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कांग्रेस पार्टी ने अपने चुनावी घोषणापत्र किया जारी, रोज़गार, सामाजिक न्याय के साथ-साथ लोकतांत्रिक मूल्यों को प्राथमिकता.

नई दिल्ली । राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा छुआ में जनता को आकर्षित करने अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया है । कांग्रेस पार्टी ने अपने मैनिफ़ेस्टो में वादा किया है कि वो बिना भेदभाव के प्रत्येक नागरिक के हक़, धार्मिक स्वतंत्रता और उनसे जुड़े हक़ों और संघवाद की रक्षा करेगी और लोकतंत्र की परिभाषा को चुनाव और वोट से आगे ले जाने की कोशिश करेगी।

लेकिन घोषणा पत्र में उठाए गए कई मुद्दों पर सवाल भी उठ रहे हैं।
कई योजनाएं सीधे-सीधे मोदी सरकार की योजनाएं सरीखी लग रही हैं. लोग सवाल उठा रहे हैं कि ये मौजूदा सरकार की नकल जैसे लग रही हैं. जैसे कांग्रेस ने युवाओं के रोज़गार के संबंध में ट्रेनिंग के लिए लाख रुपये प्रति युवा देने का वादा किया है।
इसी तरह की राशि मोदी सरकार भी युवाओं को रोज़गार के लिए देती है।
कांग्रेस ने किसानों से वादा किया है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने वाला क़ानून भी लाया जाएगा और कर्ज़ माफ़ी का भी प्रावधान होगा।
हालांकि कई राज्यों में इस तरह की योजनाओं का वादा करने के बावजूद कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था। 
ऐसे में सवाल यही है कि कांग्रेस के चुनावी घोषणापत्र में किए गए इन वादों का कितना असर होगा।
कांग्रेस ने जिन मुद्दों को अपने घोषणापत्र में उठाया है, उनकी अहमियत समझाते हुए राजनीतिक विश्लेषक और अंग्रेज़ी अख़बार ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ के राजनीतिक संपादक विनोद शर्मा कहते हैं, ”लोकतंत्र का मतलब महज़ वोट डालना नहीं है, और इसके बहुत सारे हिस्से हैं जिन्हें संविधान निर्माताओं ने मौलिक अधिकारों की श्रेणी में रखा है।
केरल और तमिलनाडु का उदाहरण देते हुए विनोद शर्मा कहते हैं, ”दोनों प्रदेशों में राज्यपाल राज्य सरकार के बीच लगातार टकराव के हालात बने रहे हैं और दूसरी सरकारें भी जीएसटी के पैसे समय पर न मिलने जैसी शिकायतें करती हैं.।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ही उत्तर प्रदेश में मदरसों पर आए हाई कोर्ट के एक ऑर्डर पर रोक लगा दी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मदरसा क़ानून को ग़लत बताया था. लेकिन सर्वोच्च अदालत ने हाईकोर्ट के इस फ़ैसले पर स्टे लगा दिया है।
कांग्रेस के घोषणापत्र में जिसे ‘न्याय पत्र’ बताया गया है, उसमें ईवीएम के साथ वीवीपैट के इस्तेमाल की बात कही गई है ताकि वोटरों के वोटों का मिलान किया जा सके और वोटर ये जान सकें कि उनका वोट किसको गया है।
चुनाव आयोग और दूसरी संस्थाओं की स्वतंत्रता ‘बहाल’ करने की बात भी घोषणापत्र में कही गई है.
मोदी सरकार की नई व्यवस्था के मुताबिक़- चुनाव आयुक्तों की बहाली में प्रधानमंत्री, एक कैबिनेट मंत्री और विपक्ष का नेता शामिल होता है.
आलोचकों का कहना है कि एक तरह से चुनाव समिति में दो व्यक्ति प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल का सदस्य दोनों सरकार के आदमी हैं तो सरकार का पाला नियुक्ति में भारी हो जाता है।
कांग्रेस पार्टी ने सत्ता में आने पर इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम, पीएम केयर फंड, सरकारी संपत्तियों की बिक्री को लेकर हुई डील्स और रक्षा सौदों की जांच कराने की बात कही है।
इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को देश की सबसे ऊंची अदालत ने ग़ैर-क़ानूनी क़रार दिया है। इसके बाद जारी डेटा से ये सामने आया है कि बहुत सारी कंपनियों ने अपने कुल क़ीमत और आमदनी से अधिक चंदा भारतीय जनता पार्टी को दिया है।
कांग्रेस ने युवाओं के रोज़गार के संबंध में ट्रेनिंग के लिए लाख रुपये प्रति युवा देने का वादा किया है. उसने यह भी कहा है कि अग्निपथ योजना को ख़त्म कर दिया जाएगा और उसकी जगह बहाली की पुरानी व्यवस्था क़ायम की जाएगी।
नरेंद्र मोदी सरकार की फौज में बहाली की अग्निपथ स्कीम बेहद विवादास्पद रही है। इसको लेकर फौज के पूर्व अफ़सर भी हैरत जताते रहे हैं। युवाओं में भी फौज में चंद सालों की भर्ती स्कीम को लेकर बेहद नाराज़गी दिखी थी हालांकि धीरे-धीरे ये शांत पड़ गई।
कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता आलोक शर्मा का कहना है कि फौज में भर्ती को दूसरे क्षेत्रों में नौकरियों की तरह नहीं देखा जा सकता है, क्योंकि ये देश की रक्षा का सवाल है। ग़रीब महिलाओं को एक लाख रुपये प्रति परिवार देने का वादा किया गया है।
न्याय पत्र’ को दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय 24 अकबर रोड पर जारी करते समय पी चिदंबरम ने कहा कि उनकी सरकार अगर बनती है तो उसका मुख्य फ़ोकस नौकरी, नौकरी और नौकरी रहेगा। पूर्व वित्त मंत्री ने ये भी कहा कि धन के बंटवारे से पहले ज़रूरी है कि धन का उपार्जन हो और कांग्रेस की पिछली मनमोहन सिंह सरकार का रिकॉर्ड है कि उसने 7.5 फ़ीसद सालाना के हिसाब से आर्थिक प्रगति की थी। उस सरकार में 24 करोड़ लोग दस साल के भीतर ग़रीबी से बाहर निकले थे।
उन्होंने वादा किया कि अगर सरकार फिर बनती है तो इतने ही लोगों को ग़रीबी से बाहर लाने को वो प्रतिबद्ध होगी।
कितने असरदार रहे कांग्रेस के वादे
कृषि के क्षेत्र में कांग्रेस के बड़े वादों में से एक है किसानों की क़र्ज़ माफ़ी का वादा और न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर गारंटी देने वाला क़ानून। अभी भी पंजाब के किसानों के कई समूह पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर एमएसपी पर क़ानून की मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं. 2020 में भी दिल्ली के पांच बॉर्डरों पर किसानों ने चौदह माह तक धरना दिया था।
कांग्रेस की छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने भी किसानों को देश में सबसे अधिक धान का मूल्य दिया था, साथ ही क़र्ज़ माफ़ी भी की थी। लेकिन पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में इन वादों के बावजूद कांग्रेस पार्टी को बीजेपी से हार का सामना करना पड़ा था।
न्यूनतम मज़दूरी को कम से कम 400 रुपये रोज़ाना करने का वायदा भी कांग्रेस के घोषणा पत्र में है।
सामाजिक न्याय के क्षेत्र में पार्टी ने जातीय जनगणना करवाने, अनुसूचित जाति-जनजाति और पिछड़ों के आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा को खत्म करने की बात कही है।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में राजस्थान की गहलोत सरकार की तर्ज़ पर 25 लाख रुपये तक के इलाज की सुविधा सरकार बनने की स्थिति में कांग्रेस देने की बात कर रही है।
कार्यक्रम के दौरान पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने याद किया कि जिस दिन घोषणापत्र जारी हो रहा है, वो कांग्रेस के बड़े नेता जगजीवन राम का जन्मदिन भी है, इसलिए ये एक बड़ा दिन है। हलांकि जगजीवन राम आपातकाल के दौरान कांग्रेस पार्टी छोड़कर जनता पार्टी के साथ चले गए थे जिसने 1977 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी को हराकर दिल्ली में सरकार बनाई थी.

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