Uncategorized
अभिभावकों की गलती से तनावग्रस्त हो जाते हैं बच्चे
तनाव के चलते छिन जाता है बचपन
नई दिल्ली । बच्चों का बेहतर पालन पोषण करना हर माता-पिता के लिए आज चुनौती बन गई है। जिस समय बच्चों को खुश रहना चाहिए, तब वे बच्चे अपने माता-पिता की गलतियों की वजह से तनावग्रस्त हो जाते हैं।
छोटी उम्र में ही बच्चा बड़ा हो जाता है। वह अपना बचपन भूलकर बड़ों को देखते हुए अपनी एक अलग दुनिया बनाता है जो उसे समाज से दूर करती है। आज हम अपने पाठकों को कुछ ऐसी ही बातें बताने जा रहे हैं जिन्हें माता-पिता को अपनी जिन्दगी में शामिल करना चाहिए, जिससे उनके बच्चे तनावग्रस्त जिन्दगी न जिएं।पति-पत्नी जब माता-पिता बन जाते हैं, तो उनकी जिम्मेदारी बढ़ जाती है। माता-पिता बनने के बाद आपके आसपास कोई और भी होता है जो आपके बीच की बातें सुन और देख रहा होता है। अगर माता-पिता लड़ाई करेंगे, तो बच्चे के मन पर बुरा असर पड़ेगा। किसी भी बहस या बात को बच्चे के सामने करने के बजाय उसके पीछे करें।
जिन माता-पिता के बीच अक्सर लड़ाई होती है, उनके बच्चे आगे चलकर रिश्तों पर विश्वास नहीं कर पाते और तनाव का शिकार हो जाते हैं।समाज में जीने के लिए बच्चे को बाहर के माहौल में घुलना मिलना आना चाहिए। बच्चा बिगड़ न जाए या किसी मुसीबत में न पड़ जाए इसलिए माता पिता उन्हें बाहर जाने से मना करते हैं। ऐसे में वह बच्चा खुद को कैद में महसूस करता है और अकेलापन महसूस करता है। हो सकता है कि वह माता-पिता के इस बर्ताव की वजह से उनसे दूरी बनाने लगे।अक्सर अभिभावक बच्चे पर अपनी इच्छाओं को पूरा करने का दबाव बनाते हैं। वह बच्चे से कई सारी उम्मीदें लगा लेते हैं और उन्हें पूरा करने के लिए बच्चे से अपेक्षा करते हैं। इसके कारण बच्चा तनाव में आ सकता है। अभिभावकों की इच्छा और सपनों को पूरा करने के लिए बच्चे पर मानसिक और शारीरिक तौर पर दबाव बढ़ता है। कई बार माता-पिता अपने बच्चों की तुलना उनके दोस्तों या फिर रिश्तेदारों के बच्चों से करने लग जाते हैं।
अगर आप भी ऐसा करते हैं तो इस आदत को छोड़ दें। भले ही आप तुलना अच्छे के लिए कर रहे हों, लेकिन इसका असर उनके ऊपर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। अधिकतर बच्चों को दूसरों के साथ की गई तुलना बिल्कुल पसंद नहीं होती है। ऐसे में वह काफी ज्यादा जिद्दी और लापरवाह भी हो सकते हैं। अगर आप उन्हें बेहतर इंसान बनाना चाहते हैं तो उन्हें प्यार से समझाने की कोशिश करें और आपका भी फर्ज है कि आप उनके मन को समझें और उस हिसाब से उन्हें समझाएं।कुछ माता-पिता अपने बच्चों को अनुशासित रखते हैं ताकि उनकी आदतों में सुधार किया जा सके। कभी-कभी आपका सख्त बनना बच्चों के व्यवहार पर नकारात्मक असर डाल सकता है। इसलिए कोशिश करें कि बच्चों को छोटी-छोटी गलतियों पर सख्त सजा न दें।
अगर आप उन्हें बहुत कड़ी सजा देते हैं तो आपका बच्चा मानसिक तनाव का शिकार हो सकता है। इसलिए उनकी गलतियों पर उन्हें सुधारने के लिए प्यार से समझाने की कोशिश करें। समय न देना आजकल की भागती-दौड़ती जिंदगी में किसी के पास समय नहीं है। लेकिन आपके घर में पैट्स या बच्चे हैं, तो उनके लिए आपको समय निकालना ही होगा। जिन बच्चों के माता-पिता दोनों वर्किंग होते हैं, उनके बच्चों को तनाव ज्यादा होता है। बच्चे ज्यादा समय अकेले बिताएंगे, तो उन्हें सही और गलत के बीच फर्क समझने में मुश्किल होगी। अगर आप बच्चे से दूर रहते हैं, तो भी बात करने का जरिया न बंद करें। बच्चे के लिए समय निकालना हर तरह से फायदेमंद है। इससे आपके और बच्चे के बीच का बॉन्ड मजबूत होता है।
फैसले लेने का अधिकार न देना अक्सर माता पिता बच्चों को नसमझ और जिम्मेदार न समझ कर उनके जीवन से जुड़े हर फैसले स्वयं ही लेते हैं। चाहे वह उनकी पसंद का खिलौना लेना हो या उनकी शिक्षा से जुड़ा फैसला हो। बच्चों को कुछ फैसले खुद से लेने दें। मालूम हो कि अक्सर बच्चों की कुछ गलतियों पर उनके माता-पिता, पड़ोसी व स्कूल के अध्यापक अध्यापिकाएँ उन्हें मारने या डांटने लगते हैं। इससे बच्चे तनाव में आ जाते हैं।