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नपा के प्रशासक कार्यकाल के दौरान हुए करोड़ों के भ्रष्टाचार का किया खुलासा

टीकमगढ़  । नगर पालिका में प्रशासनिक कार्यकाल के दौरान हुए भ्रष्टाचार का शनिवार को कांग्रेस नेता ने खुलासा किया। कांग्रेस चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डॉ. आलोक चतुर्वेदी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर तत्कालीन प्रशासक कलेक्टर सुभाष कुमार द्विवेदी और नगर पालिका सीएमओ रीता कैलासिया पर करीब 100 करोड़ रुपए के फर्जी भुगतान के आरोप लगाए हैं। उन्होंने मामले की शिकायत वर्तमान कलेक्टर और मुख्यमंत्री से की है। कार्रवाई नहीं होने पर न्यायालय में याचिका दायर करने की चेतावनी दी है। उन्होंने बताया कि पिछले कई वर्षों तक नपा में प्रशासक के बतौर शासकीय अधिकारी कर्मचारी अपनी कमान संभाले हुए थे। जिन्होंने पूर्व भाजपा विधायक राकेश गिरि की मंशानुसार कार्योँ को संपादित किया है। डॉक्टर चतुर्वेदी ने बताया कि इस सारे कारनामे को अंजाम पूर्व विधायक ने इसलिए दिया है क्योंकि पांच वर्ष जहां पूर्व विधायक राकेश गिरी नपाध्यक्ष की कमान संभाले रहे हैं वहीं अगले पांच वर्ष उनकी धर्मपत्िन श्रीमती लक्ष्मी गिरि गोस्वामी नपाध्यक्ष के पद पर आसीन रहीं हैं। इन दस वर्षों का कार्यकाल एक ही परिवार में होने के कारण नपा कार्यालय में इनका बोलबाला था फिर पूर्व नपाध्यक्ष को विधायकी का पद मिलने के बाद वह और ज्यादा रूतबे वाले व्यक्तियों में गिने जाने लगे जिसके चलते प्रशासक कार्यकाल के दौरान करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार करने का आरोप उन पर कांग्रेस नेता डा‍ॅ. आलोक चतुर्वेदी ने लगाया है।

कांग्रेस नेता डॉ. आलोक चतुर्वेदी ने अपनी शिकायत में बताया कि वर्ष 2021-22 में प्रशासनिक कार्यकाल के दौरान बड़े पैमाने पर फर्जी भुगतान किए गए। सीएमओ रीता कैलसिया ने अपने कार्यकाल में बस स्टैंड का ठेका नहीं दिया, जिससे प्रतिवर्ष 3 लाख 85 हजार 240 रुपए की शासन को क्षति हुई है। उन्होंने 1 अप्रैल 2021 से 31 मार्च 2022 तक बिना शासन की स्वीकृति मास्टर कर्मचारी रखे। कर्मचारियों के नाम पर 3 करोड़, 60 लाख, 77 हजार 734 रुपए निकाले गए, इस मामले में आवासीय संप्रेक्षण विभाग ने 29 मार्च 2022 में जबाब मांगा गया। जिसका उत्तर नहीं दिया गया। वर्ष 2021-22 में रीता कैलासिया ने भंडार क्रय नियम का उल्लंघन किया। बिना शासन की ओर से निर्धारित राशि सेअधिक राशि में सामग्री क्रय की गई। एक लाख रुपए से कम राशि के निर्माण व मरम्मत कार्य एक वर्ष में लगभग 25 से 30 करोड़ राशि के कराए गए। जो बिनाटेंडर और कोटेशन प्रक्रिया के अपने तरीके से फर्जी कराए गए।
जबकि धरातल पर बिल्कुल भी कार्य नहीं हुए। चार कंपनियों को किया करोड़ों भुगतान आलोक चतुर्वेदी ने आरोप लगाते हुए कहा कि तत्कालीन कलेक्टर और नगर पालिका सीएमओ ने चार कंपनियों को करोड़ों रुपए के फर्जी भुगतान किए। इनमें मुखिया कंस्ट्रक्शन कम्पनी, सिद्धि विनायक कंस्ट्रक्शन कंपनी, गजानन कंस्ट्रक्शन कंपनी और तिलकपुरीगोस्वामी कंस्ट्रक्शन कंपनी शामिल हैं। सभी कंपनी भाजपा के पूर्व विधायक के परिजनों के नाम पर हैं। उन्होंने बताया कि प्रशासनिक कार्यकाल में वाहन मरम्मत के नाम पर 37 लाख 99 हजार 732 रुपए का फर्जी भुगतान किया गया।

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