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मेडिकल विश्वविद्यालय के गलत निर्णय की वजह से हजारों छात्र-छात्राएं नर्सिंग में प्रवेश लेने से वंचित ; रवि परमार

मेडिकल विश्वविद्यालय के 23-24 सत्र को शून्य वर्ष घोषित करने के निर्णय को राज्य शासन ने ठुकराया


भोपाल । मध्यप्रदेश की एकमात्र मेडिकल विश्वविद्यालय अपने कारनामों और घोटालों को लेकर देशभर में बहुचर्चित विश्वविद्यालय बन चुकी है। मेडिकल विश्वविद्यालय के निर्णय से शासन-प्रशासन तो खासा नाराज है ही वहीं हाईकोर्ट भी विश्वविद्यालय के निर्णयों को लेकर लगातार फटकार लगाता रहा है।
एनएसयूआई ने विवि प्रशासन के खिलाफ एक बार फिर मोर्चा खोल दिया है। एनएसयूआई के रवि परमार ने बताया कि हाल ही में शासन द्वारा मेडिकल विश्वविद्यालय द्वारा नर्सिंग के सत्र 2023-24 को शून्य वर्ष घोषित करने के निर्णय को ठुकरा दिया है हालांकि निर्णय लेने में काफी देर हो गई क्योंकि शैक्षणिक सत्र 2023-24 समाप्ति ही होने वाला हैं ऐसे में समय पर निर्णय नहीं होने की वजह से हजारों छात्र छात्राएं नर्सिंग में प्रवेश लेने से वंचित रह गए।
रवि परमार ने विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार पुष्पराज बघेल पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार की जिम्मेदारी थी कि समय पर नर्सिंग के शैक्षणिक सत्र 2023-24 को शून्य वर्ष घोषित करने के लिए शासन से अनुमति लेने के बाद ही विश्वविद्यालय को निर्णय लेना चाहिए था लेकिन विश्वविद्यालय ने निर्णय लेकर शासन को प्रस्ताव भेजा और शासन ने ठुकरा दिया इससे यह स्पष्ट होता हैं‌ कि विश्वविद्यालय के अधिकारियों के निर्णय से शासन नाखुश है। 
परमार ने शासन से मांग कि विश्वविद्यालय के अयोग्य एवं भ्रष्टाचारी रजिस्ट्रार पुष्पराज बघेल एवं परीक्षा नियंत्रक सचिन कुचिया पर तत्काल कार्रवाई करें जिससे विश्वविद्यालय के छात्र छात्राओं का भविष्य सुरक्षित हो सकें आए दिन विश्वविद्यालय में कई गड़बड़ियां सामने आती हैं जोकि विश्वविद्यालय की रजिस्ट्रार एवं परीक्षा नियंत्रक की मिली भगत से ही होती हैं।

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