होने के कई कारण होते हैं। अव्वल कि आपके खाते में उतनी रकम नहीं हो, जितने का आपने चेका काटा है। इसके बाद में चेक बाउंस होना तय है। इसके अलावा आपके सिग्नेचर मैच नहीं होने पर, शब्दों में गलती होने पर, अकाउंट नंबर गलत भरने पर, ओवरराइट करने पर, समय सीमा के बाद चेक जमा करने पर, नकली चेक के संदेह आदि की परिस्थिति में चेक बाउंस हो जाता है। वह बताते हैं कि चेक बाउंस होने पर बैंक जुर्माना वसूलते हैं। जानकार बताते हैं कि नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट, 1881 के मुताबिक चेक बाउंस होने की स्थिति में दोषी व्‍यक्ति के खिलाफ मुकदमा चलाया जा सकता है। अपराध सिद्ध होने पर दोषी व्यक्ति को दो साल तक की जेल या चेक में भरी राशि का दोगुना जुर्माना या दोनों लगाया जा सकता है। हालांकि ऐसा उसी स्थिति में होता है जब चेक देने वाले के अकाउंट में पर्याप्‍त बैलेंस न हो और बैंक चेक को डिसऑनर कर दे। फिल्मकार संतोषी के मामले में ऐसा ही हुआ। ऐसा नहीं है कि चेक डिसऑनर होते ही चेक काटने वाले के खिलाफ मुकदमा चला दिया जाता है। चेक के बाउंस होने पर बैंक की तरफ से पहले लेनदार को एक रसीदनुमा नोटिस दी जाती है, जिसमें चेक बाउंस होने की वजह के बारे में बताया जाता है। इसके बाद लेनदार को 30 दिनों के अंदर देनदार को नोटिस भेजना होता है। अगर नोटिस के 15 दिनों के अंदर देनदार की तरफ से कोई जवाब न आए तब लेनदार मजिस्ट्रेट की अदालत में नोटिस में 15 दिन गुजरने की तारीख से एक महीने के अंदर शिकायत दर्ज करा सकते हैं। अगर इसके बाद भी आपको रकम का भुगतान नहीं किया जाता है, तब देनदार के खिलाफ केस किया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि निगोशियेबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट 1881 की धारा 138 के मुताबिक चेक का बाउंस होना एक दंडनीय अपराध है और इसके अलावा दो साल की सजा और जुर्माना या फिर दोनों का प्रावधान है।

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