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लोकसभा चुनाव से पहले ईवीएम बनेगी सियासी मुद्दा, जानकार करा रहे होमवर्क

नई दिल्ली। अब ईवीएम राजनैतिक दलों के निशाने पर है। हारने वाले इसका विरोध करते हैं तो जीतने वाले समर्थन। खामियां हैं भी या नहीं है इसको लेकर फिलहाल कुछ स्पष्ट नहीं है। लेकिन ये जरुर है कि इस बार के लोकसभा चुनाव में ईवीएम का मुद्दा जरुर उठेगा। इसकी आशंका इसलिए है कि तकनीकी के जानकार ईवीएम में छेड़छाड की संभावना व्यक्त कर रहे है। मतलब राजनैतिक दलों के लिए ऐसी संभावनाओं से भरा होमवर्क सियासी हथियार के तौर पर उपयोग हो सकता है।राजीव गांधी के मित्र और देश में सूचना क्रांति के जनक कहे जाने सैम पित्रोदा उर्फ सत्यनारायण विश्वकर्मा यूपीए सरकार में भी ज्ञान आयोग के चेयरमैन रहे हैं। उनका कहना है कि ईवीएम को अपने हिसाब से कंट्रोल किया जा सकता है। उसमें दखल संभव है। सैम पित्रोदा ने कहा कि भारत में इस समय उपयोग की जा रही ईवीएम मशीन स्टैंड अलोन मशीन नहीं है। ईवीएम मशीन के साथ जब वीवीपैट मशीन को जोड़ा गया था, तभी से समस्या शुरू हुई। वीवीपैट एक अलग डिवाइस है, जिसमें हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर होता है। वीवीपैट को ईवीएम से जोड़ने के लिए एक स्पेशल कनेक्टर इस्तेमाल किया जाता है। इसे एसएलयू कहते हैं। यह एसएलयू बहुत से सवाल खड़े करता है। उन्होंने कहा कि एसएलयू कनेक्टर ही वीवीपैट में यह दिखाता है कि किस बटन से बीजेपी को वोट मिला, किस बटन से कांग्रेस को और किस बटन से अन्य को। वोटिंग से पहले इसे प्रोग्राम किया जाता है। एसएलयू जोड़ने के बाद ईवीएम स्टैंड अलोन मशीन नहीं रह जाती। इसमें हर तरह के वह काम किए जा सकते हैं, जिनकी बात हो रही है। इसलिए हम चाहते हैं कि वीवीपैट से जो पर्ची निकलती है, वह अभी थर्मल प्रिंटर से निकलती है और उसे कुछ हफ्ते तक ही सुरक्षित रखा जा सकता है। उसकी जगह ऐसा प्रिंटर इस्तेमाल किया जाए, जिससे निकली पर्ची को अगले 5 साल तक सुरक्षित रखा जा सके।

सैम पित्रोदा ने कहा कि राजनीतिक दलों को ईवीएम के खिलाफ आंदोलन चलाना चाहिए। हस्ताक्षर अभियान चलाना चाहिए। जागरूकता अभियान चलाना चाहिए। जरूरत पड़े तो नौजवानों को इसके खिलाफ सड़क पर उतरकर आंदोलन करना चाहिए। राजनीतिक दलों को ईवीएम से चुनाव के बहिष्कार के विकल्प पर भी विचार करना चाहिए। राहुल गांधी ईवीएम के मुद्दे को लेकर गंभीर हैं। इस पर मेरी उनसे बातचीत हुई है। कांग्रेस नेता ने कहा कि ये पर्ची केवल कुछ समय के लिए ही वोटर को ना दिखाई दी जाए, बल्कि एक कागज पर प्रिंट होकर उसे मिले, जिसे वह अलग से रखे एक बॉक्स में वोट के रूप में डाल सके। यह बॉक्स किसी भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से जुड़ा ना हो। उसके बाद बक्से में डाली गई वोट की पर्चियों की गिनती की जाए। उन्होंने कहा कि भारत और दुनिया के अन्य हिस्सों के टेक्नोलॉजी विशेषज्ञ कह रहे हैं कि ईवीएम में निश्चित तौर पर कुछ समस्या है, लेकिन भारतीय निर्वाचन आयोग और सुप्रीम कोर्ट इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। एक प्रोफेशनल होने के नाते मैं कह रहा हूं कि जरूरी नहीं है कि हेराफेरी की ही गई हो, लेकिन मुझे पूरी आशंका है कि ईवीएम में हेराफेरी की जा सकती है। मैं इस बात को स्वीकार नहीं कर सकता कि ईवीएम में सबकुछ ठीक है। ईवीएम को लेकर विश्वास का संकट खड़ा हो गया है।

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