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धड़ल्ले नियम विरुध्द हो रहा कारोबार

कागजों में सिमट गई खुले में मांस बिक्री पर कार्यवाही

जबलपुर, । यह पहला अभियान नहीं है जो जोर शोर से शुरु हुआ और फिर कागजों में सिमट गया। लेकिन चूंकी यह नव निर्वाचित प्रदेश सरकार का पहला अभियान था, इसलिये उम्मीद थी कि यह जमीन पर उतरेगा और असर दिखाएगा। लेकिन यह पूर्व के अभियानों से भी जल्दी कागजों में सिमट गया। प्रदेश शासन के निर्देश खुले में बिकने वाले कच्चे और पक्के मांस के खिलाफ नगर निगम द्वारा शुरु किया गया अभियान शहर के पांच प्रतिशत हिस्से में प्रभावी तौर पर लागू नहीं हुआ और समाप्त होता दिख रहा है। शहर में जैसे पहले खुले में सड़क किनारे जहां तहां, कच्चा पक्का मांस बेचा जाता था, आज भी वैसे ही बिक रहा है। जबकी केन्टोनमेंट क्षेत्र में केन्ट बोर्ड गंभीरता के साथ खुले में नियम विरुध्द मांस बिक्री पर प्रभावी कार्यवाही कर रही है। वहीं दूसरी तरफ नगर निगम ने कुछ चालान काट कर इतिश्री कर ली। चौकाने वाली बात यह है मुख्य मार्गों पर सड़क किनारे काटकर बेचने और कचरा वहीं फेंक देने वाली मांस दुकानों को भी नगर निगम व्यवस्थित नहीं करा सकी।
मुख्य मार्गों में धड़ल्ले से बिक रहा…….
बहोराबाग से घमापुर के बीच मुख्य मार्ग में दर्जनों दुकान सड़क के किनारे पटा पटिया रखकर टपरा गाड़कर सालों से खुले में बेचा जा रहा है। इस मार्ग से स्कूल कालेज के बच्चों से लेकर, महिलाएं युवतियां बुजुर्ग कामकाजी सब गुजरते हैं। लेकिन सड़क पर टांग कर बेचना और वहीं फेंक देना यहां आम शिकायत है। कई बार क्षेत्रीय जनों ने आपत्ति जताई, शिकायत की गुहार लगाई, लेकिन नगर निगम और जिला प्रशासन के कान में जूं तक नहीं रेंगी। इस बार शासन के आदेश पर खुले में मांस बिक्री करने वालों को व्यवस्थित करने की कार्यवाही शुरु हुई तो, आमजन को उम्मीद थी की अब यहां भी व्यवस्था ठीक होगी। लेकिन यहां स्थिति में मामूली बदलाव भी नहीं आया। यही हाल रांझी और गढ़ा के मुख्य मार्गों में देखा जाता है।
शहरवासियों का मिला समर्थन…….
मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र हों, बस्ती क्षेत्र या फिर पाश कालोनिया हर जगह प्रदेश सरकार के इस पैâसले और नगर निगम की शुरुआती कार्यवाही का स्वागत हुआ था। सबने कहा था कि तन और मन के स्वास्थ्य के लिये मांस का कारोबार व्यवस्थित किया जाना अच्छा कदम है। लेकिन जिम्मेदारों ने इस अभियान पर भी पलीता लगा दिया और ठंडे बस्ते में डाल कर अगले अभियान में फोटो खिंचवान लगे।
तन और मन पर गंभीर प्रभाव …..
जानकार कहते हैंं मांस तेजी से खराब होने वाली चीज है, यदि इसे खुले में धूप मिट्टी के बीच बेचा जाए तो यह खराब होते होते जहर बनने लगता है। वहीं इसका अवशेष यदी ऐसे ही खुले में फेंका जाए तो वो भी संक्रमण का कारण बनता है। वहीं मन पर इन सबका गंभीर प्रभाव पड़ता है। मांस के कारोबार को लेकर पूरी गाईडलाईन नियम कायदे मौजूद हैं। लेकिन जिम्मेदार विभागों ने कभी इनके पालन में गंभीरता नहीं दिखाई। कभी कार्यवाही शुरु भी हुई तो वो कागजों में सिमट गई।

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