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पहले बेटी ने राममंदिर के विरोध में रखा था व्रत, अब पिता मणिशंकर अय्यर जप रहे हैं पाकिस्तान की माला

नई दिल्ली । आतंक की फैक्ट्री कहे जाने वाले पाकिस्तान की अंध भक्ति कैसे की जाती है, ये कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर से बेहतर कोई नहीं जानता होगा। हाल ही में उन्होंने लाहौर के अलहमरा में फैज महोत्सव के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करते हुए पाकिस्तान की जमकर तारीफ की। वहां का स्नेह और पाकिस्तान का प्यार अय्यर को इतना भाया की, अपने भाषण में वे पाकिस्तान… पाकिस्तान… की ही माला जपते रहे। बता दें कि हाल ही में अय्यर की बेटी सुरन्या अय्यर से जुड़ा एक मामला भी सामने आया था, जहां उन्होंने अयोध्या में निर्मित राम मंदिर के विरोध में उपवास रखने का ऐलान किया था। इसके चलते आरडब्ल्यूए की तरफ से उन्हें नोटिस भी मिला था और माफी मांगने के लिए कहा गया था। हालांकि, उन्होंने दावा किया था कि जिस सोसाइटी की तरफ से उन्हें पत्र लिखा गया है, वह वहां नहीं रहती हैं। सुरन्या ने 19 जनवरी को एक सोशल मीडिया पोस्ट में भारत के मुसलमानों के समर्थन में उपवास का ऐलान किया था। बीते सप्ताह ही सुरन्या के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के वकील अजय अग्रवाल ने दिल्ली के साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में शिकायत भी दर्ज कराई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अग्रवाल के आरोप थे कि अय्यर ने 20 जनवरी को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर रामलला मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं।

पाकिस्तानी अखबार के अनुसार, अय्यर ने कहा, मेरे अनुभव से पाकिस्तानी ऐसे लोग हैं, जो दूसरे पक्ष के लिए जरूरत से ज्यादा प्रतिक्रिया देते हैं। अगर हम दोस्ती का व्यवहार रखते हैं, तो वे और ज्यादा दोस्ती रखते हैं। अगर हम शत्रुतापूर्ण बर्ताव करते हैं, तो वे और भी ज्यादा शत्रुतापूर्ण हो जाते हैं। इस दौरान उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की भी जमकर आलोचना की। कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने कहा कि आज तक किसी भी दूसरे देश में मेरा ऐसा स्वागत नहीं किया गया जितना पाकिस्तान में किया गया। पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार, अय्यर ने शनिवार को लाहौर के अलहमरा में फैज महोत्सव के दौरान यह बात कही। अय्यर ने कहा कि जब वह कराची में महावाणिज्य दूत के रूप में तैनात थे तो हर किसी ने उनकी और उनकी पत्नी की खातिरदारी की। कार्यक्रम के दौरान कांग्रेस नेता ने सुझाव दिया कि व्यापारियों, छात्रों और शिक्षाविदों को दोनों देशों की सरकारों को दरकिनार करते हुए भारत और पाकिस्तान के बाहर मिलना जारी रखना चाहिए।

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