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जिंदे में गौरव बताने वाली बीजेपी नेत्री ने पिता की मृत्यु के बाद यौन शोषण के लगाए आरोप

नई दिल्ली । प्रदेश भाजपा ने दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल के यौन शोषण वाले बयान पर निशाना साधा है। भाजपा नेताओं ने मालीवाल के एक पुराने ट्वीट को टैग भी किया है। इसमें मालीवाल ने कहा, मैं फौजी की बेटी हूं, फौज में पली-बढ़ी हूं, देश के लिए काम करना और जान देना सीखा है, मुझे दुनिया की कोई ताकत डरा नही सकती। भाजपा नेताओं ने प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, रक्षा मंत्री को मेल कर मालीवाल के बयान का जांच कराने की मांग की है।
प्रदेश भाजपा प्रवक्ता ने स्वाति के बयान पर जताई चिंता
प्रदेश भाजपा प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने कहा कि शनिवार को मालीवाल ने बचपन में पिता द्वारा यौन शोषण की बात कहीं, जो चिंताजनक है पर वहीं 2016 में एक ट्वीट में पिता को अपना गौरव बताया है, आखिर किस ट्वीट पर यकीन किया जाए। भाजपा नेता जगदीश मामगई ने कहा कि पहले अपने फौजी पिता पर नाज कर देश के लिए काम करने व जान देने की बात कही, अब बचपन में फौजी पिता पर यौन शोषण का आरोप लगाया। इसकी जांच होनी चाहिए। दुष्कर्म हुआ तो पिता पर और नहीं हुआ तो फौजी पर कलंक लगाने वाली बेटी पर कार्रवाई होनी चाहिए।
प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को लिखी चिट्ठी
पूर्वांचल मोर्चा के प्रदेश मंत्री एस राहुल ने एक कदम आगे बढ़ते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को मेल भेजकर मालीवाल के आरोपों की जांच करने की मांग की है। कहा है कि इसकी जांच होनी चाहिए कि पिता की मृत्यु के बाद उन पर यौन शोषण के गंभीर आरोप लगाना सस्ती लोकप्रियता के लिए तो नहीं किया गया है।
यह था मामला
दिल्ली महिला आयोग की ओर से शनिवार को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए स्वाति ने कहा था कि मैं चौथी कक्षा तक अपने पिता के साथ रही। जब मेरे पिता घर आते थे तो मैं डर जाती थी। वह गुस्से में मुझे बेवजह पीटते थे। डर के कारण मैंने कई रातें बिस्तर के नीचे छिपकर बिताई हैं। मैं डरकर सहमती और कांपती रहती थी। तड़प में उस समय मैं केवल यह सोचती थी कि ऐसा क्या किया जाए कि शोषण करने वाले और घरेलू हिंसा करने वाले आदमियों को सबक सिखा सकूं। उन्होंने कहा था कि मेरी जिंदगी में मेरी मां, मेरी मौसी, मौसाजी और मेरे नानी-नानाजी न होते तो शायद मैं उस पीड़ा से बाहर नहीं निकल पाती और शायद यहां न होती जहां मैं आज खड़ी हूं।

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